नयी दिल्ली, 19 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई दो जून के लिए निर्धारित की जिसमें कहा गया था कि राज्य के स्थायी निवासियों को सिर्फ इसलिए मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वे कहीं और रहते हैं।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा कि वह तेलंगाना सरकार द्वारा दायर एक याचिका सहित नौ याचिकाओं पर ‘आंशिक कार्य दिवसों’ के दौरान सुनवाई करेगी, जो कि अदालत की ग्रीष्मकालीन छुट्टियों का नया नाम है।
राज्य सरकार ने तेलंगाना मेडिकल और डेंटल कॉलेज प्रवेश (एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स में प्रवेश) नियम, 2017, जिसे 2024 में संशोधित किया गया था, के तहत यह अनिवार्य कर दिया है कि केवल वे ही लोग राज्य कोटे के तहत मेडिकल और डेंटल कॉलेज में प्रवेश के हकदार होंगे, जिन्होंने राज्य में कक्षा 12 तक चार साल तक अध्ययन किया हो।
पीठ ने पिछले साल 30 सितंबर को कहा था कि मेडिकल कॉलेज में प्रवेश देने के लिए अधिवास प्रमाण पत्र पर जोर देने में तेलंगाना का ‘‘वैध हित’’ है। पीठ ने साथ ही राज्य सरकार से पूछा था कि क्या वह चालू शैक्षणिक वर्ष के लिए अपनी अधिवास नीति को स्थगित कर सकती है।
शीर्ष अदालत तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई कर रही है, जिसमें कहा गया है कि राज्य के स्थायी निवासियों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लाभ से सिर्फ इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वे राज्य से बाहर रहते हैं और उन्होंने राज्य के विद्यालयों में कक्षा 9, 10, 11 और 12 की पढ़ाई नहीं की।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय की पीठ ने उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें कहा गया था कि स्थायी निवासियों या राज्य के अधिवासियों को मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लाभ से केवल इसलिए वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने तेलंगाना के बाहर अध्ययन किया या राज्य के बाहर निवास करते हैं।
भाषा अमित नेत्रपाल
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