नयी दिल्ली, 15 दिसंबर (भाषा) राज्यसभा में सोमवार को विभिन्न दलों के सदस्यों ने चुनावी खर्च पर लगाम लगाने की मांग की और कहा कि इस पर काबू पाना सबसे जरूरी चुनावी सुधार है।
चुनाव सुधारों पर उच्च सदन में चर्चा में भाग लेते हुए बीजू जनता दल (बीजद) सदस्य देबाशीष सामंतराय ने कहा कि चुनावी खर्च पर लगाम लगाना सबसे जरूरी चुनावी सुधार है।
राय ने कहा कि चुनावी खर्च के बारे में बात नहीं की जाती। उन्होंने कहा, ‘‘…किसी ने भी चुनावी खर्च की बात नहीं की है। मैंने पांच चुनाव लड़े हैं, 14 दिन के भीतर, एक उम्मीदवार द्वारा खर्च की गई राशि चौंकाने वाली होती है। हालांकि खर्च पर सीमा का नियम है, लेकिन हर कोई जानता है कि यह सच नहीं है… करोड़ों खर्च होते हैं।’’
आम आदमी पार्टी के संदीप कुमार पाठक ने चुनाव में भारी खर्च का मुद्दा उठाया और कहा कि आम नागरिक चुनाव नहीं लड़ सकता है।
भाकपा सदस्य पी पी सुनीर ने भी चुनाव खर्च पर अंकुश लगाने की मांग की। उन्होंने बिहार में हाल ही में हुए मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जो प्रक्रिया पारदर्शी और लोक-हितैषी होनी चाहिए थी, वह कष्टदायक अनुभव बन गई। बिहार में इस प्रक्रिया के दौरान लाखों मतदाता हटा दिए गए…।
बीजद सदस्य सस्मित पात्रा ने भी चुनावी सुधारों की सिफारिश की। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वास पैदा करने के लिए प्रत्येक बूथ पर ‘‘वीवीपीएटी-ईवीएम’’ का पूर्ण मिलान किया जाना चाहिए और चुनावी ज्ञापनों और आपत्तियों का समयबद्ध निपटान किया जाना चाहिए।
मनोनीत सदस्य उज्ज्वल निकम ने एसआईआर को पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, ‘‘एसआईआर जैसे चुनावी सुधार लंबे समय से चली आ रही प्रक्रियात्मक कमियों को दूर करते हैं।’’
भाषा अविनाश नेत्रपाल
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