नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को अपनी 90 वर्षीय मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दे दी.
पिछले साल अक्टूबर में गिरफ्तार किए गए कप्पन को चार महीने की हिरासत के बाद पांच दिन की अंतरिम जमानत दी गई है.
सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह नोट किया कि उनकी ‘मां की स्थिति गंभीर बनी हुई है और ऐसा लग रहा है कि वह अधिक दिनों तक जीवित नहीं रहेंगी. ‘
हालांकि, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस बात की आशंका जताई कि कप्पन इस समय का उपयोग खुद के लिए सार्वजनिक समर्थन इकट्ठा करने के लिए कर सकते हैं, जिसके बाद अदालत ने उन पर कई जमानत शर्तें लगा दी हैं.
इसमें कहा गया है कि कप्पन केरल सिर्फ अपनी बीमार मां को देखने केरल जा रहे हैं. और यह कि ‘वह सोशल मीडिया सहित किसी भी मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं देंगे’. आगे आदेश में कहा गया है कि कप्पन अपने रिश्तेदारों और डॉक्टरों को छोड़कर, जनता और किसी से नहीं मिलेंगे, और यूपी पुलिस के अधिकारी उन्हें उनकी मां के घर तक एस्कॉर्ट किया जाएगा.
सुनवाई के दौरान, एसजी मेहता ने जमानत देने के लिए अपनी सहमति देने में अनिच्छा व्यक्त की. हालांकि, वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल– इस मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिकाकर्ता, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) के लिए उपस्थित हुए – उन्होंने कहा कि कप्पन की मां के पास ज्यादा समय नहीं बचा है और जल्द ही उनका निधन हो सकता है.
अदालत ने एसजी मेहता की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा, ‘हम एक आदमी की तरह नहीं सोचते हैं, जो कोई भी हो सकता है, वह अपनी मरणासन्न मां के बारे में झूठ बोलेगा.’
कप्पन को पिछले साल 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, जब वह एक कथित सामूहिक बलात्कार और एक दलित महिला की मौत पर रिपोर्ट करने के लिए हाथरस जा रहा था.
मथुरा में 7 अक्टूबर को कप्पन के खिलाफ दर्ज किए गए एफआईआर में, धारा 124 ए (राजद्रोह), 153 ए (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना), और 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्यों, किसी की धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के लिए अभियोग) के साथ साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) के अपने धर्म या धार्मिक मान्यताओं का अपमान करते हुए, गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रावधानों के साथ उस पर केस दर्ज किए गए हैं.
यह भी पढ़ें: 122 दिन और 6 बार सुनवाई टलने के बाद भी SC में सिद्दीक कप्पन की हेबियस कॉर्पस याचिका लंबित
4 महीने से अधिक समय से लंबित हेबीअस कॉर्पस
5 अक्टूबर को कप्पन की गिरफ्तारी के एक दिन बाद, केरल यूनियन ऑफ़ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) ने उसकी हिरासत को चुनौती देते हुए हेबीअस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर की थी. याचिका में तर्क दिया गया कि गिरफ्तारी गैरकानूनी और असंवैधानिक हैं और यह दलील दी गई कि कप्पन की हिरासत संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 19 (बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) और 21 (जीवन का अधिकार) के तहत उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.
हालांकि, यह हेबीअस कॉर्पस शीर्ष अदालत के सामने चार महीने से अधिक समय से लंबित है, जबकि उसकी रेगुलर बेल एप्लीकेशन तीन महीने पहले दायर की गई थी.
पिछले महीने के अंत में उन्होंने अपनी मां के बीमार स्वास्थ्य का हवाला देते हुए अंतरिम जमानत अर्जी दायर की थी.
आवेदन में कहा गया है कि कप्पन की 90 वर्षीय मां ‘अपाहिज हैं, बिस्तर पर हैं बहुत ज्यादा बीमार’ हैं, और कप्पन से ‘बार-बार बात करने की मांग’ कर रही हैं.
कोर्ट में यह भी कहा गया कि ‘ वह जब भी वह होश में आती हैं, तो अपने बेटे से मिलने की मांग करती हैं, और हर किसी से अनुरोध करती है कि उनकी आखिरी इच्छा अपने बेटे को देखते की है.
22 जनवरी को अंतिम सुनवाई के दौरान कप्पन की मां के स्वास्थ्य का मुद्दा सामने आया था, जब सिब्बल ने मांग की थी कि कप्पन को अपनी मां के साथ एक वीडियो कांफ्रेंस करने की अनुमति दी जाए. अदालत ने इस याचिका को स्वीकार करते हुए अनुमति दी और मामले को एडजर्न कर दिया था.
हालांकि, अंतरिम जमानत की अर्जी पर अब मथुरा जेल के अधिकारियों ने 28 जनवरी को कप्पन की मां के साथ 10 मिनट के वीडियो कॉल की व्यवस्था की, वह ‘मोबाइल की स्क्रीन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे सकती थी और न ही देख सकती थी, क्योंकि वह अस्पताल में हैं और गंभीर रूप से बीमार हैं.’
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)