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Thursday, 25 April, 2024
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संघ खुद का नहीं समाज का वर्चस्व चाहता है : मोहन भागवत

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भागवत ने कॉंग्रेस पार्टी की भूमिका की तारीफ भी की. उन्होंने माना कि “ पार्टी की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका रही और उसने भारत को कई महान हस्तियां भी दी. “

यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने ‘भविष्य का भारत:राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का दृष्टिकोण’ विषय पर आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान के पहले दिन कही.

“समाज में अच्छे कामों के लिए संघ के वर्चस्व की आवश्यकता पड़े, संघ इस स्थिति को वांछनीय नहीं मानता,” उन्होंने कहा. संघ का लक्ष्य है कि समाज के सकारात्मक काम समाज के लोगों द्वारा ही पूरे किए जा सकें ये संघ का लक्ष्य है.

संघ के विचारों का प्रथम स्रोत संघ के संस्थापक ड़ॉ केशव बलिराम हेगडेवार है. भागवत ने कहा और संघ का उद्देश्य है कि व्यक्ति निर्माण के माध्यम से समाज का निर्माण हो.

भागवत का कहना था कि “जब समर्थ संस्कारवान और संपूर्ण समाज का निर्माण हो जाएगा तो वो समाज अपने हित के सभी कार्य स्वयं करने में सक्षम होगा.”

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उन्होंने कहा कि “सभी विचारधारा के लोग संघ के मित्र रहें है. डॉ हेगडेवार के मित्रों में सावरकर से लेकर एम एन रॉय जैसे लोग तक शामिल थे. उन्होंने किसी को पराया माना न संघ किसी को पराया मानता है.”

भागवत ने कॉंग्रेस पार्टी की भूमिका की तारीफ भी की. उन्होंने माना कि “ पार्टी की भारत के स्वतंत्रता संग्राम में बड़ी भूमिका रही और उसने भारत को कई महान हस्तियां भी दी. “

भागवत का कहना था कि संघ की कार्यशैली विश्व में अनूठी है और इसकी तुलना किसी से नहीं की जा सकती. और यही कारण है, कि संघ प्रचार के पीछे नहीं भागता.

उन्होंने कहा कि संघ का उद्देश्य हर गांव, हर गली में नायकों की ऐसे नायकों की कतार खड़ी करना है, जिनसे समाज प्रेरित महसूस करें.

विविधता में एकात्मा

भागवत का कहना था कि समाज में अगर परिवर्तन लाना है तो वो उपर से नहीं आएगा. संघ का एक दूसरा लक्ष्य “भेदरहित और समतामूलक समाज का निर्माण है,” और उन्होंने कहा कि “हमारी विविधता के मर्म में हमारी एकात्मा ही है. विविधता के प्रति सम्मान ही भारत की शक्ति है.”

सरसंघचालक ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, एम एम रॉय, डॉ रबिन्द्र नाथ ठाकुर, डॉ वर्गीज़ कुरियन आदि अनेक लोगों के उदाहरण देते हुए कहा कि इस देश के समाज को अपने प्रति विश्वास जगाने की ज़रूरत है. और ये विश्वास भारत की प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से ही जागृत हो सकता है.

विज्ञान भवन के सभागार में समाज के अलग -अलग क्षेत्र के ख्यातिप्राप्त विशिष्ट लोगों की उपस्थिति थी. कार्यक्रम में कई देशों के राजदूत,लोकेश मुनि ,कई केंद्रीय मंत्री डॉ.हर्षवर्धन, अर्जुन राम मेघवाल, विजय गोयल आदि उपस्थित थे. इनके साथ ही मेट्रो मैन ई.श्रीधरन ,फिल्म जगत की कई हस्तियां मनीषा कोइराला, मालिनी अवस्थी, अन्नू मालिक ,मनोज तिवारी ,नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी भी उपस्थित थे.

संघ की कोशिश है कि वह अपने संगठन और इतिहास पर आमभावना को बदल सके और स्वयं को राजनीति से इतर देश के बारे में सोचने वाले सामाजिक संगठन के रूप में अपने आप को पेश करे. अपनी कट्टर हिन्दुत्व की छवि से निकलने के लिए ही संघ ने विभिन्न राजनीतिक दलों को और राहुल गांधी जैसे नेताओं को न्यौता दिया हालांकि वे वहां नहीं पहुंचे.

Read in English : RSS’ vision of Hindutva is not meant to oppose anyone, says chief Mohan Bhagwat

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