नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगा मामले में सोमवार को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार और अन्य को दोषी करार दिया है और उन्हें (सज्जन) आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है.
अदालत ने सज्जन कुमार से 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने के लिए कहा है.
न्यायाधीश एस. मुरलीधर और न्यायाधीश विनोद गोयल की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को बदल दिया है जिसने कांग्रेस नेता को बरी कर दिया था.
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा की 31 अक्टूबर 1984 के हुई हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र में पांच लोगों की हुई हत्या के मामले में सज्जन कुमार और पांच अन्य पर मुकदमा चल रहा था.
पीठ ने कहा, ‘1947 की गर्मियों में विभाजन के दौरान देश ने भयावह नरसंहार देखा, जब सिख, मुस्लिम और हिंदुओं सहित कई लाख नागरिकों की हत्या कर दी गई थी.’
फैसले में कहा गया है, ’37 साल बाद देश ने फिर से एक बड़ी मानव त्रासदी को देखा. 31 अक्टूबर 1984 की सुबह दो सिख अंगरक्षकों द्वारा भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक सांप्रदायिक उन्माद भड़क उठा.’
पीठ ने 203 पेज के अपने आदेश को पढ़ते हुए कहा, ‘उस साल चार दिन, एक नवंबर से लेकर चार नवंबर तक पूरी दिल्ली में 2,733 सिखों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. उनके घरों को नष्ट कर दिया गया. देश के बाकी हिस्सों में भी हजारों सिख मारे गए.’
अदालत ने कहा, ‘इस भयावह त्रासदी के अपराधियों के बड़े समूह को राजनीतिक संरक्षण का लाभ मिला और उदासीन कानून प्रवर्तन एंजेसियों से भी उन्हें मदद मिली.’
अदालत ने कहा कि अपराधी दो दशक से ज्यादा समय से सजा से बचते रहे.
अदालत ने हत्या, आपराधिक साजिश रचने सहित दंगा भड़काने, आग या विस्फोटक पदार्थ द्वारा घरों को नष्ट करने की साजिश रचने और किसी वर्ग के धार्मिक स्थल को अपवित्र करने की साजिश रचने के आरोप में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कांग्रेस नेता को दोषी करार देते हुए सजा सुनाई.
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने ट्रायल कोर्ट द्वारा सज्जन कुमार को बरी किए जाने को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की थी और कहा था कि सज्जन कुमार ने ही दंगों के दौरान भीड़ को उकसाया था.
अक्टूबर में उच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को मिली चुनौती के संदर्भ में सज्जन कुमार पर फैसला सुरक्षित रखा था लेकिन 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र में पांच लोगों की हुई हत्या के मामले में अन्य पांच को दोषी ठहराया था.
उच्च न्यायालय डिविजन बेंच ने 30 अप्रैल 2013 को ट्रायल कोर्ट द्वारा दोषी करार दिए गए अन्य पांच आरोपियों के खिलाफ फैसले को बरकरार रखा. इन पांच आरोपियों में पूर्व पार्षद बलवान खोखर, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, कृष्ण खोकर, गिरधारी लाल और सेवानिवृत्त कैप्टन भागमल शामिल हैं.
पांचों आरोपियों ने भी दोषी करार दिए जाने के खिलाफ अपील की थी.
सज्जन कुमार और पांच अन्य पर पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुवेंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह (एक ही परिवार के सदस्य) की हत्या में शामिल होने के आरोप में मुकदमा चल रहा था. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के सैन्य छावनी क्षेत्र राज नगर इलाके में भीड़ ने इन पांचों की हत्या कर दी थी.
न्यायाधीश जी.टी. नानावती आयोग की सिफारिश के बाद सज्जन कुमार और अन्य के खिलाफ 2005 में मामला दर्ज किया गया था.
इस फैसले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे एक बहुत ही अच्छा निर्णय बताया.. उन्होंने कहा, ‘हम में से कई जो इन दंगों के गवाह रहे हैं, ये शायद सबसे नृशंस नरसंहार था. और उस समय की कांग्रेस सरकारों ने मामलें को बार बार छुपाया. ’
FM Arun Jaitley on Sajjan Kumar: Judgement of Delhi High Court is an extremely welcome development. For many of us who are witnesses, it was perhaps the worst kind of genocide that we ever saw. Congress govts in that period repeatedly indulged in coverup exercises. pic.twitter.com/FBlrEFtwzI
— ANI (@ANI) December 17, 2018
केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने सज्जन कुमार को सज़ा पर प्रधानमंत्री मोदी को इस बात के लिए धन्यवाद दिया कि 2015 में शिरोमणी अकाली दल के कहने पर 84 के हत्याकांड की जांच के लिएएक एसआईटी का गठन किया था. ये एतिहासिक फैसला है और न्याय आखिरकार मिला है.
Union Minister Harsimrat Kaur Badal on conviction of Sajjan Kumar: I want to thank PM Modi that on Shiromnai Akali Dal's request in 2015 he set up an SIT to probe 1984 massacre. It's a historic judgement. Wheels of justice have finally moved. pic.twitter.com/uc3Yk0lV6T
— ANI (@ANI) December 17, 2018
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि ये दंगा पीड़ितों के लिए लंबा और दुखदाई इंतज़ार था. कई बेगुनाह लोग सत्तासीत लोगों द्वारा मारे गए. चाहे कोई व्यक्ति कितना भी शक्तिशाली हो अगर वो हिंसा में शामिल हो तो उसे सज़ा होनी चाहिए.
I welcome Delhi High Court verdict convicting Sajjan Kumar in 1984 riots case.
It has been a very long n painful wait for innocent victims who were murdered by those in power.
Nobody involved in any riot should be allowed to escape no matter how powerful the individual maybe.— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) December 17, 2018
दंगा पीड़ितों ने इस फैसले को बड़ी जीत बताया हैं