नयी दिल्ली, चार अगस्त (भाषा) संसद की स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के विज्ञापन खर्च पर फिर से विचार करना चाहिए और शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्र में योजनागत व्यय आवंटन पर ध्यान देना चाहिए।
समिति ने बताया कि सरकार की इस अहम योजना के लिए वर्ष 2016 से 2019 के बीच कुल 446.72 करोड़ रुपये जारी किये गये, लेकिन इसमें से 78.91 फीसदी रकम केवल मीडिया में इसे बढ़ावा देने पर खर्च कर दी गई।
‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना के विशेष संदर्भ में शिक्षा के माध्यम से महिला सशक्तिकरण विषय पर की गई कार्रवाई पर महिला अधिकारिता समिति (2021-22) की छठी रिपोर्ट बृहस्पतिवार को लोकसभा में प्रस्तुत की गई।
पिछड़े क्षेत्रों में बाल लिंगानुपात में सुधार और बालिकाओं की शिक्षा सुनिश्चित करने के लिए इसे सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक बताते हुए समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को इस योजना के विज्ञापन खर्च पर पुनर्विचार करना चाहिए और नियोजित व्यय आवंटन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
समिति ने कहा कि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार जिला स्तर पर प्रगति की समीक्षा के लिए नियमित या त्रैमासिक बैठकें आयोजित की जानी हैं।
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