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Friday, 15 November, 2024
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अगले 12 सालों में दुनिया की 51% से ज्यादा आबादी में बढ़ेगा मोटापा: वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन रिपोर्ट

हर साल 4 मार्च को वर्ल्ड ओबेसिटी डे मनाया जाता है. एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में तेज़ी से मोटापा बढ़ रहा है, जिसका असर बच्चों में सबसे अधिक हो रहा है.

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नई दिल्ली: मोटापे के विश्व स्तर पर बढ़ने के अनुमान के साथ ही दुनियाभर में 2035 तक आधी से अधिक आबादी वजन बढ़ने या मोटापे से ग्रस्त होने वाली है. वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की हाल ही में आई एक रिपोर्ट में यह जानकारी मिली है.

विश्व स्तर पर लगभग 2.6 बिलियन लोग (वैश्विक जनसंख्या का 38%) पहले से ही अधिक वजन वाले या मोटे हैं लेकिन वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन के एटलस-2023 के मुताबिक, अगले 12 वर्षों के भीतर दुनिया के 4 बिलियन (51%) से अधिक लोग मोटे या अधिक वजन वाले होंगे.

फेडरेशन स्वास्थ्य, वैज्ञानिक, रिसर्च और अभियान समूहों का एक संगठन है और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) सहित विभिन्न वैश्विक एजेंसियों के साथ मिलकर मोटापे पर काम करता है. यूके में इसके सदस्यों में एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ओबेसिटी शामिल है.

अस्वस्थ भोजन के प्रचार पर टैक्स और लिमिटेशन जैसी रणनीति के व्यापक उपयोग के बिना, मोटे लोगों की संख्या आज हर सात में से एक व्यक्ति से बढ़कर 2035 तक हर चार में से एक व्यक्ति तक पहुंच जाएगी. अगर ऐसा होता है तो दुनिया भर में लगभग 2 अरब लोग मोटापे के साथ जी रहे होंगे.

रिपोर्ट में पाया गया कि बच्चों और कम आय वाले देशों में मोटापे की दर विशेष रूप से तेज़ी से बढ़ रही है. मौजूदा स्थिति के हिसाब से उच्च बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का आर्थिक प्रभाव सालाना 4.32 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है.

रिपोर्ट के लेखकों ने कहा कि इसकी दर 2019 में 1.96 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2035 तक 4.32 ट्रिलियन डॉलर होगी जो कि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के 3% के बराबर होगा- यह राशि कोविड-19 द्वारा किए गए आर्थिक नुकसान के बराबर है.

डॉक्टरों का मानना है कि मोटापा आज दुनिया के सामने सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है, जो 800 मिलियन लोगों को प्रभावित कर रहा है और लाखों लोगों की जान को इससे जोखिम है.


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बच्चों में अधिक नुकसान

वर्ल्ड ओबेसिटी फेडरेशन की प्रेसिडेंट लुईस बाउर ने इस डेटा को “स्पष्ट चेतावनी” के रूप में वर्णित करते हुए कहा कि स्थिति को बिगड़ने से रोकने के लिए नीति निर्माताओं को कार्रवाई करने की ज़रूरत है.

वयस्कों की तुलना में बच्चों और युवाओं में मोटापा निश्चित रूप से तेजी से बढ़ रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, 2035 तक इस दर के दोगुनी होने की उम्मीद है.

18 वर्ष से कम आयु के लड़कों में मोटापे की 100% की वृद्धि होने की उम्मीद है, जिससे 208 मिलियन लड़के प्रभावित होंगे, लेकिन इससे भी अधिक तेजी से उसी उम्र की 125% लड़कियां (175 मिलियन) प्रभावित होंगी.

लुईस ने कहा, “बच्चों और किशोरों में मोटापे की दर सबसे तेजी से बढ़ते हुए देखना विशेष रूप से चिंताजनक है.”

लुईस ने कहा कि 1975 के बाद से किसी भी देश में मोटापे के प्रसार में गिरावट नहीं देखी गई है. इसमें बच्चों की मोटापे की दर भी शामिल है. “इसका मतलब है कि ज्यादातर किशोर अब पुरानी बीमारी के लिए स्थापित जोखिम कारकों के साथ वयस्कता में प्रवेश करते हैं- वे टाइप-2 मधुमेह विकसित करने की अधिक संभावना रखते हैं, या उनमें हृदय रोग जोखिम कारक, आर्थोपेडिक समस्याएं, अनिद्रा की समस्या या फैटी लीवर रोग भी विकसित हो रहे हैं.”

