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Thursday, 26 December, 2024
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केरल के बचाए गए पर्वतारोही ने कहा, पवर्तारोहण जारी रखूंगा

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पलक्कड़(केरल), 11 फरवरी (भाषा) पर्वत चोटी की दरार में फंसने के बाद सेना द्वारा बचाए गए केरल के 23 वर्षीय पर्वतारोही आर बाबू ने कहा कि वह आगे भी पर्वतारोहण जारी रखेंगे। सेना के सांस थमा देने वाले अभियान के तहत हाल ही में बाबू को बचाया गया। लेकिन बाबू ने शुक्रवार को कहा कि पर्वतारोहण उनका जूनून है।

बाबू ने कहा कि तीक्षण ढलान वाली दरार में फंसने के बाद उन्हें इस बात का यकीन था कि उन्हें कोई बचाने जरूर आएगा। पलक्कड़ में संवाददाताओं से बाबू ने कहा, ‘‘मैं डरा नहीं था, चोटी एक छोटी गुफा की तरह थी। जब बाहर बहुत गर्मी या बहुत अधिक ठंड पड़ती है, तो मैं इस तरह की दरारों में रेंगकर घुसने और फिर किसी के बुलाने पर इससे निकलने का अभ्यस्त रहा हूं।’’ इस युवा पर्वतारोही को शुक्रवार की सुबह जिला अस्पताल से छुट्दी दे दी गई। चिकित्सकों ने बाबू की हालत को स्थिर बताया, लेकिन उन्हें कम से कम एक हफ्ते का आराम करने की सलाह दी।

यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें इस बात का अहसास था कि उनको बचाने का अभियान टीवी चैनल के लिए ब्रेकिंग समाचार था। इस पर बाबू ने कहा कि उन्हें इसके बारे में पता नहीं था, लेकिन उन्हें यकीन था कि कोई उन्हें सुरक्षित निकालने के लिए आएगा। बाबू ने कहा, ‘‘मोबाइल फोन की बैटरी शाम तक खत्म हो गई। लेकिन इसके पहले मैं कुछ सेल्फी लेने में कामयाब रहा और इसे अपने दोस्तों को भेजकर बताया कि मैं फंसा हुआ हूं। मैंने अग्निशमन कर्मियों को संदेश देने की भी कोशिश की।’’ बाबू ने दो अन्य लोगों के साथ गत सोमवार को चेराड की पर्वतीय चोटी पर चढ़ने का फैसला किया था, लेकिन अन्य दो ने प्रयास को बीच में ही छोड़ दिया। बाबू चोटी पर चढ़ते रहे और शीर्ष पर पहुंच भी गए, लेकिन इस दौरान वह फिसलकर चट्टानों के बीच फंस गए।

शुरुआत में दरार से हेलीकॉप्टर के जरिये उन्हें निकालने के असफल अभियान पर बाबू ने कहा कि यह संभव नहीं था, क्योंकि इसके पंख चट्टान से टकराते। केरल में पलक्कड़ जिले के मलमपुझा इलाके एक की चोटी की दरार में लगभग दो दिनों तक फंसे रहने के बाद सेना का बचाव दल बाबू तक पहुंचने में सफल रहा। उन्हें भोजन और पानी उपलब्ध कराने कराने के बाद बुधवार सुबह तक उन्हें सुरक्षित निकाल लिया गया। मद्रास रेजिमेंटल सेंटर (एमआरसी) की एक विशेषज्ञ पर्वतारोहण टीम ने उन्हें बचाया। इस दौरान सेना ने पैराशूट रेजिमेंटल सेंटर, बंगलुरु और मद्रास रेजिमेंटल सेंटर, वेलिंगटन के पर्वतारोहियों और विशेषज्ञों की दो टीमों को तैनात किया था।

भाषा संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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