कोलकाता, दो सितंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल विधानसभा में मंगलवार को उस समय अराजकता देखी गई, जब सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी भाजपा के बीच अन्य राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर कथित हमलों की निंदा करने वाले प्रस्ताव को लेकर टकराव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को “कार्यवाही बाधित करने” के लिए विशेष सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया।
अधिकारी ने कहा कि उन्हें राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रत्य बसु की कथित टिप्पणी के खिलाफ विरोध करने के कारण निलंबित किया गया, जिसमें उन्होंने शहर में तृणमूल कांग्रेस के ‘विरोध मंच’ को सेना द्वारा ध्वस्त करने की आलोचना की थी और पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में पाकिस्तानी सेना के अत्याचारों के साथ इसकी तुलना की थी।
यह नाटकीय प्रदर्शन सेना के अधिकारियों द्वारा रक्षा भूमि पर अतिक्रमण का हवाला देते हुए कोलकाता के मेयो रोड पर गांधी प्रतिमा के पास तृणमूल कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन पंडाल को हटाए जाने के 24 घंटे से भी कम समय बाद हुआ।
नियम 169 के तहत प्रस्ताव पेश करते हुए संसदीय कार्य मंत्री सोभनदेव चट्टोपाध्याय ने भाजपा शासित एक राज्य में प्रवासी श्रमिक को कथित तौर पर प्रताड़ित करने सहित हाल की घटनाओं का हवाला देते हुए “बंगालियों द्वारा सामना किए जा रहे उत्पीड़न” को उजागर किया।
चर्चा के दौरान बसु ने कहा, “जब सेना ने भाजपा शासित राज्यों में बांग्ला भाषी प्रवासियों पर हमलों का विरोध करने के लिए बनाए गए हमारे मंच को गिरा दिया, तो हमारी मुख्यमंत्री स्वयं घटनास्थल पर पहुंचीं।”
बसु ने कहा, “जब सेना ने कल हमारा मंच हटा दिया, तो मुझे 25 मार्च 1971 को ढाका में पाकिस्तानी सेना की गोलीबारी की याद आ गई। इसने मुझे उन लोगों के बलिदान की भी याद दिला दी, जिन्होंने हमारी भाषा और पहचान की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।”
इस टिप्पणी पर भाजपा के सदस्यों ने तत्काल हंगामा शुरू कर दिया।
अधिकारी ने सरकार पर “सेना को बदनाम करने” और एक वैध कृत्य की तुलना पाकिस्तान की क्रूरता से करने का आरोप लगाया।
अधिकारी ने टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग करते हुए कहा, “यह सरकार सिर्फ राजनीतिक लाभ लेने के लिए एक गौरवशाली राष्ट्रीय संस्था को बदनाम कर रही है।”
जब अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने इनकार कर दिया, तो अधिकारी खड़े हो गए, बार-बार कार्यवाही बाधित की और नारे लगाए।
बनर्जी ने कहा, “भाषण में बार-बार बाधा डालने और अपनी सीट छोड़ने के कारण मैं आपको दिन भर के लिए निलंबित करने के लिए बाध्य हूं।” इस पर सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों ने मेजें थपथपाकर इसका समर्थन किया।
बाद में ‘पीटीआई-भाषा’ से बात करते हुए अध्यक्ष ने कहा कि अधिकारी को “इस (विशेष) सत्र के शेष दिनों” के लिए निलंबित कर दिया गया है।
विशेष सत्र बृहस्पतिवार को समाप्त हो रहा है। हालांकि, तीन सितंबर को अवकाश रहेगा, जो ‘करम पूजा’ के कारण राजकीय अवकाश है।
भाजपा विधायकों ने शीघ्र ही सदन से बहिर्गमन किया और नारे लगाने लगे, “हमें यह तुष्टीकरण समर्थक ममता सरकार नहीं चाहिए” तथा “शर्म करो, शर्म करो”।
विधानसभा के द्वार के बाहर अधिकारी ने सत्तारूढ़ पार्टी पर पलटवार करते हुए दावा किया कि उन्हें “अनैतिक तरीके से बाहर निकाला गया है”।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “मुझे निलंबित कर दिया गया, क्योंकि मैंने बसु की भारतीय सेना के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी का विरोध किया था। हम चाहते हैं कि उन टिप्पणियों को हटा दिया जाए।”
भाषा
प्रशांत दिलीप
दिलीप
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