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Monday, 1 December, 2025
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मेडिकल कॉलेज को अल्पसंख्यक दर्जे की मांग को लेकर आंदोलन तेज करने का संकल्प लिया

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जम्मू, एक दिसंबर (भाषा) कई हिंदू अधिकार समूहों ने श्री माता वैष्णो देवी मेडिकल कॉलेज को अल्पसंख्यक दर्जा देने की मांग को लेकर अपना प्रदर्शन तेज करने को लेकर सोमवार को प्रस्ताव पारित किया।

समूह यह भी मांग कर रहे हैं कि हाल ही में जारी प्रवेश सूची को बदला जाए, जिसमें अधिकतर मुस्लिम नाम हैं।

यह आंदोलन राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट) के माध्यम से 2025-26 शैक्षणिक सत्र के लिए स्वीकृत 50 एमबीबीएस सीट के लिए 42 मुस्लिम, एक सिख और सात हिंदू अभ्यर्थियों के चयन के बाद हुआ है।

इस आंदोलन का नेतृत्व श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति (एसएमवीएसएस) द्वारा किया जा रहा है, जो कई समान विचारधारा वाले समूहों का एक गठजोड़ है।

एसएमवीएसएस के संयोजक कर्नल सुखवीर मनकोटिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के हालिया नीतिगत फैसलों के खिलाफ एक एकीकृत रणनीति तैयार करने के लिए श्री माता वैष्णो देवी संघर्ष समिति, सनातन धर्म सभा और जम्मू कश्मीर सनातन समाज न्यास का प्रतिनिधित्व करने वाले एक संयुक्त प्रतिनिधिमंडल की आज बैठक बुलाई गई।’

उन्होंने कहा कि नेताओं ने सर्वसम्मति से संकल्प लिया कि जब तक मंदिर बोर्ड की नीतियां ‘हिंदू समुदाय की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं’ के साथ पूरी तरह से संरेखित नहीं हो जातीं, तब तक वे अपना आंदोलन जारी रखेंगे।

महंत रामेश्वर दास ने कहा कि यह आंदोलन उनकी आस्था और उनके अस्तित्व के बारे में है।

समिति के एक अन्य सदस्य महंत राजेश बिट्टू ने मंदिर बोर्ड को दिए गए दान का हिसाब मांगा और आरोप लगाया कि इसका इस्तेमाल केंद्र शासित प्रदेश में बहुसंख्यक समुदाय, मुसलमानों के लाभ के लिए किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘माता वैष्णोदेवी जी के हिंदू भक्तों के दान से वित्तपोषित यह मेडिकल कॉलेज जम्मू कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के बजाय बहुसंख्यक समुदाय को लाभ पहुंचाता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब इन शैक्षणिक संस्थाओं का आचरण सनातन धर्म के सिद्धांतों से भटक जाता है, तो यह गहरी विफलता और विश्वासघात का प्रतीक है। हम इन संस्थानों की धार्मिक शुचिता बनाए रखने के लिए तत्काल सुधार की मांग करते हैं।’’

कर्नल मनकोटिया ने एक ‘लोकप्रिय आंदोलन’ का आह्वान करते हुए कहा, ‘अगर हम राम के पक्ष में नहीं हैं, तो हम किसी काम के नहीं हैं।’

यह समिति लगभग 60 हिंदू दक्षिणपंथी संगठनों का एक समूह है, जो पिछले महीने जारी की गई 2025-26 एमबीबीएस चयन सूची को रद्द करने की मांग कर रहा है।

रियासी जिले के इस मेडिकल कॉलेज के खिलाफ अब तक भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), विश्व हिंदू परिषद (विहिप), बजरंग दल, शिवसेना और डोगरा फ्रंट द्वारा जम्मू और अन्य जगहों पर दर्जनों विरोध प्रदर्शन किए जा चुके हैं।

भाजपा ने जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को एक ज्ञापन सौंपा, जिसमें उनसे एसएमवीडीआईएमई में प्रवेश केवल हिंदू छात्रों तक सीमित रखने और यदि संभव हो तो राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) द्वारा इसकी निगरानी करने का अनुरोध किया गया।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पिछले हफ्ते कहा था कि अगर किसी खास समुदाय तक सीमित करने का इरादा था, तो कॉलेज की स्थापना के समय ही इसे अल्पसंख्यक का दर्जा दिया जाना चाहिए था। उन्होंने कहा, ‘प्रवेश का मानदंड छात्रों की धार्मिक पहचान के बजाय योग्यता होनी चाहिए।’

भाषा अमित पवनेश

पवनेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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