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Friday, 29 March, 2024
होमदेश'SC ने हमारे घावों पर मरहम लगाया'- न गले लगे न आंसू, राजीव गांधी के हत्यारों के लिए रिहाई एक राहत भर है

‘SC ने हमारे घावों पर मरहम लगाया’- न गले लगे न आंसू, राजीव गांधी के हत्यारों के लिए रिहाई एक राहत भर है

आर.पी. रविचंद्रन ने रिहाई के बाद कहा कि बाकी की जिंदगी वह अपने परिवार की जमीन पर खेती-बाड़ी करने में बिताएगा. नलिनी और उसके पति के वकील ने भी फैसले को एक बड़ी राहत बताया.

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चेन्नई: राजीव गांधी हत्याकांड के दोषियों में से एक आर.पी. रविचंद्रन शुक्रवार दोपहर 12.30 बजे से तमिलनाडु के थूथुकुडी जिले के एक गांव में अपने घर पर टीवी पर नजरें गड़ाए बैठा था और अपनी रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

आखिरकार, तीन दशक से अधिक समय तक आजीवन कारावास की सजा काटने के बाद उसे बड़ी राहत मिलने की उम्मीद जो थी. शीर्ष अदालत ने दो याचिकाओं और चार आवेदनों पर सुनवाई के बाद उसे और पांच अन्य दोषियों की तत्काल रिहाई के आदेश जारी कर दिए. अन्य दोषियों में मुरुगन उर्फ श्रीहरन, नलिनी, संथन, जयकुमार और रॉबर्ट पेस शामिल हैं.

फैसला आने के बाद रविचंद्रन का फोन लगातार बजता रहा और एक-एक कर तमाम लोगों ने उसे बधाई संदेश दिया. रविचंद्रन ने फोन पर दिप्रिंट को बताया, ‘मेरी मां बहुत खुश हैं. जिस तरह हमने तीन दशकों से अधिक समय तक सजा भुगती, उसने भी सामाजिक स्तर पर अपना जीवन सजा काटने की तरह ही बिताया है. वह बेहद खुश है.’

रविचंद्रन ने कहा, ‘मैंने सबसे पहले एक फ्लैश देखा कि मामले में सुनवाई शुरू हो गई है.’ थोड़ी ही देर में उसने जिस भी चैनल पर स्विच किया, एक ही शब्द फ्लैश करता नजर आया—विदुथलाई (आजादी). उसने कहा, ‘मैंने और मेरी मां ने टीवी पर नजरें गड़ा रखी थीं.’ न किसी की आंख से आंसू निकले न ही उन्होंने एक-दूसरे को गले लगाया, बस ‘राहत की सांस’ ली. रविचंद्रन ने कहा, ‘मैंने मजीझी (खुशी) महसूस की, मेरे लिए यह सबसे बड़ी राहत की बात थी.’


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क्या दी गई दलील

18 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इसी मामले में एक अन्य दोषी ए.जी. पेरारीवलन की उम्रकैद की सजा पर रोक लगा दी थी और उसकी रिहाई का आदेश दिया था.

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शुक्रवार को सर्वोच्च अदालत ने माना कि मामले में एक दोषी पेरारीवलन को रिहाई जिन दलीलों के आधार पर हुई थी, वही अन्य दोषियों पर भी लागू होंगी. पीठ ने कहा कि जेल में सभी दोषियों का आचरण अच्छा रहा है. और कहा, ‘हमारे पास अब आपको जेल में रखने का कोई कारण नहीं है.’

रविचंद्रन और नलिनी 27 दिसंबर, 2021 से तमिलनाडु सस्पेंशन ऑफ सेंटेंस रूल्स, 1982 के तहत स्वीकृत पैरोल पर हैं. नलिनी ने 30 साल से अधिक समय तक वेल्लोर में महिलाओं की विशेष जेल में अपनी सजा काटी है, जबकि रविचंद्रन सेंट्रल जेल, मदुरै में बंद था.

रविचंद्रन ने कहा कि हालांकि, वह पैरोल पर बाहर था लेकिन पिछले 12 महीनों की यह अवधि ‘काफी हद तक नजरबंद’ होने जैसी ही थी. उसने कहा, ‘वैसे तो जेल में होने और घर में रहने में निश्चित तौर पर अंतर है. यद्यपि मैं घर पर पुलिस की निगरानी में रहा हूं, लेकिन मां, छोटे भाई और उनके बच्चों के आसपास रहना अच्छा लगता था.’

