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Saturday, 28 December, 2024
होमदेश‘सारे नियम-कायदे केवल पक्की दुकानों के लिए हैं’- दिल्ली में ऑड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू से कारोबारी हताश

‘सारे नियम-कायदे केवल पक्की दुकानों के लिए हैं’- दिल्ली में ऑड-ईवन और वीकेंड कर्फ्यू से कारोबारी हताश

सदर बाजार के व्यापारियों ने बाजारों में भीड़ के लिए अवैध फेरीवालों को जिम्मेदार ठहराया है, वहीं, चांदनी चौक के कारोबारियों का कहना है कि यदि नियमों में ढील नहीं दी गई तो वे जनवरी के अंत तक सरकार को लिखेंगे. उनका कहना है कि यह जीने-मरने का सवाल बन गया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली के बाजारों में दुकानें खोलने के लिए ऑड-ईवन नियम और वीकेंड कर्फ्यू- जिसमें गैर-जरूरी सामान बेचने वाली सभी दुकानें बंद रहती हैं- जारी रहने से कारोबारियों में काफी हताशा है और उन्होंने दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) की तरफ से लागू कोविड नियमों के खिलाफ आवाज उठानी शुरू कर दी है.

2020 और 2021 में लॉकडाउन के दौरान भारी नुकसान उठाने के बाद से ही अधिकांश व्यापारी संघ पूरी सक्रियता के साथ सोशल मीडिया पर सरकार के प्रति नाराजगी जता रहे हैं और साथ ही विरोध प्रदर्शन भी कर रहे हैं. इन सभी ने न केवल सरकार को पत्र लिखे हैं, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर अधिकारियों से भी मुलाकात की है. कारोबारी बस यही चाहते हैं कि तात्कालिक तौर पर उन्हें मौजूदा नियमों से कुछ राहत दी जाए.

उनकी कोशिशें शुक्रवार को उस समय कुछ रंग लाती दिखीं, जब दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में कोविड मामलों के आंकड़े और पॉजिटिविटी रेट नीचे आने को देखते हुए ऑड-ईवन नियम हटाने की योजना बनाई है, साथ ही वीकेंड कर्फ्यू को भी हटाने के लिए तैयार है.

सिसोदिया ने कहा, ‘जैसे ही मामले कम होते हैं, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों की आजीविका पर आगे कोई असर न पड़े. लोगों का कारोबार पटरी पर लाने की जरूरत है…महामारी के कारण पहले ही बड़े पैमान पर रोजगार छिना है. ऐसा आगे जारी नहीं रहना चाहिए. इसलिए, कारोबारियों के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार ने सप्ताहांत कर्फ्यू हटाने और बाजारों के लिए ऑड-इवेन नियम खत्म करने की सिफारिश की है.’

हालांकि, सरकार का यह प्रस्ताव दिल्ली के उपराज्यपाल और डीडीएमए प्रमुख अनिल बैजल ने खारिज कर दिया, जिनकी मंजूरी ऐसे किसी भी कार्यकारी फैसले पर अमल के लिए आवश्यक होती है. एलजी कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि शहर में पॉजिटिविटी रेट 20 प्रतिशत से नीचे आने के बाद ही कोविड संबंधी नियमों को चरणबद्ध तरीके से हटाए जाने की संभावना है.

डीडीएमए की तरफ से शुक्रवार को जारी एक आदेश, जिसे दिप्रिंट ने एक्सेस किया है, में कहा गया है कि कोविड संबंधी नियम अभी लागू रहेंगे. हालांकि, इसमें निजी कार्यालयों को 50 प्रतिशत कर्मचारियों की उपस्थिति के साथ काम करने की अनुमति दे दी गई है, जिसका प्रस्ताव दिल्ली सरकार ने रखा था और सिसोदिया ने इसकी घोषणा भी की थी.

बहरहाल, ताजा फैसले ने दिल्ली के व्यापारियों को उसी अनिश्चितता और हताशा के दौर में छोड़ दिया है, जिसमें वे कुछ समय लगातार बने हुए हैं.

छोटे कारोबारियों का प्रतिनिधित्व करने वाले फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन और चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल जैसे व्यापार संघ कह रहे हैं कि बाजारों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों संबंधी नियम त्रुटिपूर्ण हैं.

सदर बाजार एसोसिएशन के कुछ सदस्यों ने इस सप्ताह भी सड़कों पर उतरकर ‘थालियां’ पीटीं और सरकार के ऑड-ईवन नियम और वीकेंड कर्फ्यू के विरोध में काली पट्टियां बांधकर विरोध जताया.


