राजकोट: पिछले सप्ताह राजकोट गेमिंग जोन में लगी भीषण आग में मारे गए 32 लोगों में से तीन के जले हुए अवशेष सोमवार की सुबह उनके परिवारों को सौंप दिए गए, क्योंकि यह स्पष्ट हो गया है कि इमारत इस तरह के खतरे के प्रति कितनी कमजोर थी और इससे निपटने के लिए कितने अपर्याप्त संसाधन उपलब्ध थे.
अन्य 29 मृतकों के शोक संतप्त परिजनों ने शहर के सिविल अस्पताल के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया, जहां अधिकारी डीएनए नमूनों से शवों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं.
गुस्साए रिश्तेदारों ने बाद में किए गए जांच में खामियों की ओर इशार करते हुए कहा कि उन्हें “तत्काल जवाब” चाहिए.
मेहुल, जिनके 20 वर्षीय भाई कल्पेश भाई शनिवार की शाम को टीआरपी गेमिंग जोन में थे, ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि उनका भाई जीवित है क्योंकि उनका नाम प्राथमिकी (एफआईआर) में नहीं है. उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “हम उनकी तलाश कर रहे हैं.”
जिन लोगों के शरीर के अवशेष वापस किए गए, उनमें जगदीश भाई भी शामिल थे, जिनकी रविवार रात को डीएनए पहचान की गई थी. उनके रिश्तेदार भवन सिंह ने दावा किया कि जगदीश शहीद हो गए. “उन्होंने कई लोगों को बचाया लेकिन खुद को नहीं बचा सके.” 40 वर्षीय जगदीश ने 20 दिन पहले ही गेमिंग जोन में काम करना शुरू किया था.
जगदीश के बड़े भाई हितेश ने सरकार से अपील की है कि ऐसी आपदा दोबारा न होने दी जाए. हितेश ने कहा, “ऐसी घटनाएं होती रहती हैं. कुछ समय तक हंगामा होता है और फिर हर कोई आगे बढ़ जाता है. हम चाहते हैं कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि किसी और परिवार को वह नुकसान न उठाना पड़े जो हमें उठाना पड़ा है. सुरक्षा के कड़े उपाय लागू किए जाने चाहिए.”
मालिक जिम्मेदार
मुख्य अग्निशमन अधिकारी की शिकायत पर दर्ज की गई एफआईआर में आग के लिए सीधे तौर पर धवल कॉर्पोरेशन के मालिकों को दोषी ठहराया गया है. मालिक धवल ठक्कर फिलहाल फरार है.
शिकायत में, अग्नि सुरक्षा अधिकारी ने कहा कि गेमिंग जोन अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना काम कर रहा था. एफआईआर में कहा गया है, “टीआरपी ने कभी एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया. एनओसी के बिना, ऐसा नहीं लगता कि प्रबंधन आग की घटना से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार था.
दिप्रिंट द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर में यह भी कहा गया है कि टीआरपी गेमिंग जोन का स्ट्रक्चर फाइबर और धातु से बना था, जिसमें लोहे के एंगल और गैल्वनाइज्ड शीट का इस्तेमाल बेस के तौर पर किया गया था. एयर कंडीशनर के लिए तार बहुत बड़े क्षेत्र में फैले हुए थे और उन्हें कवर या इंसुलेट नहीं किया गया था. यह स्ट्रक्चर 50 मीटर चौड़ा और 60 मीटर लंबा था.
एफआईआर में लिखा है, “आपात स्थिति में आग बुझाने के लिए कोई अग्निशमन उपकरण नहीं था. ऐसा लगता है कि गेम जोन के खतरनाक निर्माण की वजह से आग लगी.”
धवल ठक्कर सहित पार्टनर अशोक सिंह जडेजा, कीर्तिसिंह जडेजा, प्रकाश चंद, युवराज सिंह सोलंकी और राहुल राठौर समेत छह लोगों को आरोपी बनाया गया है. उन पर आईपीसी की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य), 338 (दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से गंभीर चोट पहुंचाना) और 114 (अपराध किए जाने के समय उकसाने वाला मौजूद होना) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एफआईआर में आगे कहा गया है, “सभी छह लोगों को पता था कि टीआरपी बिना अग्नि सुरक्षा उपकरण या एनओसी के चल रही थी.”
राजकोट में गुस्सा
गेमिंग जोन के आसपास रहने वाले लोग इस बात को जानकर हैरान हैं कि इतनी लोकप्रिय जगह के पास सुरक्षा के मद्देनज़र को परमिशन नहीं थी.
टीआरपी गेमिंग जोन द्वारा 2022 का एक इंस्टाग्राम पोस्ट भी खूब शेयर किया जा रहा है. तस्वीर में नगर आयुक्त, तत्कालीन जिला कलेक्टर और पुलिस सहित जिले के शीर्ष नौकरशाह गेमिंग जोन के सामने खड़े नजर आ रहे हैं.
गेमिंग ज़ोन में लगी आग के वीडियो भी खूब शेयर किए जा रहे हैं – कुछ वीडियो में माता-पिता चिल्लाते हुए दिखाई दे रहे हैं, “मेरा बच्चा ऊपर है,” और अपने प्रियजनों को बचाने के लिए दौड़ रहे हैं. इन वीडियोज़ में कुछ माता-पिता मारे गए.
सुविधा में प्लास्टिक में बड़े करीने से लपेटे गए अग्निशामक यंत्रों की तस्वीरें भी वायरल हो रही हैं, जिससे लोगों में और भी गुस्सा बढ़ रहा है.
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