मुंबई, 25 अगस्त (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के लोकसभा सांसद नारायण राणे ने 2023 में उनकी टिप्पणी को लेकर शिवसेना (उबाठा) नेता संजय राउत द्वारा दायर किए गए मानहानि के मामले में मुंबई की एक अदालत के समक्ष खुद को सोमवार को निर्दोष बताया।
राणे द्वारा खुद को निर्दोष बताए जाने के बाद, इस मामले में मुकदमे की कार्यवाही 11 नवंबर से मजिस्ट्रेट अदालत में गवाहों के बयान के साथ शुरू होगी।
राउत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर 15 जनवरी 2023 को उपनगर भांडुप में आयोजित कोंकण महोत्सव के दौरान उनके बारे में ‘अपमानजनक, दुर्भावनापूर्ण और झूठे’ बयान देने का आरोप लगाया गया था।
राउत ने पूर्व केंद्रीय मंत्री के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन पर 15 जनवरी 2023 को उपनगर भांडुप में आयोजित कोंकण महोत्सव के दौरान उनके बारे में ‘‘अपमानजनक, दुर्भावनापूर्ण और झूठे’’ बयान देने का आरोप लगाया गया था।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने कथित तौर पर कहा था कि राउत का नाम मतदाता सूची में नहीं है और यह कि जब वह (राणे) अविभाजित शिवसेना में थे, तब उन्होंने राउत को राज्यसभा में निर्वाचित कराने में मदद की थी।
राउत ने राणे के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत कार्रवाई की मांग की थी।
भाजपा के वरिष्ठ नेता अपने वकील के साथ न्यायिक मजिस्ट्रेट (मझगांव अदालत) एए कुलकर्णी के समक्ष सोमवार को पेश हुए और खुद को निर्दोष बताया।
इससे पहले मजिस्ट्रेट अदालत ने अप्रैल में शिकायत का संज्ञान लेते हुए तटीय महाराष्ट्र के रत्नागिरि-सिंधुदुर्ग से भाजपा सांसद को समन जारी किया था।
राणे ने विशेष एमपी/एमएलए अदालत में समन को चुनौती देते हुए कहा था कि उनके खिलाफ कोई मानहानि का मामला नहीं बनता।
उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट ने ‘‘बिना कोई कारण बताए या न्यायिक विवेक का प्रयोग किए’’ समन जारी किया।
विशेष अदालत ने राणे की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि उन्होंने शिवसेना (उबाठा) के राज्यसभा सदस्य के खिलाफ ‘अस्पष्ट और निराधार’ बयान दिया था, जो दुर्भावना को जाहिर करता है।
विशेष अदालत ने पाया था कि प्रथम दृष्टया राणे के बयान झूठे थे और सार्वजनिक रूप से दिए गए थे।
भाषा प्रीति सुरेश
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