नई दिल्ली: जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शनिवार को यूक्रेन पर रूस के हमले को ‘बहुत गंभीर’ मामला करार देते हुए कहा कि इससे अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की जड़े ‘हिल’ गई हैं. उन्होंने जोर देकर कहा कि बल के प्रयोग से किसी भी क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने की किसी भी कोशिश को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए.
प्रधानमंत्री किशिदा ने यह टिप्पणी 14वीं भारत-जापान शिखर वार्ता के बाद मीडिया से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में की.
सम्मेलन के बाद यहां जारी संयुक्त बयान में मोदी और किशिदा ने यूक्रेन में हिंसा को तत्काल रोकने का आह्वान किया और विवाद का समाधान बातचीत के जरिये निकालने पर जोर दिया. दोनों नेताओं ने यूक्रेन के परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा के महत्व को भी रेखांकित किया.
बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने संघर्ष पर गंभीर चिंता जताई और खासतौर पर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर इसके वृहद असर का आकलन किया. इसके साथ ही दोनों नेताओं ने यूक्रेन में मानवीय संकट पर भी चर्चा की.
मोदी के साथ 14वें भारत-जापान शिखर सम्मेलन के तहत बातचीत करने के बाद किशिदा ने मीडिया से कहा, ‘मैंने मोदी से कहा है कि एकतरफा तरीके से बल के जरिये यथास्थिति को बदलने की कोशिश को किसी भी क्षेत्र में अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. हम दोनों सभी विवादों का अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत शांतिपूर्ण तरीके से समाधान करने की जरूरत पर सहमत हुए हैं.’
किशिदा ने संवादाताओं से कहा, ‘हमने यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की. यूक्रेन पर रूस का हमला गंभीर मुद्दा है और इसने अंतरराष्ट्रीय प्रणाली की जड़े हिला दी हैं. हमें इस मामले को ‘मजबूत संकल्प’ के साथ देखने की जरूरत है.’
वहीं, मोदी ने अपने संबोधन में प्रत्यक्ष रूप से यूक्रेन पर रूस के हमले का उल्लेख नहीं किया लेकिन भू-राजनीतिक घटनाओं का संदर्भ दिया जिससे नयी चुनौती पैदा हो रही है.
देर रात संवाददाताओं से बातचीत में जापान की प्रेस सचिव हिकारिको ओने ने कहा कि बातचीत के दौरान यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर लंबी चर्चा हुई और जापानी प्रधानमंत्री ने मॉस्को की कार्रवाई के खिलाफ ‘गंभीर निंदा’ को दोहराया और इसे ‘घृणित’ करार दिया.
हिकारिको ने कहा, ‘किशिदा हिरोशिमा से हैं जहां पर परमाणु बम गिराया गया था. उन्होंने कहा कि कोई भी परमाणु खतरा बर्दाश्त नहीं की जा सकती है.’
उन्होंने बताया कि किशिदा ने मोदी से पुतिन पर दबाव बनाने को कहा, ताकि अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को मुक्त और खुला बनाए रखा जा सके.
हिकारिको ने कहा कि किशिदा और मोदी चार बिंदुओं पर सहमत हुए जिनमें दुनिया में कहीं भी बल के आधार पर यथास्थिति को बदलने की कोशिश को स्वीकार नहीं करने और विवाद का शांतिपूर्ण समाधान तलाशना शामिल है.
उन्होंने कहा कि दोनों नेता ‘गतिरोध को तोड़ने’ के लिए तत्काल हिंसा को बंद करने का आह्वान करने और यूक्रेन एवं उसके पड़ोसी देशों का समर्थन करने पर सहमत हुए हैं.
भारत द्वारा रूस से रियायती दर पर कच्चा तेल खरीदने के सवाल पर प्रवक्ता ने कहा, ‘हमें इस खबर की जानकारी है. सम्मेलन में किशिदा ने जापान का रुख रखा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुट होकर (यूक्रेन संकट से निपटने के लिए) कदम उठाना चाहिए.’
चीन की बढ़ती हठधर्मिता पर जापान की प्रेस सचिव ने कहा कि मोदी और किशिदा पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर में एकतरफा तरीके से बल के आधार पर यथास्थिति बदलने की किसी भी कोशिश को मजबूती से विरोध करने पर सहमत हुए.
दोनों नेताओं की बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘दोनों प्रधानमंत्रियों ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और मानवीय संकट पर गंभीर चिंता जताई और वृहद असर का आकलन किया, खासतौर पर हिंद प्रशांत क्षेत्र में.’
बयान में कहा गया, ‘उन्होंने समसमायिक विश्व व्यवस्था को संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, अंतरराष्ट्रीय कानून और देशों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान के आधार पर बनाने पर जोर दिया.’
बयान के अनुसार दोनों नेताओं ने प्रतिबद्धता जतायी कि यूक्रेन में उत्पन्न मानवीय संकट से निपटने के लिए उचित कदम उठाए जाएंगे.
भाषा धीरज सुरेश
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