नई दिल्ली: कर्नाटक में हिजाब विवाद और राज्य के शिवमोगा जिले में बजरंग दल के एक कार्यकर्ता की हत्या, उसके बाद भड़की हिंसा और फिर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों की खबरें इस हफ्ते ज्यादातर उर्दू अखबारों के पहले पन्ने पर छाई रहीं. हालांकि, जैसे-जैसे रूस और यूक्रेन के बीच तनाव चरम पर पहुंचा और अंतत: रूस ने हमला कर दिया, यूरोप का बदलता घटनाक्रम भी लगातार पहले पन्ने की सुर्खियों और संपादकीय में छाया रहा.
दिप्रिंट इस हफ्ते के राउडंअप में आपको बता रहा है कि उर्दू मीडिया में क्या सुर्खियां रहीं.
रूस-यूक्रेन युद्ध
रूस के आक्रामक तेवर और अंततः, यूक्रेन पर हमला कर देना, इस हफ्ते इंकलाब और सियासत दोनों के पहले पन्नों पर सुर्खियों में रहा. इंकलाब ने जहां विश्व बाजारों में गिरावट और निवेशकों के पैसे डूबने पर ध्यान केंद्रित किया, सियासत ने रक्षा प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने के रूसी दावों को तरजीह दी. सियासत ने पहले पेज पर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच मुलाकात पर भी एक खबर छापी, जो कि इमरान की मास्को यात्रा ठीक ऐसे समय पर होने से जुड़ी दी जिस दिन यूक्रेन पर हमला बोला गया. अपने संपादकीय में यह कहते हुए कि पुतिन ने दुनिया पर एक युद्ध थोपा है, सियासत ने तर्क दिया कि अब पूरी दुनिया की जिम्मेदारी है कि वह उन्हें न केवल मानव जीवन और आजीविका पर, बल्कि विश्व अर्थव्यवस्था पर हमले करने से भी रोके.
अपने 23 फरवरी के संपादकीय में रोजनामा राष्ट्रीय सहारा ने लिखा कि यूक्रेन और रूस के बीच बढ़ते तनाव ने दुनिया को तीसरे विश्व युद्ध के कगार पर ला खड़ा किया है, और यह सब ऐसे समय हुआ है जब पूरी दुनिया ने अभी ठीक से महामारी से उबरना भी शुरू नहीं किया और सभी देशों में आम लोग मुश्किलों से जूझ रहे हैं. अखबार ने कहा, पूरी दुनिया के लिए जरूरी है कि इस युद्ध को रोका जाए.
पूरे हफ्ते, यूक्रेन के हालात और रूस के साथ अच्छे संबंधों के मद्देनजर भारत की तरफ से संतुलित रुख अपनाने जैसे घटनाक्रम उर्दू अखबारों के पहले पन्नों पर रहे. 20 फरवरी को इंकलाब ने भारत के संतुलित रुख के लिए रूस की प्रशंसा की. 23 फरवरी को, रोजनामा ने क्रेमलिन सुरक्षा परिषद की बैठक में दिए पुतिन के इस बयान को प्रमुखता से छापा कि रूस ने तनाव घटाने का हरसंभव प्रयास कर लिया है और अब यूक्रेन के विभाजन पर विचार कर रहा है, यहां तक कि रूस ने डोनेट्स्क और लुहान्स्क को स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता भी दे दी.
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कर्नाटक का हिजाब विवाद
राज्य के शिवमोगा जिले में इस हफ्ते बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या को इस विवाद से जोड़कर देखा जा रहा है जिससे कर्नाटक में लड़कियों के हिजाब पहनने को लेकर उठ रहे प्रशासनिक और कानूनी सवालों ने एक अलग ही रंग ले लिया. 25 फरवरी को रोजनामा ने अपने पहले पेज पर जिले में जारी तनाव और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की तरफ से कथित तौर पर समस्या बढ़ाने के लिए भाजपा नेता के.एस. ईश्वरप्पा के खिलाफ कार्रवाई की मांग को प्रमुखता से छापा.
25 फरवरी को अखबार ने एक स्टोरी छापी कि राज्य में बपतिस्मा करा चुकीं सिख लड़कियों को भी कैसे अपनी पगड़ी उतारने को कहा जा रहा है.
