नयी दिल्ली : रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र सेनाएं तथा रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और राष्ट्रीय कैडेट कोर जैसे संगठन देश में कोविड-19 संक्रमण बढ़ने के मद्देनजर लोगों को पेश आने वाली परेशानियों को दूर करने में जुटे हैं.
सिंह ने अपने वेबसाइट पर ब्लाग पोस्ट में कोविड से मुकाबला करने से संबंधित नयी सुविधाएं स्थापित करने, स्वास्थ्य पेशेवरों की तैनाती जैसे कार्यो का जिक्र किया जो रक्षा मंत्रालय से जुड़े संगठनों द्वारा किये गए हैं.
उल्लेखनीय है कि भारत कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और कई राज्यों में अस्पतालों में आक्सीजन तथा दवा, उपकरणों, बिस्तरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.
राजनाथ सिंह ने बताया कि सेना, नौसेना और वायु सेना किस तरह से देशवासियों की जान बचाने में लगी हुई हैं.
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रक्षा मंत्री के पोस्ट पर ट्वीट करते हुए कहा कि ‘जल, थल और नभ’….हमारे सशस्त्र बल कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को मजबूत बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं.
दूसरी ओर, रक्षा मंत्री ने अपने पोस्ट में बताया कि इस वायरस से निपटने के लिए सेना को आपात वित्तीय शक्तियां दी गई है ताकि कमांडरों को पृथकवास केंद्र से लेकर अस्पताल बनाने तक कोई भी सामान खरीदने के लिए असुविधा का सामना ना करना पड़े.
सिंह ने बताया कि डीआरडीओ, कैंटॉनमेंट बोर्ड, सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा जैसे विभिन्न रक्षा संगठनों ने कोविड अस्पताल स्थापित किये हैं. जरूरत के हिसाब से बड़े शहरों में सशस्त्र बलों से जुड़े अस्पतालों की व्यवस्थाएं बढ़ाई जा रही हैं. दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु और पटना से शुरूआत की गई है. राज्य सरकारों के अनुरोध पर और जगह भी शुरुआत की जाएगी.
उन्होंने कहा कि सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा की तरफ से कई अस्पतालों में डॉक्टरों, विशेषज्ञों और अर्द्ध स्वास्थ्य कर्मियों की तैनाती की गई है. इस संस्था में शॉर्ट सर्विस कमीशन पर काम कर रहे 238 डॉक्टरों को 31 दिसंबर 2021 तक सेवा विस्तार दे दिया गया है.
उन्होंने बताया कि सेना ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज और लखनऊ में 100. 100 बिस्तर तैयार किए हैं. इसके साथ ही मध्य प्रदेश के सागर में भी सेना ने 40 बिस्तर का पृथकवास केंद्र शुरू किया है.
सिंह ने बताया कि इसके अलावा भोपाल, जबलपुर और ग्वालियर तथा झारखंड के नामकुम में भी पृथकवास केंद्र स्थापित किये गए हैं.
रक्षा मंत्री ने बताया कि वायु मार्ग से जल्द से जल्द ऑक्सीजन पहुंचाने की जिम्मेदारी वायु सेना ने ली हुई है. देश ही नहीं विदेशों से ऑक्सीजन लाने का काम भी वायुसेना कर रही है. वायुसेना ऑक्सीजन कंटेनर भी विदेशों से ला चुकी है.
उन्होंने बताया कि नौसेना ने अपनी कई जहाजों को ऑक्सीजन पहुंचाने में लगाया गया हैं. नौसेना ने ऑक्सीजन की पहली खेप आईएनएस तलवार के जरिए बहरीन से कर्नाटक के मंगलौर पहुंचायी गई थी. इसके अलावा नौसेना के आईएनएस जलाश्व और आईएनएस ऐरावत के जरिए कोलकाता और कोच्चि में ऑक्सीजन टेंक भेजे गए.
सिंह ने कहा कि डीआरडीओ ने दिल्ली और लखनऊ में 500 बिस्तर और अहमदाबाद में 900 बिस्तर का कोविड देखरेख सेंटर स्थापित किया है. इतना ही नहीं पटना में ईएसआईसी के अस्पताल को कोविड सेंटर में तब्दील कर 500 बेड की व्यवस्था की गई है.
उन्होंने बताया कि 120 संयंत्रों का संचालन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम की मदद से किया जा रहा है. 2 संयंत्र दिल्ली के एम्स और आरएमएल अस्पताल में लगाए गए हैं.
उन्होंने कहा कि डीआरडीओ पीएम केयर्स फंड से प्राप्त आवंटन से 500 चिकित्सा आक्सीजन संयंत्र स्थापित करने का काम कर रहा है.
सिंह ने कहा कि रक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम (पीएसयू) की मदद से भी बहुत से काम किए गए हैं. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और ऑर्डिनेंस फैक्टरी बोर्ड भी कोविड सेवाएं प्रदान कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में राष्ट्रीय कैडेट कोर के अधिकारी भी अपनी भूमिका निभा रहे हैं. इन्हें कई राज्यों में राज्य सरकार के सहयोग के लिए लगाया गया है.
गौरतलब है कि भारत में कोरोना वायरस के मामले हर दिन एक नया रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं और बृहस्पतिवार को संक्रमण के 4,12,262 नए मामले दर्ज किए गए तथा 3,980 लोगों ने इस महामारी से जान गंवाई. इसके साथ ही संक्रमण के कुल मामले देश में 2,10,77,410 हो गए और मृतकों की संख्या 2,30,168 पर पहुंच गई.