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Friday, 29 March, 2024
होमदेशदो कैदियों की समय से पहले रिहाई पर फैसला न करने पर SC की केरल के अफसरों को फटकार

दो कैदियों की समय से पहले रिहाई पर फैसला न करने पर SC की केरल के अफसरों को फटकार

राज्य के वकील ने जब यह कहा कि कुछ और समय की जरूरत है क्योंकि यह ‘सरकारी प्रक्रिया’ है, तो पीठ ने कहा, ‘सरकारी प्रक्रिया को अदालत के निर्णयों के मुताबिक चलना होगा.’

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नई दिल्ली: सरकारी प्रक्रिया को अदालत के निर्देशों के मुताबिक ‘चलना’ होगा. उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केरल के अधिकारियों को फटकार लगाते हुए यह बात कही. उच्चतम न्यायालय ने 28 वर्षों से जेल में बंद दो सजायाफ्ता कैदियों की समय पूर्व रिहाई के प्रस्ताव पर निर्णय नहीं करने के लिए उन्हें फटकार लगाई.

उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में पहले आदेश दिये जाने के बावजूद सक्षम प्राधिकारी द्वारा इस मामले में निर्णय नहीं लेने पर नाराजगी व्यक्त की और आदेश दिया कि जहरीली शराब के लगभग तीन दशक पुराने मामले में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे दोनों लोगों को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए. इस शराब कांड में 31 लोगों की मौत हो गई थी.

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की तीन सदस्यीय पीठ को केरल की तरफ से पेश वकील ने बताया कि प्रक्रिया पूरी करने के लिए कुछ और समय की जरूरत है.

पीठ ने कहा कि दोषी 28 वर्ष से अधिक समय से जेल में बंद हैं और उच्चतम न्यायालय ने पहले ही राज्य सरकार को इस बारे में निर्णय लेने का समय दिया था.

राज्य के वकील ने जब यह कहा कि कुछ और समय की जरूरत है क्योंकि यह ‘सरकारी प्रक्रिया’ है, तो पीठ ने कहा, ‘सरकारी प्रक्रिया को अदालत के निर्णयों के मुताबिक चलना होगा.’

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दोनों दोषियों की पत्नियों द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने मामले में पहले के आदेशों का हवाला दिया और कहा कि छह सितंबर को इसने ‘स्पष्ट निर्देश’ दिया था कि दो हफ्ते के अंदर सक्षम अधिकारी निर्णय करें.

वकील मालिनी पोडुवल के मार्फत दायर याचिका में कहा गया है कि दोषी विनोद कुमार और मणिकांतन ने क्रमश: 28 वर्ष से अधिक और करीब 30 वर्ष जेल की सजा काटी है.

सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘अदालत के निर्देशों के विपरीत इस तरीके से सरकार काम नहीं कर सकती है. इस निर्देश के पीछे कोई मकसद था. क्या नहीं था? पहले भी सुनवाई स्थगित हुई.’

पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा, ‘अदालत द्वारा दिए गए समय के अंदर अगर आप निर्णय नहीं कर सकते हैं तो हम रिहाई के निर्देश देंगे. आप हमारे रास्ते में नहीं आ सकते हैं. यह हमार विशेषाधिकार है. आप प्रस्ताव पर निर्णय करने के लिए समय ले सकते हैं.’

पीठ ने निर्देश दिया कि याचिका लंबित रहने के दौरान दोषियों को जमानत पर रिहा किया जाए.

अभियोजन के मुताबिक, अवैध शराब के कारण 31 लोगों की मौत हो गई थी, छह लोग अंधे हो गए थे जबकि 500 से अधिक व्यक्ति बीमार हो गए थे. मामला कोल्लम में दर्ज हुआ था और निचली अदालत ने आरोपियों एवं अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी थी.

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