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Friday, 22 November, 2024
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NTF ने SC से कहा- पेट्रोल की तरह ऑक्सीजन के लिए 2-3 हफ्तों का अतिरिक्त भंडार हो

बारह सदस्यीय एनटीएफ ने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए अतिरिक्त भंडार होना चाहिए और उन्हें वरिष्ठ कर्मियों की ऑक्सीजन निगरानी समितियां बनानी चाहिए.

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नई दिल्ली : राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों को ऑक्सीजन के आवंटन की प्रणाली बनाने के लिए उच्चतम न्यायालय की तरफ से गठित शीर्ष चिकित्सा विशेषज्ञों के राष्ट्रीय कार्य बल (एनटीएफ) ने सुझाव दिया है कि देश को पेट्रोलियम उत्पादों के लिए की जाने वाले व्यवस्था की तर्ज पर दो-तीन हफ्तों की खपत के लिए ऑक्सीजन गैस का अतिरिक्त भंडार रखना चाहिए.

बारह सदस्यीय एनटीएफ ने यह भी कहा कि सभी अस्पतालों में आपात स्थितियों से निपटने के लिए अतिरिक्त भंडार होना चाहिए और उन्हें वरिष्ठ कर्मियों की ऑक्सीजन निगरानी समितियां बनानी चाहिए.

शीर्ष न्यायालय ने कोविड-19 मरीजों की जान बचाने और महामारी से निपटने के लिए जन स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए ऑक्सीजन के आवंटन की प्रणाली बनाने के वास्ते छह मई को एनटीएफ का गठन किया था.

एनटीएफ ने कहा, ‘हमें दो-तीन हफ्तों की खपत पूरी करने के लिए देश में ऑक्सीजन का अतिरिक्त भंडार रखना चाहिए जैसी पेट्रोलियम उत्पादों के लिए व्यवस्था की जाती है. इसी तरह सभी अस्पतालों के पास आपात स्थिति से निपटने के लिए अतिरिक्त भंडार होना चाहिए.’

महामारी के दौरान मौजूदा और प्रस्तावित मांगों के आधार पर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन या एलएमओ की आपूर्तियां शुरू करने के संबंध में समिति ने कहा कि कोविड-19 के बढ़ते मामलों वाले राज्यों को आवंटन के लिए आधारभूत मांग से अधिक आवंटन करने के लिए राज्य में करीब 20 फीसदी की भंडारण क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है.

उसने कहा, ‘अगली महमारी की तैयारी में एलएमओ का उत्पादन और बढ़ाने की कोशिशें की जानी चाहिए. एलएमओ का उत्पादन पांच प्रतिशत से बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने की तत्काल आवश्यकता है. सरकार को संबंधित उद्योगों की मदद करनी चाहिए.’

समिति ने सुझाव दिया कि आपात स्थिति में राज्यों को औद्योगिक ऑक्सीजन के उत्पादन वाली इकाइयों के पास अस्थायी अस्तपाल बनाने की संभावना सक्रियता से तलाशनी चाहिए. उसने कहा कि हमारा ध्यान सिलेंडरों, गैस वाली ऑक्सीजन और सिलेंडर भरने की व्यवस्था पर होना चाहिए.

समिति ने कहा, ‘मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पतालों समेत सभी अस्पतालों के लिए ऑक्सीजन उत्पादन ईकाइयों (पीएसए) को अनिवार्य बनाइए. सभी जिला अस्पतालों में कम्प्रेसर्स के साथ पीएसए संयंत्र होने चाहिए ताकि वे सीएचसी/पीएचसी/एम्बुलेंसों के लिए सिलेंडर भरने के साथ ही अपना खुद का दबाव संभाल सकें.’ साथ ही उसने कहा कि 100 या उससे अधिक बिस्तरों की क्षमता वाले प्रत्येक अस्पताल को ऑक्सीजन संयंत्र लगाने के लिए प्रेरित करना चाहिए.

ग्रामीण इलाकों के लिए समिति ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में ऑक्सीजन आपूर्ति में नयी रणनीतियां अपनानी चाहिए जिसमें पीएसए संयंत्रों को संवेदनशील इलाकों में लगाना शामिल है.

उसने कहा, ‘पर्याप्त संख्या में अतिरिक्त सिलेंडर रखने चाहिए। अब से ग्रामीण और अर्ध शहरी इलाकों में तैयारी को प्राथमिकता देनी चाहिए.’ उसने कहा कि ग्रामीण इलाकों और जिला अस्पतालों में कोविड देखभाल केंद्रों में सांद्रकों का इस्तेमाल करना चाहिए जहां मरीजों को पांच लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन की आवश्यकता है इससे ऑक्सीजन का करीब पांच से सात प्रतिशत इस्तेमाल बचेगा.

एनटीएफ ने कहा, ‘बड़े शहरों के लिए स्थानीय रूप से ऑक्सीजन का उत्पादन करने की रणनीति बनानी चाहिए ताकि उनकी एलएमओ की कम से कम 50 प्रतिशत मांग पूरी की जा सके क्योंकि सड़क परिवहन की हालत ठीक नहीं है. दिल्ली और मुंबई में प्राथमिकता के आधार पर यह किया जा सकता है क्योंकि वहां घनी आबादी है. सभी 18 मेट्रो शहरों को ऑक्सीजन के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जाएगा.’

उच्चतम न्यायालय को सौंपी अपनी 163 पृष्ठों की रिपोर्ट में कई सुझाव देते हुए एनटीएफ ने अस्पताल और राज्य स्तर पर उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव दिया. उसने कहा, ‘अस्पतालों में अगर ऑक्सीजन का स्तर पांच लीटर के प्रवाह पर 92 प्रतिशत से कम होता है तो मरीजों की ऑक्सीजन की आवश्यकता कम करने के लिए प्रोन पोजिशन में लेटने की सलाह दी जा सकती है.’

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