महाकुंभ नगर (उप्र), 17 फरवरी (भाषा) प्रयागराज महाकुंभ में सोमवार को उत्तर और दक्षिण भारत की संस्कृतियों का संगम देखने को मिला। काशी तमिल संगमम के प्रतिनिधियों का सोमवार को यहां आगमन हुआ और 200 प्रतिनिधियों ने संगम में डुबकी लगाई।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, प्राचीन भारत में शिक्षा और संस्कृति के दो महत्वपूर्ण केंद्रों वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करने के क्रम में आयोजित काशी तमिल संगमम 3.0 का पहला दल सोमवार को प्रयागराज महाकुंभ पहुंचा।
दक्षिण भारतीय अतिथियों के प्रथम दल का मेला एवं जिला प्रशासन ने भव्य स्वागत किया। महाकुंभ नगर के सेक्टर-22 स्थित कुंभ रिट्रीट टेंट सिटी में उनका शानदार स्वागत किया गया। अतिथियों ने त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाई और पूजा अर्चना की।
काशी तमिल संगमम का उद्देश्य दो संस्कृतियों में निकटता लाना और उसे मजबूत करना है। काशी तमिल संगमम का तीसरा संस्करण दो महत्वपूर्ण आयोजनों के साथ विशिष्ट हो गया जिसमें एक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन है तो दूसरा अयोध्या में श्री राम मंदिर में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा।
तमिलनाडु के पंरूति शहर से तमिल संगमम में शामिल हुए श्रीधर राधाकृष्णन ने कहा कि महाकुंभ का यह आयोजन अपने आप में अद्भुत और दिव्य है और त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर दिव्य अनुभूति हुई है।
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई से आए शोध छात्र नारायणमूर्ति का कहना है कि महाकुंभ उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सांस्कृतिक संगम का ही नहीं बल्कि वैश्विक संस्कृति और बंधुत्व का मिलन स्थल है।
काशी तमिल संगमम के अतिथियों को संगम स्नान के बाद लेटे हनुमान जी, शंकर विमान मंडपम में दर्शन करना था, लेकिन महाकुंभ में उमड़े जन सैलाब को देखते हुए यह संभव नहीं हो सका। डिजिटल कुंभ प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद अतिथियों का पहला दल अयोध्या धाम के लिए प्रस्थान कर गया।
भाषा
राजेंद्र, रवि कांत रवि कांत
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