वेल्लोर में नलिनी के फोन पर जवाब देने वाली उसकी मां पद्मिनी ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिस ने उन्हें सख्त हिदायत दे रखी है कि जब तक सभी छह दोषियों को औपचारिक रूप से रिहा नहीं किया जाता, तब तक इस मामले पर कोई चर्चा न करें. नलिनी की मां ने कहा, ‘मैं केवल यही कह सकती हूं कि हमें अपने घावों के लिए मरहम मिल गया है. कृपया हमें कल दोपहर दो बजे के बाद फोन करें, हम आपसे विस्तार से बात करेंगे.’

इससे पहले दिन में, एक प्रमुख तमिल न्यूज चैनल से बातचीत में, नलिनी ने कहा कि यह खबर सुनते ही वह बहुत रोई. उसने कहा, ‘मैं बेहद खुश हूं और शांति महसूस कर रही हूं. आज 32 साल बाद भी तमिल लोग हमें नहीं भूले. उन्होंने हमारा साथ दिया, हमें जीने का हौसला दिया. मैं उन सभी को धन्यवाद देना चाहती हूं.’

नलिनी ने काफी भावुक होकर कहा कि वह पिछले 30 सालों से अपनी बेटी हरिथ्रा से अलग रही है. साथ ही बताया कि सबसे पहले तो उसकी योजना लंदन में रहने वाली अपनी बेटी से मिलने जाने की है. उसने कहा, ‘जीवन में और क्या है? जेल में अपने पति से मिलूंगी और इसके बाद हम यात्रा के बारे में फैसला करेंगे.’


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सभी के लिए एक बड़ी राहत

2005 से नलिनी और 2010 से उनके पति मुरुगन का प्रतिनिधित्व कर रहे एडवोकेट पी. पुगलेंथी ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार दोपहर करीब 3.20 बजे नलिनी के साथ बात की थी. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘यह छोटी-सी बातचीत थी और हम दोनों ने फैसले पर खुशी जताई. उन्होंने 32 साल तक जिस पीड़ा को सहा है, उसे देखते हुए यह बहुत बड़ी राहत है.’

उन्होंने कहा, ‘शुरू में, मैं केवल नलिनी का वकील था, फिर मैंने अन्य को भी अपनी कानूनी सेवाएं दी और उनके संपर्क में रहा.’ साथ ही बताया कि नलिनी और रविचंद्रन को छोड़कर बाकी चारो श्रीलंकाई नागरिक हैं.

उन्होंने कहा, ‘अगर वे श्रीलंका जाना चाहेंगे तो उन्हें वहां भेजा जाएगा या फिर परमिट और वीजा मिलने के बाद अन्य देशों में भेजने का इंतजाम किया जाएगा. संथन श्रीलंका जाने को तैयार है. वहीं, मुरुगन अपने भाई, बहन और बेटी से मिलने के लंदन जा सकता है, जो वहीं रहते हैं. रॉबर्ट पेस संभवत: नीदरलैंड जाएगा जहां उसकी पत्नी रहती है. जयकुमार की पत्नी और बच्चे काफी समय से चेन्नई के व्यासपाडी में ही रहते हैं.’

पुगलेंथी ने बताया, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बारे में आज रात तक जेल अधिकारियों को सूचित किया जा सकता है और जो पैरोल पर हैं, उन्हें औपचारिकताएं पूरी करने के लिए जेल जाना पड़ेगा. बाकी के लिए, अगला कदम तमिलनाडु सरकार के फैसले पर निर्भर करेगा.’

इस बीच, रविचंद्रन ने बताया कि उनकी दिनचर्या घर के परिसर तक ही सीमित थी. उसने बताया, ‘मैं परिसर के भीतर ही रह सकता हूं, बगीचे में जा सकता हूं, न्यूज देख सकता हूं और किताबें पढ़ सकता हूं.’

रविचंद्रन का कहना है कि अपनी रिहाई के बाद वह अपना समय पारिवारिक जमीन पर खेती-बाड़ी में लगाना चाहेगा. उसने कहा, ‘31 सालों तक मैंने काफी कड़ी सजा काटी है और अब जाकर रिहा हुआ हूं. समय के साथ बाहरी दुनिया में बहुत बदलाव आया है और इन्हें समझने में ही मुझे कुछ समय लगेगा. मुझे लगता है कि जरूरी यह है कि मैं पहले यह सब जानू फिर खुद को इस नई स्थिति के लिए ढालू. मेरे आसपास क्या हो रहा है, इसे समझने के लिए मुझे थोड़ा समय चाहिए.’

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(अनुवादः रावी द्विवेदी)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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