मैक्स इंस्टीट्यूट ऑफ मिनिमल एक्सेस, बेरियाट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के निदेशक डॉ विवेक बिंदल ने दिप्रिंट से कहा, “हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर और अन्य पुराने रोगों जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस, लीवर, किडनी से संबंधित रोग, अनिद्रा, डिप्रेशन में इसका महत्वपूर्ण योगदान है. यह हाल के वर्षों में पैंडेमिक बन गया है और खासकर मध्यम आयु वर्ग की आबादी के बीच इससे मृत्यु दर में वृद्धि हुई है.”

बिंदल आगे कहते हैं कि नींद के पैटर्न में बदलाव, गलत समय पर खाना इसके सबसे बड़े कारण हैं. ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज के अनुसार, यह मुद्दा महामारी के अनुपात में बढ़ गया है, 2017 में अधिक वजन या मोटापे के कारण हर साल 4 मिलियन से अधिक लोग मर रहे हैं.


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गरीब देशों के पास संसाधन नहीं

फेडरेशन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया के कई सबसे गरीब देश मोटापे में सबसे तेज वृद्धि का सामना कर रहे हैं, फिर भी वे इस बीमारी का सामना करने के लिए कम से कम तैयार हैं.

आने वाले वर्षों में सबसे बड़ी वृद्धि का अनुभव करने वाले 10 देशों में से नौ अफ्रीका और एशिया में निम्न या मध्यम आय वाले देश हैं.

मोटापे का कुल आर्थिक प्रभाव उच्च आय वाले देशों में 2060 तक चार गुना और कम संसाधन सेटिंग में 12 से 25 गुणा बढ़ने का अनुमान है.

फेडरेशन के विज्ञान निदेशक राचेल जैक्सन लीच ने चेतावनी दी कि ठोस कार्रवाई के बिना, कम और मध्यम आय वाले देश जो मोटापे से निपटने में कम सक्षम हैं, उन्हें बड़े परिणाम भुगतने होंगे.

रिपोर्ट अपने आकलन के लिए बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) का उपयोग करती है. इस संख्या की गणना किसी व्यक्ति के वजन को किलोग्राम में मीटर वर्ग में उनकी ऊंचाई से विभाजित करके की जाती है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों के अनुसार, 25 से अधिक बीएमआई वाले लोगों को अधिक वजन वाला माना जाता है, जबकि जिन लोगों का बीएमआई कम से कम 30 होता है उन्हें मोटापे से ग्रस्त माना जाता है. सबूत बताते हैं कि मोटापा किसी के लिए कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों के जोखिम को बढ़ाता है.

हालांकि, लेखकों ने कहा कि वे व्यक्तियों को दोष नहीं दे रहे, लेकिन स्थितियों में शामिल सामाजिक, पर्यावरणीय और जैविक कारकों पर ध्यान केंद्रित करने का आह्वान करना चाहते हैं.

फेडरेशन का मानना है कि बढ़ते स्वास्थ्य और आर्थिक संकट से निपटने के लिए देशों को “मजबूत अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया” के हिस्से के रूप में “महत्वाकांक्षी और समन्वित कार्रवाई” करने की आवश्यकता है.

बाउर ने कहा, “दुनिया भर की सरकारों और नीति निर्माताओं को स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक लागत को युवा पीढ़ी पर डालने से बचने के लिए हर संभव प्रयास करने की जरूरत है.”

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व स्तर पर बढ़ता मोटापा जलवायु आपातकाल, कोविड प्रतिबंधों और रासायनिक प्रदूषकों के साथ-साथ अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों की संरचना और प्रचार और खाद्य उद्योग के व्यवहार जैसे कारकों से प्रेरित हो रहा है.

डॉ. बिंदल ने कहा कि लोगों को मोटापे और इससे संबंधित नकारात्मक स्वास्थ्य परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है. अधिकारियों, डॉक्टरों और चिकित्सकों द्वारा एक स्वस्थ जीवन शैली, खाने की आदतों और शारीरिक गतिविधि के लाभों को बढ़ावा दिया जाना चाहिए.


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