मुंबई, 31 जनवरी (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को महाराष्ट्र के एक गांव में छात्राओं की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के आदर्श वाक्य को केवल लड़कियों के लिए एक सुरक्षित वातावरण प्रदान करके ही हासिल किया जा सकता है, जिन्हें अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए नौका का सहारा लेना पड़ता है।
न्यायमूर्ति प्रसन्ना वरले और न्यायमूर्ति अनिल किलोर की खंडपीठ ने सतारा जिले के खिरवंडी गांव के बच्चों को अपने स्कूल तक पहुंचने के लिए नौका से यात्रा करने के बारे में एक समाचार का स्वत: संज्ञान लिया।
पीठ ने खबर का हवाला देते हुए कहा कि छात्राएं अपनी नौका को कोयना बांध के एक छोर से दूसरे छोर तक ले जाती हैं और वहां से घने जंगल के एक हिस्से से होकर अपने स्कूल तक जाती हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘आदर्श वाक्य ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का उद्देश्य केवल सरकार द्वारा बालिकाओं के लिए एक सुरक्षित मार्ग और एक दोस्ताना माहौल तथा वातावरण प्रदान करके ही प्राप्त किया जा सकता है।’’
भाषा सुरभि रंजन
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