नई दिल्ली: कथित तौर पर उसे रस्सियों से बांधकर घंटो पीटा गया, उसके बाल काट दिए गए, कई दिनों तक उसे खाना नहीं दिया गया और ठंड में फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया गया- एक साल पहले हरियाणा के एक सीनियर पुलिस अधिकारी के घर पर काम करने वाली एक 23 वर्षीय घरेलू नौकरानी द्वारा बताई गई कहानी ने देश भर में सुर्खियां बटोरीं थीं. लोगों के मन में इसे लेकर काफी गुस्सा भी था.
लेकिन आज, असम के मंगलदोई की रहने वाली 23 साल की यह आदिवासी महिला अपनी बुरी यादों से छुटकारा पाने के लिए जिंदगी में ‘आगे बढ़ गई’ है. उसके परिवार के सदस्यों ने दिप्रिंट को बताया कि उसने मामला वापस लेने के लिए 2.5 लाख रुपये का समझौता स्वीकार किया था. वह शादीशुदा है और दिल्ली में अपने पति के साथ रहती है. उसकी मां ने कहा, ‘हालांकि, सिरदर्द और बुरे सपने अभी भी उसे परेशान करते हैं.’
फरवरी 2022 की हल्की ठंड में असम की इस महिला को उसके मालिकों ने कथित रूप से सर्दियों के कपड़ों या जूतों के बिना घर से बाहर निकाल दिया था. एक पुलिसकर्मी को वह सड़कों पर भटकते हुए मिली थी. उस समय वह पंचकूला में आईपीएस अधिकारी राजेश कालिया और उनकी पत्नी मनीषा के घर में काम करती थी.
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मनीषा पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया, जिसमें गलत तरीके से कैद करना और जान-बूझकर चोट पहुंचाना शामिल है.
राजेश कालिया कथित तौर पर इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम में पुलिस अधीक्षक थे और घटना के समय उन्होंने दूरसंचार का अतिरिक्त प्रभार संभाला हुआ था. उन पर मामला दर्ज नहीं नहीं किया गया था.
मार्च 2021 से फरवरी 2022 तक दंपति के घर में काम करने वाली महिला ने दिप्रिंट से बात करते हुए बताया था कि परिवार की अपेक्षाओं को पूरा नहीं करने के लिए उसे कथित तौर पर किस तरह ‘प्रताड़ित’ किया गया था.
महिला के परिवार के सदस्यों ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि मामले को रफा-दफा करना, इस सबसे छुटकारा पाने का सबसे अच्छा तरीका नजर आया था.
महिला के पिता ने दावा किया कि जिन लोगों के लिए वह काम करती थी, उन्होंने न सिर्फ पैसे देकर समझौता करने की पेशकश की थी, बल्कि एक मोबाइल फोन, दस्तावेजों की वापसी और भोजन खर्च के लिए 20,000 रुपये भी दिए थे.
महिला की मां ने दावा किया, ‘एसपी के दोस्तों में से एक ने हमसे संपर्क किया और कहा कि वे माफी मांगना चाहते हैं और मामले को खत्म करना चाहते हैं.’
वह आगे कहती हैं, ‘हमारे कुछ परिचितों ने हमें समझाया कि वे बड़े और शक्तिशाली लोग हैं. हम उनसे कभी मुकाबला नहीं कर पाएंगे, मामला सालों तक अदालतों में अटका रहेगा और उन्हें सुनवाई के लिए हर समय पंचकुला भागना पड़ेगा.’
दिप्रिंट ने इस पर प्रतिक्रिया लेने के लिए फोन और मैसेज के जरिए राजेश कालिया से संपर्क किया था, लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिला. प्रतिक्रिया मिलने पर रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
मामले से जुड़े एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस बात की पुष्टि नहीं की कि समझौता हुआ था. लेकिन कहा कि महिला ने वास्तव में अपना मामला वापस ले लिया था और पुलिस ने एक क्लोजर रिपोर्ट दायर की थी.
पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘उसने हमारे कॉल का जवाब देना बंद कर दिया है. क्लोजर रिपोर्ट को अदालत द्वारा स्वीकार किए जाने के लिए उसे मजिस्ट्रेट के सामने अपना बयान दर्ज कराना होगा.’
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‘अब, आगे बढ़ने का समय आ गया है’
परिवार ने बताया कि उनकी बेटी ने उन्हें आर्थिक तंगी से बाहर निकालने में मदद करने के लिए घरों में काम शुरू किया था. जैसा कि दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की थी, उसने शुरू में अपने माता-पिता को बताया था कि उसके नियोक्ताओं का उसके साथ काफी अच्छा व्यवहार है. लेकिन बाद में उसे न तो सैलरी दी जा रही थी और न ही घरवालों से बात करने दी जा रही थी. उसे अपने परिवार के फोन का जवाब देना बंद करने के लिए मजबूर किया गया.
