नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) भारत ने बृहस्पतिवार को संकेत दिया कि रूस-भारत-चीन (आरआईसी) तंत्र का पुनरुद्धार तीनों देशों की पारस्परिक सुविधा पर निर्भर करता है।
नयी दिल्ली की यह टिप्पणी चीनी विदेश मंत्रालय द्वारा यह कहे जाने के कुछ घंटों बाद आई है कि बीजिंग आरआईसी तंत्र को पुनर्जीवित करने की रूस की पहल का समर्थन करता है, क्योंकि त्रिपक्षीय सहयोग न केवल तीनों देशों के हित साधता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व की सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए भी जरूरी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘यह परामर्श प्रारूप एक ऐसा तंत्र है जहां तीनों देश आते हैं और अपने हित के वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं।’’
उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जहां तक इस विशेष आरआईसी प्रारूप बैठक के आयोजन का सवाल है, तो यह ऐसा मामला है जिस पर तीनों देश पारस्परिक रूप से सुविधाजनक तरीके से काम करेंगे।’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस समय आरआईसी प्रारूप की किसी बैठक पर सहमति नहीं बनी है और इसके कार्यक्रम पर भी कोई चर्चा नहीं हो रही है।
बीजिंग में चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा, ‘‘चीन-रूस-भारत सहयोग न केवल तीनों देशों के संबंधित हितों की पूर्ति करता है, बल्कि क्षेत्र और विश्व में शांति, सुरक्षा, स्थिरता और प्रगति को बनाए रखने में भी मदद करता है।’’
उन्होंने कहा कि चीन त्रिपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के वास्ते रूस और भारत के साथ संवाद बनाए रखने के लिए तैयार है।
भाषा देवेंद्र शफीक
शफीक
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