कोहिमा, 26 मार्च (भाषा) नगालैंड और मणिपुर में तेनिमी जनजातियों के शीर्ष निकाय तेनिमी पीपुल्स ऑर्गेनाइजेशन (टीपीओ) ने कहा कि पूर्वोत्तर के दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका पारंपरिक स्वामित्व के जरिए इसका हल तलाशना है।
एक बयान में टीपीओ अध्यक्ष तिमिखा कोजा ने कहा कि वर्ष 2017 में केजोल्त्सा, कोजिरी, काजिंग, जुकोउ के क्षेत्रों में तीन प्रतिस्पर्धी दलों द्वारा ‘‘मध्यस्थता समझौता’’ पर हस्ताक्षर किए पांच साल से अधिक समय हो गया है, जिसमें सभी इस बात से सहमत हैं कि विवाद का हल नगा पारंपरिक तरीके से होगा।
बयान के अनुसार नगालैंड के साउदर्न अंगामी पब्लिक ऑर्गेनाइजेशन (एसएपीओ) और मणिपुर के माओ काउंसिल एवं मारम खुल्लेन इसके लिए प्रतिस्पर्धी दल हैं। बयान में कहा गया है कि तब से टीपीओ ने विभिन्न संचार माध्यम से दोनों राज्यों की सरकारों को स्पष्ट किया कि उसका राज्यों और उसकी सीमाओं के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई इरादा नहीं है, बल्कि वह केवल तेनिमी जनजातियों के भीतर गलतफहमी और विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहा है।
टीपीओ ने आरोप लगाया, ‘‘इन सभी अपीलों और संचार के बावजूद मणिपुर सरकार विवाद के सौहार्दपूर्ण समाधान और सभी संबंधित पक्षों के बीच स्वस्थ संबंधों की बहाली की दिशा में काम कर रहे लोगों के अच्छे इरादों को धता बताने पर तुली हुई है।’’ बयान के मुताबिक, मणिपुर सरकार की यह पूरी तरह से अवहेलना करने की नीति और गलत मंशा प्रतीत होती है, जिसने एसएपीओ को बंद के आह्वान के लिए उकसाया।
इस मुद्दे को लेकर एसएपीओ 23 मार्च से अनिश्चितकालीन बंद कर रहा है। , टीपीओ ने कहा कि शांति और सामाजिक सद्भाव बनाए रखने का सबसे अच्छा तरीका पारंपरिक स्वामित्व का सम्मान करना है और राज्य की सीमाओं पर अधिक नुकसान पहुंचाए बिना समझ बनाने की कोशिश करके विवादों का निपटारा करना है।
इस बीच, दक्षिणी अंगामी क्षेत्रों में बंद का आयोजन कर रहे साउदर्न अंगामी यूथ ऑर्गेनाइजेशन (एसएयूओ) ने कहा कि मणिपुर सरकार द्वारा केजोल्त्सा में विवादित क्षेत्र से अपने सशस्त्र बलों को वापस लेने के बाद उसकी मूल संस्था बंद के आह्वान को वापस ले लेगी।
कोहिमा जिले के किगवेमा गांव के किमिपफुफे मैदान में एसएयूओ के अध्यक्ष मेतेख्रीली मेजुरा ने पत्रकारों से कहा कि उन्हें आश्चर्य है कि मणिपुर सरकार अपनी सेना को हटाने से क्यों हिचकिचा रही है, जिन्होंने केजोल्त्सा पर ‘‘अवैध रूप से कब्जा’’ किया है।
मेजुरा ने कहा, ‘‘सशस्त्र कर्मियों को वापस बुलाने और अन्य गतिविधियों को रोकने के लिए सभी विनम्र प्रयासों के बावजूद, उन्होंने कभी भी किसी भी तरह से ध्यान नहीं दिया। यही कारण है कि हम अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान करके इस मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरे हैं।’’
भाषा सुरभि संतोष
संतोष
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.