उत्तराखंड के तपोवन सुरंग में रेस्क्यू जारी, लोगों को निकालने के लिए सुराख को किया जा रहा है चौड़ा
एनटीपीसी अधिकारी ने कहा कि धौलीगंगा के प्रवाह को बहाल करने का कार्य भारी मशीनों के जरिए शुरू किया जा चुका है. प्रभावित इलाकों से अब तक 38 शव बरामद किये गये हैं जबकि 166 अभी भी लापता हैं.
जोशीमठ (उत्तराखंड): उत्तराखंड में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की गाद से भरी सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक पहुंचने के लिए एक सहायक सुरंग में किये गये सुराख को बचाव टीमों ने शनिवार को और चौड़ा करना शुरू कर दिया.
पिछले रविवार को अचानक आई बाढ़ के बाद वहां 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है.
नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) परियोजना के महाप्रबंधक आर पी अहिरवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम सुरंग में फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए तीन रणनीति पर काम कर रहे हैं. कल किये गये सुराख को एक फुट चौड़ा किया जा रहा है, ताकि गाद से भरी सुरंग के अंदर उस स्थान तक कैमरा और एक पाइप पहुंच सके जहां लोगों के फंसे होने की आशंका है.’
उन्होंने कहा कि एक फुट परिधि वाला सुराख एक कैमरा एवं पाइप भेजने और फंसे हुए लोगों के स्थान का पता लगाने में मदद करेगा. सुरंग के अंदर जमा पानी को इस पाइप के जरिए बाहर निकाला जाएगा.
उन्होंने कहा कि दो अन्य रणनीति के तहत एनटीपीसी बैराज की गाद वाली बेसिन को साफ किया जा रहा है जिसकी गाद लगातार सुरंग में जा रही है. साथ ही, धौलीगंगा की धारा को फिर से दायीं ओर मोड़ा जाएगा, जो कि अचानक आई बाढ़ के चलते बायीं ओर मुड़ गई थी और जिससे गाद हटाने के कार्य में बाधा आ रही है.
अहिरवाल ने फंसे हुए लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता बताते हुए कहा कि एनटीपीसी ने अपने 100 से भी अधिक वैज्ञानिकों को इस कार्य में लगाया है.
यह पूछे जाने पर कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक बचावकर्मियों को भी सुराख के जरिए भेजने की कोशिश की जा सकती है, महाप्रबंधक ने कहा कि इस सुराख को और अधिक चौड़ा करने की जरूरत होगी और जरूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के लिए जरूरी सभी संसाधन और यांत्रिक उपकरण परियोजना स्थल पर उपलब्ध हैं.
हालांकि, उन्होंने सुरंग के अंदर की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम एक समय पर कुछ मशीनों के जरिए ही कार्य कर सकते हैं. शेष को तैयार रखना होगा क्योंकि हमारी रणनीति चौबीसों घंटे अभियान जारी रखने की है.’
उन्होंने कहा कि आपदा में परियोजना के कई अनुभवी कर्मी लापता हो गये और काम पर रखे गये लोग नये हैं लेकिन फिर भी वे लोग पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं.
एनटीपीसी अधिकारी ने कहा कि धौलीगंगा के प्रवाह को बहाल करने का कार्य भारी मशीनों के जरिए शुरू किया जा चुका है. प्रभावित इलाकों से अब तक 38 शव बरामद किये गये हैं जबकि 166 अभी भी लापता हैं.
डीआईजी नीलेश आनंद भारने ने कहा कि मृतकों में 11 की पहचान की जा चुकी है. आपदा से प्रभावित इलाकों से शवों के 18 हिस्से भी बरामद किये गये हैं, जिनमें से 10 के डीएनए नमूने लेने के बाद उनकी अंत्यष्टि कर दी गई.
यहां स्थित राज्य आपात अभियान केंद्र ने कहा कि इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने रिषीगंगा के हवाई सर्वेक्षण में यह पाया है कि हिमस्खलन के चलते बनी झील से पानी का बाहर प्रवाह होना शुरू हो गया है, जिससे इसके तटबंध के टूटने और फिर से अचानक बाढ़ आने की आशंका कम हो गई है.
इस झील को लेकर शुक्रवार को विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई थी.
