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Sunday, 5 May, 2024
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भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने के फैसले के खिलाफ मिजोरम विधानसभा में प्रस्ताव पारित

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आइजोल, 28 फरवरी (भाषा) मिजोरम विधानसभा में बुधवार को एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें केंद्र के भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और दोनों देशों के बीच मुक्त आवगमन व्यवस्था (एफएमआर) को रद्द करने के फैसलों का विरोध किया गया।

प्रस्ताव राज्य के गृहमंत्री के. सपडांगा ने पेश किया और केंद्र से इन फैसलों पर पुनर्विचार करने की अपील की।

इसने केंद्र सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया कि जो जानजाति के लोग, ‘‘जोकि विभिन्न देशों में विभाजित हैं, एक प्रशासनिक इकाई के तहत एकीकृत हों।’’

प्रस्ताव को आगे बढ़ाते हुए, सपडांगा ने कहा कि जो जातीय लोग सदियों से मिजोरम और म्यांमा की चिन पहाड़ियों में बसे हुए हैं और अपने प्रशासन के तहत एक साथ रहते थे। लेकिन अंग्रेजों द्वारा क्षेत्र पर कब्जा किए जाने के बाद उन्हें भौगोलिक रूप से बांट दिया गया।

उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने भारत-म्यांमा सीमा का सीमांकन किया और जो जातीय लोगों की भूमि को दो देशों में विभाजित कर दिया।

गृहमंत्री ने कहा, ‘‘जो जातीय लोग भारत-म्यांमा सीमा को स्वीकार नहीं कर सकते, जो उन पर अंग्रेजों द्वारा थोपी गई है। वे किसी दिन एक प्रशासनिक इकाई के तहत एक होने का सपना देख रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाना या एफएमआर को खत्म करना मौजूदा सीमा को सुदृढ़ करेगा और यह जो जातीय लोगों के लिए अस्वीकार्य है।

उन्होंने कहा कि मिजोरम सरकार को अभी तक केंद्र की योजना के बारे में आधिकारिक सूचना नहीं मिली है। लेकिन मीडिया में आई खबरों और केंद्रीय मंत्रियों के बयानों से यह स्पष्ट है कि केंद्र भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाने और म्यांमा के साथ मौजूदा एफएमआर को निलंबित करने की योजना बना रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने छह फरवरी को घोषणा की थी कि भारत-म्यांमा सीमा पर बाड़ लगाई जाएगी। दो दिन बाद, आठ फरवरी को उन्होंने कहा कि केंद्र ने देश की आंतरिक सुरक्षा और पूर्वोत्तर राज्यों की जनसांख्यिकीय संरचना को बनाए रखने के लिए भारत-म्यांमा के बीच मुक्त आवाजाही व्यवस्था (एफएमआर) को खत्म करने का फैसला किया है।

सपडांगा ने आरोप लगाया कि हालिया फैसले मुख्य रूप से मणिपुर सरकार की मांगों से प्रेरित हैं।

लंबी चर्चा के बाद विधानसभा ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इस दौरान मुख्यमंत्री लालदुहोमा और विपक्षी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) के नेता लालछंदामा राल्ते भी उपस्थित थे।

चार भारतीय राज्यों – मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमा म्यांमा से लगती है जिसकी लंबाई करीब 1,643 किलोमीटर है। मिजोरम, म्यांमा के चिन राज्य के साथ 510 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है और मिजो लोग के चिन लोगों के साथ जातीय संबंध हैं।

भाषा धीरज शफीक

शफीक

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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