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Friday, 15 August, 2025
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रेजांग ला युद्ध स्मारक: 1962 के युद्ध में शहीद हुए 114 सैनिकों के सम्मान में बनाया गया

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(सुष्मिता गोस्वामी)

रेजांग ला (लद्दाख), 15 अगस्त (भाषा) पूर्वी लद्दाख के चुशुल सेक्टर के ऊंचे क्षेत्रों में स्थित रेजांग ला युद्ध स्मारक पर आने वाले किसी भी आगंतुक की नजर सबसे पहले पास के एक पहाड़ की चोटी पर कुछ तंबू जैसी संरचनाओं पर पड़ती है।

ये 1962 की सर्दियों में समुद्र तल से 16,000 फुट से भी ज्यादा ऊंचाई पर भारतीय सेना द्वारा चीनी सेना के खिलाफ लड़े गए एक साहसिक युद्ध के अंतिम भौतिक अवशेष हैं। इस युद्ध में 13 कुमाऊं रेजिमेंट के 114 अधिकारियों और सैनिकों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी।

पास की एक पहाड़ी पर बने युद्ध स्मारक की देखरेख कर रहे जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘ये वही संरचनाएं हैं जिनमें हमारी सेनाएं तैनात थीं जब उन्होंने हमलावर सैनिकों का सामना किया था। यही वह जगह थी जहां अगले बसंत में उनके शव बरामद किए गए थे।’’

पुनर्निर्मित रेजांग ला युद्ध स्मारक नवंबर 2021 में खोला गया था और यह ‘भारत रणभूमि दर्शन’ का हिस्सा है, जो भारत में युद्धक्षेत्र पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए भारतीय सेना और पर्यटन मंत्रालय की एक पहल है।

यह स्मारक रेजांग ला (तिब्बती भाषा में ‘ला’ का अर्थ दर्रा होता है) से कुछ ही दूरी पर है, जो अब भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा के रूप में कार्य करता है।

युद्ध स्मारक के केंद्र में ‘अहीर धाम’ है, जो रेजांग ला की लड़ाई में शहीद हुए सैनिकों की स्मृति में बनाया गया है।

स्मारक पर प्रतिदिन सलामी गारद दी जाती है, आमतौर पर जब 100-150 आगंतुक इकट्ठा होते हैं। यह स्थल एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है जिसे देखने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।

भारत-चीन युद्ध के दौरान शहीद हुए वीरों की बहादुरी को याद करते हुए, अधिकारी ने बताया कि कैसे मेजर शैतान सिंह के नेतृत्व में 114 जवानों ने 18 नवंबर, 1962 को शून्य डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान में 5,000 चीनी सैनिकों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।

इस युद्ध में सभी भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और यह युद्ध इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों में अंकित हो गया, क्योंकि इन जवानों ने कठोर मौसम का सामना करते हुए, संख्या और हथियारों के मामले में दुश्मन से कम होते हुए भी बेजोड़ बहादुरी और देशभक्ति का परिचय दिया।

भाषा वैभव मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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