नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने सोमवार को माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर पर अपना खाता खोला. इसे लिखे जाने तक उनके 15.9 हज़ार फॉलोवर बन गए है. भागवत के साथ आरएसएस के शीर्ष छह पदाधिकारियों के ट्विटर पर खातों का वेरिफिकेशन भी हो गया है.
आरएसएस के सूत्रों का दावा है कि इन पदाधिकारियों के वेरिफाइड खातों से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर इनके नाम से फर्जी खाता चलने वालों पर लगाम लगेगी. इसके अलावा ये वेरिफाइड खाते संघ के इन वरिष्ठ नेताओं के नाम पर नकली खातों से निकालने वाली ग़लत सूचना पर भी लगाम लगाने में मदद करेंगे.
हालांकि, एक वरिष्ठ आरएसएस अधिकारी ने कहा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मई में ट्विटर से जुड़ गए थे. अभी तक आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारियों को वेरिफाइड खातों की आवश्यकता महसूस नहीं हुई. जबकि आरएसएस का @RSSorg आधिकारिक हैंडल एकमात्र वेरिफाइड ट्विटर हैंडल था. इसी के जरिए आरएसएस के ज़्यादातर पदाधिकारियों के बयानों को सार्वजनिक किया जाता रहा हैय
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आरएसएस के जो लोग ट्विटर से जुड़े हैं उनमें सबसे अहम नाम मोहन भागवत @DrMohan Bhagwat का है. उनके अलावा आरएसएस के अधिकारियों का ट्विटर हैंडल भी सत्यापित किया गया है. इनमें सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी, कृष्णा गोपाल, वी भगैया, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख अरुण कुमार, अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख अनिरूद्ध देशपांडे शामिल हैं.
भागवत ने पहले भी लोगों के जीवन में सोशल मीडिया की भूमिका को स्वीकार किया है और ये भी पता चला है कि उन्होंने पर कहा था कि राजनीतिक संगठनों में इसका अत्यधिक उपयोग व्यक्ति को आत्म-केंद्रित और अभिमानी बनाता है. हालांकि, उन्होंने कहा कि वो व्यक्तिगत क्षमता में भी सोशल मीडिया पर आएंगे.
युवा भारत के लिए नैरेटिव
ट्विटर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अगुआ कोई और नहीं बल्कि ख़ुद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत बने हैं और यही कारण है कि आरएसएस के पदाधिकारियों का मानना है कि वेरिफाइड हैंडल बातचीत के नए तरीकों को स्वीकार करने की दिशा में एक ठोस कदम है.
संघ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हमने यह सुनिश्चित किया है कि आरएसएस आधुनिक है और समय के साथ ढल गयी है. हम जिला स्तर से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में सोशल मीडिया के प्रति उत्साही को प्रशिक्षण देते हैं. अखिल भारतीय टीम में 25 सदस्य हैं. प्रांत प्रचारक साल में एक बार तीन दिन के लिए मिलते हैं, जहां 60 प्रतिशत समय प्रतिभागियों को नई तकनीक बताने में खर्च होता है.
संघ के कई लोग इसे सोशल मीडिया की दुनिया में संघ के आगमन के रूप में भी देख रहे हैं, जो डिस्कोर्स के निर्माण के अभ्यास में सहयोगी होगा.
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संघ के एक अधिकारी ने कहा, ‘वेरिफाइड हैंडल इन हैंडलों को विश्वसनीयता प्रदान करेगा और युवा भारतीयों के बीच पहुंचकर संचार करने में मदद करेगा.’
गलत सूचना नहीं, सच्चाई सुनिश्चित करें
शीर्ष अधिकारियों के खाते उनके द्वारा चलाये जाएंगे और विभिन्न मुद्दों पर आरएसएस की विचार प्रक्रिया की एक झलक देंगे. हालांकि, आरएसएस में सोशल मीडिया के प्रति उत्साही लोगों के लिए मानक निर्देश जारी किए गए हैं.
संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के अनुसार, प्रशिक्षण के दौरान इसने अपने साथियों को किसी भी फर्जी खबर को पोस्ट नहीं करने के लिए मानक निर्देश दिए हैं. अनौपचारिक भाषा का उपयोग वर्जित है और पोस्ट करने से पहले पदों की सत्यता की जांच की जानी चाहिए.