जोशीमठ (उत्तराखंड): उत्तराखंड में एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की गाद से भरी सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक पहुंचने के लिए एक सहायक सुरंग में किये गये सुराख को बचाव टीमों ने शनिवार को और चौड़ा करना शुरू कर दिया.
पिछले रविवार को अचानक आई बाढ़ के बाद वहां 30 से अधिक लोगों के फंसे होने की आशंका है.
नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) परियोजना के महाप्रबंधक आर पी अहिरवाल ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हम सुरंग में फंसे हुए लोगों तक पहुंचने के लिए तीन रणनीति पर काम कर रहे हैं. कल किये गये सुराख को एक फुट चौड़ा किया जा रहा है, ताकि गाद से भरी सुरंग के अंदर उस स्थान तक कैमरा और एक पाइप पहुंच सके जहां लोगों के फंसे होने की आशंका है.’
उन्होंने कहा कि एक फुट परिधि वाला सुराख एक कैमरा एवं पाइप भेजने और फंसे हुए लोगों के स्थान का पता लगाने में मदद करेगा. सुरंग के अंदर जमा पानी को इस पाइप के जरिए बाहर निकाला जाएगा.
उन्होंने कहा कि दो अन्य रणनीति के तहत एनटीपीसी बैराज की गाद वाली बेसिन को साफ किया जा रहा है जिसकी गाद लगातार सुरंग में जा रही है. साथ ही, धौलीगंगा की धारा को फिर से दायीं ओर मोड़ा जाएगा, जो कि अचानक आई बाढ़ के चलते बायीं ओर मुड़ गई थी और जिससे गाद हटाने के कार्य में बाधा आ रही है.
अहिरवाल ने फंसे हुए लोगों की जान बचाने को प्राथमिकता बताते हुए कहा कि एनटीपीसी ने अपने 100 से भी अधिक वैज्ञानिकों को इस कार्य में लगाया है.
यह पूछे जाने पर कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों के संभावित स्थान तक बचावकर्मियों को भी सुराख के जरिए भेजने की कोशिश की जा सकती है, महाप्रबंधक ने कहा कि इस सुराख को और अधिक चौड़ा करने की जरूरत होगी और जरूरत पड़ने पर ऐसा किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि बचाव अभियान के लिए जरूरी सभी संसाधन और यांत्रिक उपकरण परियोजना स्थल पर उपलब्ध हैं.
हालांकि, उन्होंने सुरंग के अंदर की परिस्थितियों का जिक्र करते हुए कहा, ‘हम एक समय पर कुछ मशीनों के जरिए ही कार्य कर सकते हैं. शेष को तैयार रखना होगा क्योंकि हमारी रणनीति चौबीसों घंटे अभियान जारी रखने की है.’
उन्होंने कहा कि आपदा में परियोजना के कई अनुभवी कर्मी लापता हो गये और काम पर रखे गये लोग नये हैं लेकिन फिर भी वे लोग पूरे समर्पण के साथ काम कर रहे हैं.
एनटीपीसी अधिकारी ने कहा कि धौलीगंगा के प्रवाह को बहाल करने का कार्य भारी मशीनों के जरिए शुरू किया जा चुका है. प्रभावित इलाकों से अब तक 38 शव बरामद किये गये हैं जबकि 166 अभी भी लापता हैं.
डीआईजी नीलेश आनंद भारने ने कहा कि मृतकों में 11 की पहचान की जा चुकी है. आपदा से प्रभावित इलाकों से शवों के 18 हिस्से भी बरामद किये गये हैं, जिनमें से 10 के डीएनए नमूने लेने के बाद उनकी अंत्यष्टि कर दी गई.
यहां स्थित राज्य आपात अभियान केंद्र ने कहा कि इंडियन इस्टीट्यूट ऑफ रिमोट सेंसिंग के वैज्ञानिकों ने रिषीगंगा के हवाई सर्वेक्षण में यह पाया है कि हिमस्खलन के चलते बनी झील से पानी का बाहर प्रवाह होना शुरू हो गया है, जिससे इसके तटबंध के टूटने और फिर से अचानक बाढ़ आने की आशंका कम हो गई है.
इस झील को लेकर शुक्रवार को विशेषज्ञों की चिंता बढ़ गई थी.