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Thursday, 28 March, 2024
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आरएसएस से जुड़ा स्वदेशी जागरण मंच मोदी सरकार की व्यापार नीतियों के खिलाफ शुरू करेगा प्रदर्शन

स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने ट्वीट कर बताया कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में शनिवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा जाएगा.

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नई दिल्ली : मोदी सरकार 2.0 में पहली बार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का कोई सहयोगी संगठन मुखर होकर सड़क पर उतरने जा रहा है. आर्थिक क्षेत्र में काम करने वाले संघ से जुड़े संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने 16 देशों के बीच प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की प्रक्रिया में भारत के शामिल होने का विरोध किया है. इसके खिलाफ मंच ने देशभर में अभियान चलाने का निर्णय लिया है. मंच की जिला मुख्यालयों पर 12 अक्टूबर को प्रदर्शन कर जिलाधिकारियों के जरिए प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजे जाने की तैयारी है.

मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक अश्विनी महाजन ने ट्वीट कर बताया कि उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद में शनिवार को कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा जाएगा.

दरअसल, क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) के तहत कुल 16 देशों के बीच मुक्त व्यापार समझौता होना है. इन देशों में भारत भी शामिल है. इसी सिलसिले में केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल थाइलैंड के बैंकाक में 11 से 12 अक्टूबर को होने वाली 9वीं क्षेत्रीय विस्तृत आर्थिक साझेदारी (आरसीईपी) की मंत्री स्तरीय बैठक में भाग लेने जा रहे हैं. बैंकाक में 4 नवंबर, 2019 को होने वाली नेताओं की तीसरी शिखर बैठक के पहले यह अंतिम मंत्री स्तरीय बैठक होगी.

पीयूष गोयल के इस बैठक में भाग लेने की भनक लगते ही संघ की संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने केंद्र सरकार के रुख का विरोध करते हुए देशव्यापी अभियान चलाने का फैसला किया है. इसके लिए जिला मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर जिलाधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा जाएगा.

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अश्विनी महाजन आरसीईपी के तहत मुक्त व्यपार समझौते को देश के घरेलू उद्योगों के लिए खतरा मानते हैं. वह उदाहरण देते हुए कहते हैं, ‘चीन 17 करोड़ साइकिल बेच रहा है, भारत मात्र 1.70 करोड़ साइकिल ही बेच पा रहा है. ऐसे में अगर चीन को भारत में आरईसीपी के जरिए फ्री ट्रेड की इजाजत दे दी गई तो पंजाब की साइकिल इंडस्ट्री पूरी तरह से तबाह हो जाएगी.’

बता दें कि आरईसीपी के तहत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के बाजार और छह अन्य देशों के बीच मुक्त व्यापारिक समझौते की प्रक्रिया चल रही है. इसको लेकर बातचीत अंतिम चरण में है. यह समझौता होने पर 10 आसियान देशों- ब्रूनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, म्यांमार, लाओस के साथ भारत, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार का रास्ता खुल जाएगा. कहा जा रहा है कि भारत अगर समझौते में शामिल हुआ तो घरेलू उद्योगों को काफी नुकसान होगा.

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