बेंगलुरु, 20 सितंबर (भाषा) कर्नाटक में सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण (जाति जनगणना) से कुछ दिन पहले, विभिन्न जातियों के संतों ने भागीदारी और सर्वेक्षण प्रक्रियाओं की रणनीति बनाने के लिए शनिवार को राजनीतिक दलों के नेताओं तथा सामाजिक संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया।
भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा ‘वोक्कालिगा क्रिश्चियन’, ‘लिंगायत क्रिश्चियन’, ‘कुरुबा क्रिश्चियन’ सहित नयी उप-जातियों को शामिल किए जाने पर चिंता जताए जाने के बाद, विभिन्न मठों के महंतों ने इस ओर ध्यान आकर्षित किया है।
भाजपा ने इस पूरी कवायद को राजनीतिक लाभ के लिए हिंदू समाज को ‘‘बांटने का प्रयास’’ बताया है, जबकि सत्तारूढ़ कांग्रेस का कहना है कि इसका उद्देश्य दलित समुदायों को सामाजिक न्याय प्रदान करना है।
कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुख्यमंत्री सिद्धरमैया को आगामी जाति सर्वेक्षण में ‘कुंबारा क्रिश्चियन’, ‘कुरुबा क्रिश्चियन’ जैसे जातीय नामों के साथ ईसाई पहचान जोड़े जाने को लेकर सचेत किया है।
वहीं, गडग में पत्रकारों से बातचीत में मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शनिवार को संकेत दिया कि जाति सर्वेक्षण से ईसाई उप-जातियों वाला कॉलम हटा दिया गया है।
शनिवार को, प्रमुख समुदाय ‘वोक्कालिगा’ से संबंधित आदि चुनचनागिरि मठ के मुख्य महंत निर्मलानंदनाथ स्वामीजी ने बेंगलुरु में एक बैठक की। इस बैठक में उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, केंद्रीय मंत्री और जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी, केंद्रीय मंत्री शोभा करंदलाजे, कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के नेता आर अशोक, भाजपा सांसद के सुधाकर सहित कई राजनीतिक दिग्गज मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य संदेश वोक्कालिगा समुदाय के सदस्यों के बीच एकता बनाए रखना और आगामी सर्वेक्षण में उपजातियों का उल्लेख न करना था।
बैठक को संबोधित करते हुए, निर्मलानंदनाथ स्वामीजी ने कहा कि वोक्कालिगा समुदाय के लोगों को अपना धर्म ‘हिंदू’ और जाति ‘वोक्कालिगा’ लिखनी चाहिए।
पत्रकारों से बात करते हुए अशोक ने कहा, ‘‘वोक्कालिगा समुदाय के लोगों को 108 उप-जातियों में विभाजित करने का कोई भी प्रयास नहीं किया जाना चाहिए।’’
कुमारस्वामी ने सर्वेक्षण की सफलता पर संदेह जताया। उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में आश्चर्य व्यक्त किया कि क्या राज्य के 6.5 करोड़ लोगों का सर्वेक्षण केवल 15 दिनों में और वह भी नवरात्रि के दौरान किया जाएगा।
कर्नाटक के एक अन्य प्रमुख समुदाय ‘वीरशैव-लिंगायत’ ने भी इसी तरह का विचार-विमर्श किया।
वीरशैव लिंगायत समुदाय के एक वर्ग ने हिंदू के बजाय एक अलग धर्म के रूप में अपनी पहचान बनाने की मांग की।
हालांकि, हरिहर स्थित वीरशैव लिंगायत पंचमसाली जगद्गुरु पीठ के महंत वचनानंद स्वामीजी ने समुदाय के लोगों से अपील की कि वे खुद की पहचान ‘हिंदू’ बताएं और अपनी जाति के रूप में वीरशैव लिंगायत का उल्लेख करें।
विभिन्न समुदाय भी जाति सर्वेक्षण पर बैठकें कर रहे हैं।
भाषा शफीक पारुल
पारुल
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