हालांकि परिवार ने शुरू में आईपीएस अधिकारी और उनकी पत्नी दोनों पर महिला के साथ बुरा व्यवहार करने का आरोप लगाया था, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि मुख्य रूप से आईपीएस अधिकारी की पत्नी ही इसके लिए जिम्मेदार थी.
असम की इस महिला ने 10वीं क्लास के बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़ दी थी. उसे एक गैर-लाइसेंस एजेंसी के माध्यम से काम पर रखा गया था. महिला ने आरोप लगाते हुए कहा था कि उसके नियोक्ताओं ने उसे बांध कर रखा हुआ था, जबरन उसके बाल काट गए, कई दिनों तक उसे खाना भी नहीं दिया और सर्दियों के दौरान उसे ठंडे फर्श पर सोने के लिए मजबूर किया गया था.
उसने आरोप लगाया था कि पिछले साल 4 फरवरी को उसे घर से निकाल दिया गया था. जब एक पुलिस कांस्टेबल ने उसे सड़कों पर अस्त-व्यस्त हालत में पाया,तो वह उसे पास के एक मंदिर में ले गया और उसके परिवार से संपर्क करने में उसकी मदद की.
उसकी शिकायत के आधार पर, दिल्ली के फतेहपुर बेरी पुलिस स्टेशन में 8 फरवरी को IPC की कई धाराओं के तहत ग़ैर-कानूनी अनिवार्य श्रम, चोरी, गलत तरीके से बंधक बनाने और चोट पहुंचाने सहित कई धाराओं में एक ज़ीरो प्राथमिकी दर्ज की गई थी. मामला आखिर में पंचकुला पुलिस को स्थानांतरित कर दिया गया था.
दिल्ली के फतेहपुर बेरी में रहने वाले उसके माता-पिता ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी बेटी की शादी दिसंबर 2022 में हुई थी और फिलहाल वह नौकरी पर नहीं है.
उसकी मां ने कहा कि उनकी बेटी अतीत को पीछे छोड़ने की कोशिश कर रही है, लेकिन यह हमेशा इतना आसान नहीं होता है.
उसकी मां ने दिप्रिंट को बताया, ‘सब कुछ भूलकर, यह उसके लिए आगे बढ़ने का समय है. उसे अभी भी सिरदर्द होता है और बुरे सपने आते हैं लेकिन हम उसे इससे बाहर निकालने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.’
उसके घाव भले ही भर गए हों, लेकिन आज भी उसके दिल में एक न भूलने वाला दर्द छिपा है. उसकी मां ने कहा कि अपनी यादों से पीछा छुटाने के लिए अब वह ज्यादा घरेलू काम करती है. कई बार तो उसके पैर दुखने लगते हैं. महिला इस मामले में अब कोई भी बात करना पसंद नहीं करती है.
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‘उन्होंने माफी मांगी…’
महिला के माता-पिता ने दिप्रिंट को बताया कि उनकी बेटी के पुलिस में अपनी शिकायत दर्ज कराने के कुछ ही हफ्तों बाद ‘समझौता’ हो गया था.
उन्होंने कहा कि पिछले साल 22 फरवरी को उनकी बेटी और उसके भाई को पंचकूला ले जाने के लिए एक कार भेजी गई थी, जहां उन्हें कथित तौर पर रात बिताने के लिए जगह भी मुहैया कराई गई थी.
महिला की मां ने दावा किया, ‘उन्होंने हमारी बेटी के साथ जिस तरह से व्यवहार किया और जो अपमान सहा, उसके लिए उन्होंने माफी मांगी.’ वह आगे कहती हैं, ‘थोड़ी देर के लिए मान भी ले कि अगर हमारी बेटी ठीक से काम नहीं कर रही थी, तो उन्होंने हमसे संपर्क क्यों नहीं किया। वे उसे क्यों प्रताड़ित करते रहे? ये काफी हैरानी वाली बात है.’
उन्होंने कहा कि ‘उसे या हम में से किसी को भी अदालतों के चक्कर लगाने का अब कोई मतलब नहीं है’.
उन्होंने कहा, ‘हमें यहां जिंदा रहना है.’
उन्होंने दिप्रिंट को बताया कि उनकी बेटी को फिर से कोर्ट आने को कहा गया है. लेकिन वे अभी तक नहीं गए हैं. तर्क की गुंजाइश छोड़े बिना जोरदार तरीके से उन्होंने कहा, ‘हां, हमने ऐसा किया है.’
(अनुवाद: संघप्रिया मौर्या | संपादन: ऋषभ राज )
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