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Wednesday, 20 November, 2024
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‘बॉयज़ लॉकर रूम’ याद है? 2020 के इस मामले में सुनवाई अभी शुरू नहीं हुई है, फाॅरेंसिक रिपोर्ट का इंतजार

इंस्टाग्राम ग्रुप पर 3 साल पहले जिसमें कथित तौर पर दक्षिण दिल्ली के प्रमुख स्कूलों के किशोर लड़के शामिल थे. इस ग्रुप पर 'आपराधिक और अश्लील' सामग्री प्रचारित करने के लिए रिपोर्ट किया गया था और उसक सदस्यों से पूछताछ की गई थी.

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नई दिल्ली: यदि आप 2020 मई में सुर्खियों में आए ऑनलाइन ग्रुप “बॉयज़ लॉकर रूम” को खोजेंगे, तो वो बड़ी आसानी से मिल जाएगा. यही नहीं कई खाते खुल जाएंगे जिसमें – कुछ प्राइवेट, कुछ ओपन और एक का बायोडाटा खुद को “फेमिनिस्ट” बताता है.

इंस्टाग्राम पर 50 सदस्यीय ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप, जिसमें कथित तौर पर दक्षिणी दिल्ली के प्रमुख स्कूलों के किशोर लड़के शामिल थे, उस समय कथित तौर पर आपराधिक, अश्लील और अनुचित सामग्री के लिए रिपोर्ट किया गया था.

तब से अब तक इस बात को तीन साल बीत चुके हैं, और ग्रुप के सदस्यों से जब्त किए गए 27 मोबाइल फोन का डेटा अभी तक रिकवर नहीं किया जा सका है. इसके अलावा, उपकरणों के फाॅरेंसिक विश्लेषण की रिपोर्ट भी प्राप्त नहीं हुई है.

मामले की फाइलें अब पुलिस अधिकारियों की हार्ड ड्राइव और डायरी इंट्री में कहीं पीछे हो चुकी हैं जिसे छुआ भी नहीं गया है. मामले की सुनवाई भी लंबित है.

दिल्ली पुलिस साइबर सेल, जिसने मामले का स्वत: संज्ञान लिया और प्राथमिकी दर्ज की, ने मई 2020 में ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप के 27 कथित सक्रिय सदस्यों – 12 नाबालिगों और 15 वयस्कों – से पूछताछ की थी और जांच के लिए उनके फोन जब्त कर लिए थे. ग्रुप के एडमिन, 18 साल के एक नोएडा के लड़के को भी गिरफ्तार किया गया था और उसी दिन, 5 मई, 2020 को जमानत दे दी गई थी.

बाल कल्याण समिति द्वारा एक 15 वर्षीय नाबालिग को भी उसके माता-पिता के साथ बुलाया गया था, पूछताछ की गई और सलाह दे कर उसे वापस उसके माता-पिता को सौंप दिया गया. लेकिन किसी को भी बाल सुधार गृह में नहीं भेजा गया.

पुलिस जांच के दौरान बाद में पाया गया कि इंस्टाग्राम पर निजी ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप में किसी भी लड़की के साथ बलात्कार और सामूहिक बलात्कार पर चर्चा नहीं हुई थी. पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इसके बजाय, यह दो व्यक्तियों के बीच एक अलग स्नैपचैट बातचीत थी, जिसकी शुरुआत एक लड़की ने की थी.

दिल्ली पुलिस के सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया कि तब से तीन साल बाद, जब्त किए गए मोबाइल फोन के फाॅरेंसिक विश्लेषण की रिपोर्ट नहीं मिली है और मामले की फाइलें ठंडे बस्ते में पड़ी हैं.

मामले में ग्रुप एडमिन के खिलाफ 140 पन्नों की चार्जशीट दायर की गई थी, लेकिन अभी तक आरोप तय नहीं किए गए हैं; इसके बाद ही ट्रायल शुरू हो सकेगा.

पुलिस सूत्रों ने कहा कि वे “मोबाइल फोन पर फाॅरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) के परिणामों का इंतजार कर रहे थे, जिससे अधिक जानकारियां मिल सकती हैं और मामले में अधिक संदिग्धों का पता लगा सकता है”.

अदालत की वेबसाइट के अनुसार, मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट (पटियाला हाउस कोर्ट) ने आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है, और मामले में आठ सुनवाई हो चुकी हैं, अगली सुनवाई 5 फरवरी, 2024 के लिए निर्धारित है.

पिछली सुनवाई (5 सितंबर, 2023) के स्थगन का कारण “सीएफएसएल/एफएसएल रिपोर्ट दाखिल नहीं होना” बताया गया है. पिछले कोर्ट के आदेश के मुताबिक जांच अधिकारी को फरवरी में सुनवाई के दौरान एफएसएल रिपोर्ट के साथ कोर्ट में पेश होने को कहा गया है.

इस बीच, मामले पर मीडिया भी अधिक ध्यान नहीं दे रही है, जबकि बाद के वर्षों में सामने आए बुल्ली बाई, सुल्ली डील्स और क्लब हाउस ऐप मामलों में महिलाओं के लिए डिजिटल स्थानों के असुरक्षित होने पर चिंता जताई गई.

‘बलात्कार’ का टेस्ट

एक पुलिस सूत्र के अनुसार, एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर दो चैट के स्क्रीनशॉट पोस्ट किए थे, एक ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ का और दूसरा स्नैपचैट का, जिससे संदेह पैदा हुआ कि संभावित रूप से आपराधिक सामग्री और बलात्कार की चर्चा इंस्टाग्राम ग्रुप ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ पर हुई थी.

