scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमदेशआत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में गिरफ्तार अर्णब अंतरिम जमानत के लिये शीर्ष SC पहुंचे

आत्महत्या के लिये उकसाने के आरोप में गिरफ्तार अर्णब अंतरिम जमानत के लिये शीर्ष SC पहुंचे

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा था कि उन्हें राहत के लिये निचली अदालत जाना चाहिए.

Text Size:

नयी दिल्ली : एक इंटीरियर डिजायनर और उसकी मां को 2018 में कथित रूप से आत्महत्या के लिये उकसाने के मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने मंगलवार को अंतरिम जमानत के लिये उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की.

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले में अर्नब गोस्वामी और दो अन्य को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुये कहा था कि उन्हें राहत के लिये निचली अदालत जाना चाहिए.

उच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर आरोपी अपनी ‘गैरकानूनी गिरफ्तारी’ को चुनौती देते हैं और जमानत की अर्जी दायर करते हैं तो संबंधित निचली अदालत चार दिन के भीतर उस पर निर्णय करेगी.

उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अर्णब गोस्वामी ने यह अपील अधिवक्ता निर्मिमेष दुबे के माध्यम से दायर की है.

अर्णब ने इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार के साथ ही अलीबाग थाने के प्रभारी, मुंबई के पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को भी पक्षकार बनाया है.

इस बीच,महाराष्ट्र सरकार ने भी अपने अधिवक्ता सचिन पाटिल के माध्यम से न्यायालय में कैविएट दाखिल की है ताकि उनका पक्ष सुने बगैर गोस्वामी की याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया जाये.

महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के अलीबाग थाने की पुलिस ने चार नवंबर को, इंटीरियर डिजायनर की कंपनी की बकाया राशि का कथित रूप से भुगतान नहीं करने के कारण अन्वय और उनकी मां को कथित रूप से आत्महत्या के लिये बाध्य करने के मामले में अर्नब को गिरफ्तार किया था.

उच्च न्यायालय का अंतरिम राहत के मामले में फैसला आने से पहले ही अर्ण ने नियमित जमानत के लिये अलीबाग की सत्र अदालत में आवेदन दायर कर दिया था. जमानत के इस आवेदन पर आज सुनवाई होनी है.

उच्च न्यायालय ने गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों फिरोज शेख और नितीश सारदा की अंतरिम जमानत के आवेदन अस्वीकार करते हुये कहा था कि यह असाधारण अधिकार क्षेत्र के इस्तेमाल का कोई मामला नहीं बनता है.

यह प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर उच्च न्यायालय 10 दिसंबर को सुनवाई करेगा.

गोस्वामी सहित तीनों आरोपियों को चार नवंबर को देर रात एक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश किया गया था जिन्होंने उन्हें पुलिस हिरासत में देने से इंकार करते हुये 18 नवंबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया था.

गोस्वामी को शुरू में अलीबाग जेल के लिये बनाये गये कोविड-19 पृथकवास में रखा गया था लेकिन उनके कथित रूप से मोबाइल इस्तेमाल करते पाये जाने के कारण रायगढ़ की तलोजा जेल शिफ्ट कर दिया गया.

इस बीच, रिपब्लिक टीवी के कंसल्टिंग संपादक प्रदीप भंडारी ने रविवार को प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे को एक पत्र लिखकर गोस्वामी को तलोजा जेल स्थानांतरित किये जाने और खतरनाक अपराधियों के बीच रखे जाने का संज्ञान लेने और उन्हें सुरक्षा प्रदान करने का आग्रह किया था.

उनका कहना था कि गोस्वामी की जान को खतरा है और उन्हें रविवार की सुबह पीटा गया है.

share & View comments