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‘मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ रहा’

कोविड के मामले बढ़ने के बीच सदर बाजार जैसा बाजारों में स्पष्ट तौर पर एक समस्या नजर आ रही है- सप्ताहांत को छोड़ अन्य दिनों में यहां ऐसे लोगों की भीड़ जुटी नज़र आती है जिन्हें सोशल डिस्टेंसिंग जैसे सुरक्षात्मक उपायों की कोई खास परवाह नहीं होती है. यहां मुख्य बाजार में एक हजार से अधिक दुकानें स्थित हैं, मार्केट के दोनों छोर पर बैरिकेडिंग लगी है जो अवैध फेरीवालों को आने से रोकने के लिए है.

लेकिन इसकी गलियों के अंदर बड़ी संख्या फेरीवाले और स्मॉम-टाइम ट्रेडर्स की हो जाती है जो किसी भी तरह से बस अपना माल बेचना चाहते हैं. ऐसी जगह पर कोविड-संबंधी नियमों का पालन कराना अधिकारियों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है. वहीं पाबंदियों के कारण व्यापारियों को अलग ही तरह की समस्याओं से जूझना पड़ रहा है.

एक दुकानदार और फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम अपने कर्मचारियों का भुगतान करने की स्थिति में नहीं हैं. एक दुकान में दो से छह लोग काम करते हैं और उनके लिए आजीविका का संकट उत्पन्न हो गया है.’

उन्होंने कहा, ‘छोटे स्तर के कारोबारियों के लिए मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ने जैसी स्थिति आ गई है, क्योंकि इस समय वह बमुश्किल खाने-पीने लायक ही कमा पाते हैं. लगता है कि सभी नियम ईंट-पत्थर की बनीं हमारी जैसे पक्की दुकानों को ही निशाना बना रहे हैं, ऑनलाइन वाले फल-फूल रहे हैं और हमारी दुकानें सूनी पड़ी हैं.’

फेडरेशन के उपाध्यक्ष कमल कुमार, जो खुद एक व्यापारी हैं, ने कहा कि असली मुद्दा भीड़ को नियंत्रित करने का है. उनके मुताबिक, उन अवैध फेरीवालों के कारण समस्या और बढ़ जाती है जो बाजार क्षेत्र में अपना सामान बेचने आ जाते हैं और खुलेआम नियमों की धज्जियां उड़ाते रहते हैं और इसके लिए जिम्मेदार दुकानदारों को ठहराया जाता है.

कमल कुमार ने कहा, ‘कभी भी निरीक्षण के दौरान दुकानदारों पर तो भारी जुर्माना लगा दिया जाता है लेकिन मूल समस्या का कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा, जब भी अधिकारी निरीक्षण करने आते हैं तो ये अवैध फेरीवाले गायब हो जाते हैं. यह योजना ही गलत है क्योंकि इससे सोशल डिस्टेंसिंग किसी भी तरह से सुनिश्चित नहीं हो रही.’

उन्होंने कहा, ‘लोग इस बाजार में सिर्फ एक दुकान पर जाने के लिए नहीं आते हैं. इस जगह की तस्वीरों में तमाम लोग और भारी भीड़ दिखती है लेकिन उनमें से ज्यादातर अवैध फेरीवाले हैं, ग्राहक नहीं. काफी समय से ग्राहक बाजार में आ ही नहीं रहे हैं, इसलिए बिक्री कम है. ऐसे में अगर एक सप्ताह बाद भी नियमों में कोई ढील नहीं दी गई तो हमें अपनी दुकानों की चाबियां अधिकारियों को सौंप देनी पड़ेंगी और जगह सील करा देनी होगी. क्योंकि इतना ईंधन और मानव संसाधन खर्च करने का कोई मतलब ही नहीं रह गया है.’


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‘कर्फ्यू हटाएं, ऑड-ईवन जारी रखें’

सदर बाजार से महज पंद्रह मिनट की दूरी पर चांदनी चौक इलाका है, जो हर दिन इसी तरह की स्थिति से गुजरता है.

हालांकि, यहां के दुकानदार ऑड-ईवन और कर्फ्यू नियमों का तो आमतौर पर पालन करते हैं और कोविड नीति को लेकर सीधे तौर पर सरकार से भी ज्यादा नाराजगी नहीं जताते हैं.