सूत्र ने कहा कि ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ चैट स्क्रीनशॉट समूह के एक सदस्य द्वारा लीक किया गया था क्योंकि वह बातचीत से “असहज” था.

स्नैपचैट बातचीत के बारे में बात करते हुए, पुलिस सूत्र ने कहा ‘सिद्धार्थ’ एक नकली नाम का उपयोग करने वाली एक लड़की ने स्नैपचैट पर एक पुरुष मित्र को केवल उसकी प्रतिक्रिया जानने के लिए “खुद पर गंभीर यौन उत्पीड़न” की योजना का सुझाव दिया था.

सूत्र ने कहा, “उसने दावा किया कि वह उसके कैरेक्टर को परखना चाहती थी और इसलिए उसने उससे पूछा था कि क्या वह किसी दूसरी लड़की के साथ बलात्कार करना चाहता है. लड़का इस बातचीत से तुरंत पीछे हट गया और उसके साथ आगे बातचीत करने से इनकार कर दिया. उधर, ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप की ओर से एक और स्क्रीनशॉट (सोशल मीडिया पर) शेयर किया गया, जिसमें अश्लील टिप्पणियां की गईं और लड़कियों को शर्मसार करने वाली सामग्री पेश की गई. इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बलात्कार की बातचीत ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप पर हुई थी.”

लड़के ने अपने साथियों को सचेत करने के लिए, ‘सिद्धार्थ’ के साथ अपनी स्नैपचैट बातचीत को उसी लड़की और अपने अन्य दोस्तों के साथ साझा किया. सूत्र ने बताया कि उसके एक दोस्त ने बातचीत को इंस्टाग्राम पर पोस्ट कर दिया और बाद में यह सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा.

मामले में 4 मई, 2020 को भारतीय दंड संहिता की धारा 465 (जालसाजी), 471 (जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में उपयोग करना), 469 (प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से जालसाजी), 509 (शब्द,) के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी. किसी महिला की गरिमा का अपमान करने के इरादे से किया गया इशारा या कार्य) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 67ए, जो इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री के प्रसारण से संबंधित हैं.

सूत्र के अनुसार, पुलिस टीमों ने लड़की से तीन दिन तक लगातार पूछताछ की लेकिन “वह हर बार अपनी कहानियां बदलती रही जब तक कि तीसरे दिन उसने आखिरकार अपनी इस पूरी योजना को स्वीकार नहीं कर लिया.” उसकी काउंसलिंग भी की गई और बिना किसी कानूनी कार्रवाई के घर वापस भेज दिया गया.

पुलिस ने एक 15 वर्षीय लड़के के इंस्टाग्राम अकाउंट की भी पहचान की, जिसने कथित तौर पर ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ समूह पर सबसे आपत्तिजनक सामग्री साझा की थी. ग्रुप एडमिन के आईपी पते से जांच टीम एक 18 वर्षीय लड़के तक पहुंची, जिसने अभी-अभी 12वीं कक्षा की परीक्षा पास की थी और एक प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालय में एडमिशन लेने का इंतजार कर रहा था.


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चार्जशीट से धाराएं हटाई गईं

जांचकर्ताओं ने दिप्रिंट को बताया कि शुरुआती एफआईआर आईपीसी और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी, लेकिन ‘गहन जांच’ के बाद यह पाया गया कि कई धाराओं की जरूरत नहीं थी.

इसलिए, सूत्रों ने कहा, अंतिम आरोपपत्र 29 दिसंबर, 2020 को केवल “इलेक्ट्रॉनिक रूप में अश्लील सामग्री प्रसारित करने” के लिए आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत दायर किया गया था. किशोर बोर्ड के समक्ष नाबालिग लड़के के खिलाफ एक पुलिस जांच रिपोर्ट 23 अक्टूबर 2020 को दायर की गई थी.

आईटी अधिनियम की धारा 67 के तहत, किसी व्यक्ति को पहली बार दोषी ठहराए जाने पर तीन साल तक की कैद और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है.

सूत्रों ने बताया कि पुलिस को यह भी पता चला कि ‘बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप जनवरी 2019 में बनाया गया था. इसके अलावा, 18 वर्षीय लड़के का मोबाइल नंबर उसकी दादी के नाम पर रजिस्टर था और नाबालिग अपनी मां का फोन इस्तेमाल कर रहा था.

एक दूसरे पुलिस सूत्र ने दिप्रिंट को बताया,”बॉयज़ लॉकर रूम’ ग्रुप पर कोई बलात्कार की बात नहीं थी. उन्होंने भद्दी टिप्पणियां और अश्लील सामग्री साझा की थीं.”

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अगर एफएसएल रिपोर्ट में कोई आपत्तिजनक साक्ष्य मिलता है तो पूरक आरोपपत्र दाखिल किया जाएगा.

तब से, समूह के सदस्यों और इसके व्यवस्थापकों का जीवन बहुत आगे बढ़ चुका है. जिसने ‘guch.X’ इंस्टाग्राम आईडी का उपयोग किया था, पुलिस सूत्रों के मुताबिक, उसने एक निजी विश्वविद्यालय से डिग्री भी हासिल कर ली है.

(संपादन: पूजा मेहरोत्रा)

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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