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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशमुसलमान से हिंदू बने UP वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की किताब 'मुहम्मद' पर प्रतिबंध लगाने से SC का इनकार

मुसलमान से हिंदू बने UP वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की किताब ‘मुहम्मद’ पर प्रतिबंध लगाने से SC का इनकार

कोर्ट ने किताब के लेखक जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी और नरसिंहानंद की गिरफ्तारी का आदेश देने से इनकार कर दिया.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उस जनहित याचिका (पीआईएल) को खारिज कर दिया, जिसमें एक किताब ‘मुहम्मद’ पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी. इसके साथ ही अदालत ने कथित हेट स्पीच को लेकर किताब के लेखक जितेंद्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी और गाजियाबाद स्थित डासना देवी मंदिर के विवादास्पद महंत यति नरसिंहानंद की गिरफ्तारी का आदेश देने से भी इनकार कर दिया.

पैगंबर मुहम्मद पर हिंदी में लिखी गई यह किताब कथित तौर पर पिछले साल नवंबर में प्रकाशित हुई थी.

कोर्ट इसके खिलाफ एक शिया धार्मिक संगठन भारतीय मुस्लिम शिया इस्ना आशारी जमात की तरफ से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में कोर्ट से त्यागी और नरसिंहानंद की ‘एहतियातन गिरफ्तारी’ का आदेश देने और उन्हें ‘इस्लाम धर्म के खिलाफ भड़काऊ और आहत करने वाली टिप्पणियां’ करने से रोकने की अपील की गई थी. उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष त्यागी ने पिछले साल यति नरसिंहानंद की निगरानी में हिंदू धर्म ग्रहण कर लिया था.

फरवरी 2022 में दायर की गई याचिका में त्यागी और नरसिंहानंद दोनों को ‘सुरक्षा और अखंडता, सामाजिक सद्भाव और सार्वजनिक शांति और कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए खतरा’ बताया गया था.

अदालत ने संकेत दिया कि याचिका को अनुमति देना इस मामले में सुनवाई के बिना ही आरोपों को सही मान लेने जैसा होगा.

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देश के चीफ जस्टिस यू.यू. ललित ने शुक्रवार को याचिकाकर्ताओं से कहा, ‘आप हमें अनुच्छेद-32 के तहत आपराधिक जांच का आदेश देने को कह रहे हैं, जो हम नहीं कर सकते. अगर हम इसकी अनुमति देते हैं, तो ट्रायल के दौरान क्या होगा? आपको कोई उचित समाधान तलाश सकते हैं लेकिन यहां नहीं.’

अनुच्छेद 32 संविधान में प्रदत्त गारंटीशुदा मौलिक अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का अधिकार प्रदान करता है.

इसके बाद याचिकाकर्ता यह मांग छोड़ने को तैयार हो गए और अदालत से याचिका के अन्य पहलुओं पर विचार करने का आग्रह किया लेकिन कोर्ट अदालत ने याचिका को सिरे से खारिज कर दिया.

त्यागी और नरसिंहानंद दोनों पर पूर्व में हेट स्पीच देने का आरोप लगा चुका है और पिछले साल दिसंबर में हरिद्वार में आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने के लिए उन्हें जनवरी में गिरफ्तार भी किया गया था. धर्म संसद हिंदू साधु-संतों का एक जमावड़ा है जिसमें कथित तौर पर अल्पसंख्यकों के खिलाफ नफरती भाषणों को लेकर कई बार विवाद खड़ा हो चुका है.

त्यागी को मई में चिकित्सीय आधार पर तीन महीने के लिए जमानत दी गई थी. 29 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी जमानत बढ़ाने से इनकार कर दिया और 2 सितंबर तक सरेंडर करने को कहा. कोर्ट ने यह भी कहा था कि उनकी नियमित जमानत अर्जी पर सुनवाई 9 सितंबर को होगी.

त्यागी ने शुक्रवार को हरिद्वार की एक कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया.


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दिल्ली हाई कोर्ट खारिज कर चुकी है ऐसी ही याचिका

पिछले साल दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष ऐसी ही एक याचिका दायर की गई थी जिसमें कहा गया था कि त्यागी को ‘पैगंबर मुहम्मद, इस्लाम धर्म और इसके अनुयायियों, इसकी मान्यताओं और/या पवित्र कुरान के खिलाफ के खिलाफ बयान देने और/या ऐसी टिप्पणियां प्रकाशित करने से रोका जाए जो उत्तेजक, अपमानजनक और आहत करने वाली हों.’

कमर हसनैन नामक एक व्यक्ति की ओर से दायर मुकदमे में किताब की बिक्री, प्रकाशन और प्रसार पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी की गई थी. दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक, मामले में याचिकाकर्ता ने दावा किया कि किताब का कंटेंट ‘शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला है और इसमें पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ विवादास्पद और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया गया है.’

हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वादी ने ‘किसी कानूनी अधिकार का उल्लंघन होना स्पष्ट किए बिना एक किताब के कंटेंट से आहत या पीड़ित होने के कारण नुकसान का मुद्दा उठाया है—जो कथित तौर पर उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली है. यह मुकदमे के मौजूदा स्वरूप में उन्हें इस अदालत का दरवाजा खटखटाने का कोई अधिकार नहीं देता है.

हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि उसने किताब की सामग्री की जांच नहीं की है और इसलिए हसनैन को ‘कानूनन अपने सभी अधिकारों और विकल्पों को इस्तेमाल करने का अधिकार था.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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