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गुरूवार, 22 मई, 2025
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न्यायालय की पीठों ने ईडी की धनशोधन संबंधी शक्तियों के कथित दुरुपयोग की आलोचना की

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नयी दिल्ली, 22 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रवर्तन निदेशालय को ‘सभी सीमाएं लांघने’ के लिए बृहपतिवार को फटकार लगाये जाने से एजेंसी की शक्तियों के ‘दुरुपयोग’ पर अदालतों की आलोचनात्मक टिप्पणियों की सूची और लंबी हुई है।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई के नेतृत्व वाली पीठ ने ईडी के खिलाफ एक बार फिर आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए शराब की दुकानों के लाइसेंस अवैध रूप से देने के मामले में तमिलनाडु में शराब खुदरा विक्रेता तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) के खिलाफ धनशोधन जांच पर रोक लगा दी। सीजेआई ने बृहस्पतिवार को कहा, ‘आपका ईडी सभी हदें पार कर रहा है।’

तमिलनाडु और तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (टीएएसएमएसी) ने सरकारी शराब खुदरा विक्रेता टीएएसएमएसी पर ईडी की छापेमारी के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया। सीजेआई ने कहा, ‘प्रवर्तन निदेशालय (शासन की) संघीय अवधारणा का उल्लंघन कर रहा है।’

गत 11 अप्रैल को, न्यायमूर्ति ए एस ओका के नेतृत्व वाली एक अन्य पीठ ने संघीय एजेंसी को फटकार लगाई थी, जिसने नागरिक आपूर्ति निगम (एनएएन) घोटाले के मामले को छत्तीसगढ़ से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। पीठ ने कहा कि ईडी को आरोपियों के मौलिक अधिकारों के बारे में भी सोचना चाहिए।

छत्तीसगढ़ में कथित 2,000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में दो जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति ओका की पीठ ने कहा, ‘आप (ईडी) किसी व्यक्ति को हिरासत में रखकर उसे वस्तुतः दंडित कर रहे हैं।’

पीठ ने कहा, ‘‘जांच अपनी गति से चलेगी। यह अनंत काल तक चलती रहेगी। तीन आरोपपत्र दाखिल किए जा चुके हैं। आप व्यक्ति को हिरासत में रखकर उसे वस्तुतः दंडित कर रहे हैं। आपने प्रक्रिया को ही सजा बना दिया है। यह कोई आतंकवादी या तिहरे हत्याकांड का मामला नहीं है।’

फरवरी में, शीर्ष अदालत ने एक पूर्व आबकारी अधिकारी को जेल में रखने के लिए पीएमएलए का इस्तेमाल करने पर ईडी की खिंचाई की थी और सवाल किया था कि क्या दहेज कानून की तरह इस प्रावधान का भी ‘दुरुपयोग’ किया जा रहा है।

एक अन्य अवसर पर, शीर्ष अदालत ने हरियाणा के पूर्व कांग्रेस विधायक से 15 घंटे तक चली पूछताछ पर ईडी के अमानवीय आचरण की निंदा की थी। शीर्ष अदालत ने उल्लेख किया था कि उक्त पूछताछ आधी रात के बाद भी जारी रही।

धनशोधन के एक अन्य मामले में एक महिला की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि ईडी ने उसकी याचिका का विरोध करने के लिए ‘पीएमएलए के प्रावधानों के विपरीत’ तर्क दिए।

न्यायालय ने कहा, ‘हम भारत संघ द्वारा कानून के विपरीत दलीलें देने के आचरण को बर्दाश्त नहीं करेंगे।’

एजेंसी ने एक पूर्व आईएएस अधिकारी को तलब किया और उसे गिरफ्तार कर लिया। शीर्ष अदालत ने ईडी द्वारा उसकी कार्रवाई को अंजाम देने में दिखाई गई ‘जल्दबाजी’ पर सवाल उठाया। उसने कहा, ‘‘ऐसा आतंकवाद या आईपीसी में गंभीर अपराधों के मामले में नहीं होता है।’’

उसने धनशोधन मामलों में दोषसिद्धि की कम दर को रेखांकित किया और ईडी को अभियोजन और साक्ष्य की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था।

संसद में दिए गए एक बयान का हवाला देते हुए न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्त और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि ईडी को दोषसिद्धि दर बढ़ाने के लिए कुछ वैज्ञानिक जांच करनी चाहिए।

ऐसे भी उदाहरण हैं जब उच्च न्यायालयों ने जांच एजेंसी की जांच पद्धति की आलोचना की है। एक अवसर पर, बम्बई उच्च न्यायालय ने ईडी से कहा था कि सोने का अधिकार एक बुनियादी मानवीय आवश्यकता है और रात भर बयान दर्ज करने के लिए इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।

नवंबर 2024 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एजेंसी की जांच को ‘लापरवाह और गैर-पेशेवर’ कहा था और ईडी निदेशक से खामियों के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था।

कई बार निचली अदालतों ने भी ईडी की जांच पर अप्रसन्नता जतायी है।

भाषा अमित सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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