चांदनी चौक सर्व व्यापार मंडल के प्रमुख संजय भार्गव ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस मामले में अगले रविवार, यानी 30 जनवरी तक इंतजार करेंगे. इसके बाद ही वह मुख्यमंत्री और नागरिक निकायों को नियमों में ढील देने के लिए पत्र लिखेंगे.

भार्गव ने कहा, ‘दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस को अनधिकृत फेरीवालों को हटाने का आदेश दिया, क्योंकि यह सोशल डिस्टेंसिंग सुनिश्चित करने में सबसे बड़ी बाधा है. हम अभी भी कोविड के खिलाफ एक कड़ी जंग लड़ रहे हैं और बतौर नागरिक हमें बेहद सतर्कता बरतने की जरूरत है.’

उन्होंने कहा, ‘इसके साथ ही हमें व्यावहारिक रवैया अपनाना होगा. मेरा मानना है कि हम वीकेंड कर्फ्यू हटा सकते हैं और ऑड-ईवन नियम को जारी रख सकते हैं. एमसीडी को अवैध अतिक्रमण की जांच करनी चाहिए. लोगों की भी जिम्मेदारी है, क्योंकि इस भयावह महामारी के खिलाफ लड़ाई में सिर्फ कानून लागू करना ही एकमात्र उपाय नहीं है.’

चांदनी चौक के नो-हॉकिंग और नो-वेंडिंग जोन होने के मद्देनजर दिल्ली हाई कोर्ट ने गुरुवार को पुलिस और उत्तरी दिल्ली नगर निगम को क्षेत्र से सभी अनधिकृत फेरीवालों और विक्रेताओं को हटाने का निर्देश दिया.

अपना नाम न छापने की शर्त पर चांदनी चौक के एक दुकानदार ने दिप्रिंट को बताया, ‘समस्या पुलिस की तैनाती के साथ भी है, क्योंकि दो-चार पुलिस कांस्टेबलों को करीब एक हजार दुकानों वाले पूरे बाजार का जिम्मा संभालना होता है. वे कितने लोगों को मास्क न पहनने के लिए दंडित कर सकते हैं और अवैध ढंग से दुकानें लगाने वाले कितने लोगों को पकड़ सकते हैं? यह बात हमारी समझ से परे है.’


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‘अधिकारियों को वीडियो भेज रहे, ऑनलाइन भी लिख रहे’

इन दिनों हर तरफ बैरिकेड्स से घिरा नई दिल्ली का कनॉट प्लेस इलाका एकदम वीरान नज़र आता है क्योंकि अधिकांश हाई-एंड ब्रांड्स के शोरूम ऑड-ईवन नियमों का पालन कर रहे हैं. वहीं, पालिका बाजार और जनपथ के आसपास के दुकानदारों में असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है.

जनपथ स्थित एक दुकान के मालिक मनोज कुमार मनोजा का कहना है, ‘दस दिनों में एक महीने की लागत वसूल नहीं हो सकती. हमारे साथ काम करने वाले कई कर्मचारी जुड़े हैं और हम नहीं जानते कि आखिर हमारी बात कौन सुनेगा. ऐसी दुकानें हैं जो ईवन नंबर होने के बावजूद ऑड तारीखों में खुल रही हैं, कोई 24×7 इसकी जांच नहीं करता है. तो क्या यह उन लोगों के साथ न्याय है जो ईमानदारी से नियमों का पालन कर रहे हैं?’

जनपथ ट्रेडर्स एसोसिएशन (जेपीटीए) के संयुक्त सचिव टोनी चावला ने कहा, ‘हमने अधिकारियों से संपर्क करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. यह सब हमारे लिए जीवन-मरण का सवाल बन गया है. हम वीडियो भेज रहे हैं और ऑनलाइन लिख रहे हैं. सभी दुकानदार सक्रिय रूप से ऐसा कर रहे हैं.’

कनॉट प्लेस एरिया के व्यापारी संगठन नई दिल्ली ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल भार्गव ने कहा, ‘पूरी तरह से भ्रम की स्थिति है, हमने इन दो सालों में बहुत आर्थिक नुकसान उठाया है. लेकिन हमारे लिए कोई आर्थिक पैकेज भी नहीं है. हम ईमानदारी से टैक्स भरने वाले नागरिक रहे हैं और अगर हम टूट गए तो कोई रोजगार सृजन भी नहीं होगा. यह अजीब बात है कि सार्वजनिक परिवहन तो पूरे जोर-शोर से चल रहा है और ऐसा लगता है कि केवल दुकानें खुलने से ही कोविड ज्यादा फैलेगा.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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