23 फरवरी को रोजनामा ने कर्नाटक हाई कोर्ट में राज्य के महाधिवक्ता के बयान का हवाला देते हुए एक स्टोरी प्रकाशित की, जिसमें कहा गया था कि परिसर में हिजाब पहनने पर कोई रोक नहीं है, बल्कि केवल कक्षाओं में जाने पर पाबंदी है. इसने मार दिए गए बजरंग दल कार्यकर्ता हर्ष की बहन का बयान छापा, जिसमें उसने लोगों से इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग न देने की अपील की थी क्योंकि इसी वजह से उनके भाई को अपनी जान गंवानी पड़ी थी.
22 फरवरी को सियासत ने ‘भारत किस रास्ते पर बढ़ रहा…’ शीर्षक के तहत तीन खबरें छापीं—इनमें एक में बताया गया कि बिहार के बेगूसराय में एक महिला को कथित तौर पर बैंक लेनदेन की अनुमति नहीं दी जा रही थी क्योंकि वह बुर्के में थी, दूसरी में उस बयान का जिक्र था जो कर्नाटक सरकार ने अदालत में दिया था कि हिजाब कोई तय धार्मिक प्रथा नहीं है, और तीसरी बिहार के मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह के इस दावे से जुड़ी थी कि देश में हिंदू आबादी घट रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है.
20 फरवरी को रोजनामा ने अपने पहले पन्ने पर कर्नाटक में 58 छात्राओं के हिजाब हटाने से इनकार करने समेत हिजाब विवाद पर दिनभर के घटनाक्रम की जानकारी दी. इसने मैसूर के एक निजी कॉलेज के बारे में भी बताया जिसने अपने यूनिफॉर्म कोड को रद्द करके मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनकर कक्षाओं में आने की अनुमति दे दी.
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विधानसभा चुनाव
ज्यादातर अखबारों ने अपने पहले पन्ने में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के विभिन्न चरणों में होने वाले मतदान से संबंधित खबरें प्रमुखता से छापीं. 24 फरवरी को एक संपादकीय में इंकलाब ने लिखा कि यूपी के मतदाताओं में अपने लोकतांत्रिक अधिकार का इस्तेमाल करने की खासी उत्सुकता दिखी क्योंकि उनमें पिछले पांच वर्षों से अनसुलझे मुद्दों को लेकर नाराजगी है.
सियासत ने अपने 22 फरवरी के संपादकीय में राजनीतिक दलों में सियासी जीत के लिए अदालती फैसलों का इस्तेमाल करने की बढ़ती प्रवृत्ति की आलोचना की. साथ ही आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता पर काबिज रहने के लिए मतदाताओं को धमकाने सहित हर तरह के हथकंडे अपना रही है. 20 फरवरी के मतदान बाद अपने विश्लेषण पर अखबार ने लिखा कि कांग्रेस के लिए अमरिंदर सिंह के बिना पंजाब की सत्ता बचाए रखना आसान काम नहीं है, लेकिन भाजपा की संभावनाएं भी बहुत उज्ज्वल नजर नहीं आती हैं.
लालू और नवाब मलिक पर कानूनी शिकंजा
दो नेताओं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक—पर कानूनी शिकंजा कसने की खबरों को उर्दू प्रेस ने प्रमुखता से कवर किया. 20 फरवरी को इंकलाब ने लिखा कि चारा घोटाले में लालू की मुश्किलें और बढ़ गई हैं. 22 फरवरी को सियासत और इंकलाब ने छापा कि सीबीआई की एक विशेष अदालत ने उन्हें पांच साल की कैद और 60 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है.
मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े कथित मामले में मलिक की गिरफ्तारी की खबर 24 फरवरी को तीनों अखबारों के पहले पन्ने पर थी. रोजनामा ने एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार का एक बयान भी प्रकाशित किया जिसमें कहा गया था कि मलिक को सच बोलने के लिए जेल भेज दिया गया है, और एक अन्य बयान गठबंधन सहयोगी शिवसेना की तरफ से आया, जिसमें कहा गया था कि मंत्री को राजनीतिक कारणों से निशाना बनाया गया है.
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