नई दिल्ली : लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी शुक्रवार को UAPA BILL (विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप निवारण संशोधन विधेयक) पास हो गया. इस बिल में आतंक से संबंध नहीं होने पर भी संगठन के अलावा किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने प्रावधान शामिल है. इसके पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वो पड़े. बिल को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव सदन में पास नहीं हो सका.
राज्यसभा में चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि किसी भी व्यक्ति को आंतकी घोषित करने के लिए कई बिंदु तय किए गए हैं. उन्हीं के मुताबिक काम होगा. अगर आज आतंकी 2 कदम आगे बढ़ते हैं तो हमारी एजेंसियों को चार कदम आगे बढ़ना चाहिए. आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता है. वह किसी भी व्यक्ति या सरकार के खिलाफ नहीं बल्कि इंसानियत के खिलाफ है. हम इस कानून को कमजोर नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि यूएपीए बिल पर बोला जा रहा है कि राज्य के डीजी के अधिकार नहीं छीने जा रहे हैं. जब एनआईए जांच शुरू करेगी तो राज्य पुलिस को जानकारी दी जाएगी. आतंकी बताए गए व्यक्ति के पास अपील का पूरा अधिकार रहेगा. यह आखिरी ठप्पा नहीं है. उसकी चार चरणों में जांच होगी. किसी के भी मानवाधिकारों का हनन नहीं होगा.
आज आतंकवाद के खिलाफ इस बिल को लेकर सदन को एकमत होना चाहिए. एनआईए ने ही सबसे ज्यादा मामले में सजा दिलाई है. यह दर करीब 91 फीसदी है जो कि दुनिया की किसी भी एजेंसी से ज्यादा है.
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चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस सांसद पी. चिदंबरम ने कहा कि चह कानून पहले भी छह बार संशोधित हो चुका है. सबसे बड़ा संशोधन 2008 और 2013 में किया गया. कोई भी यूपीए सरकार पर आतंकवाद के खिलाफ नरम रहने की बात नहीं कर सकता क्योंकि हमारी सरकार ने कई कठोर उठाए हैं. चिदंबरम ने कहा कि इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य एनआईए को मजबूत करना है. हम इस बिल के खिलाफ हैं. आंतकवाद से लड़ाई और यूएपीए कानून पर कांग्रेस पार्टी को कोई आापत्ति नहीं है. हम उस ताकत के खिलाफ हैं जिसके जरिए सरकार को किसी भी व्यक्ति को आतंकी घोषित करने का अधिकार मिल जाएगा. उन्होंने कहा कि सरकार को स्वीकार करना चाहिए कि बिल में कई प्रावधान संविधान के खिलाफ हैं. इसे वापस लेना चाहिए. इस बिल को लेकर लीगल एक्सपर्ट की राय लेनी चाहिए. फिर इसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजना चाहिए.
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने कहा कि इस तरह के कानूनों के दुरुपयोग का लंबा इतिहास है. उन्होंने कहा कि यह कानून संघीय ढांचे के खिलाफ है क्योंकि आप राज्य सरकार को बताए बगैर किसी को भी उठा सकते हैं.
राज्यसभा में वायएसआर कांग्रेस ने बिल का समर्थन किया है. सांसद विजयसाई रेड्डी ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ हम सरकार के साथ खड़े हैं. इस बिल के जरिए आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति को मजबूती मिलेगी.
वहीं टीडीपी और बसपा ने भी बिल का समर्थन किया है. सीपीआई ने इस बिल का विरोध किया है. सीपीआई का कहना है कि इस बिल के जरिए मुस्लिमों को निशाना बनाया जाएगा.
पीडीपी के सांसद मीर मोहम्मद फैयाज ने कहा इस कानून का सबसे ज्यादा दुरुपयोग जम्मू कश्मीर में होगा. हमारी पार्टी इस बिल का विरोध करती है. हमारी मांग है इसको सेलेक्ट कमेटी को भेजा जाए.
डीएमके से राज्यसभा सांसद पी. विल्सन ने बिल का विरोध करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पास किसी को भी आतंकी घोषित करने का अधिकार होगा. बिल में उसके बचाव में कोई पर्याप्त उपाय नहीं है.
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आरजेडी सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि इस कानून की मूल भावना में दिक्कत है. इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं. मुल्क और सरकार को अब एक मान लिया गया है. अगर मैं मुल्क की खूबसूरती के लिए सरकार के खिलाफ बोलता हूं तो देशद्रोही करार दिया जा सकता हूं. संशोधन के ऐसी संभावनाएं और प्रबल हो जाती हैं. इस कानून का दुरुपयोग कमजोर, गरीब और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो सकता है.
बिल पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए सीपीएम सांसद इलामारम करीब ने कहा कि पोटा और टाडा के खराब अनुभव से भी कुछ सीखा नहीं गया है. इसमें बेकसूर साबित होने तक कोई व्यक्ति दोषी ही माना जाएगा. यह बिल संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ है.