नई दिल्ली: राजस्थान में पुलिस को शक है कि गौरक्षक मोहित यादव उर्फ मोनू मानेसर ने जुनैद और नासिर की हत्या की साजिश रची और इस साल फरवरी में भीड़ को संगठित किया और उकसाया, जिसने उनकी पीट-पीटकर हत्या कर दी और उनके शवों को ठिकाने लगा दिया. दिप्रिंट को इस बारे में जानकारी मिली है.
बल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, “हमें शक है कि मोनू ने जुनैद-नासिर के हत्यारों की सहायता की और उन्हें बढ़ावा दिया.” उन्होंने आगे कहा कि मोनू – जो कि बजरंग दल का एक कार्यकर्ता है – को हत्या में शामिल होने के लिए घटनास्थल पर उपस्थित होने की ज़रूरत नहीं थी.”
अधिकारी ने कहा, “वो (मोनू) हत्याओं में शामिल है और हमें शक है कि वो हत्या के पीछे की साजिश में शामिल है, उकसाने में और भीड़ को संगठित करने में भी शामिल है जिसने दो लोगों की पीट-पीट कर हत्या कर दी और बाद में उनके शवों को जला दिया.”
राजस्थान पुलिस के सूत्रों ने कहा कि उन्हें शक है कि जुनैद और नासिर की हत्या के बाद मोनू सात दिनों की अवधि के लिए थाईलैंड में था. इसके अलावा, दोनों राज्यों के पुलिस बलों के सूत्रों ने कहा कि वो गिरफ्तारी से बचने के लिए बार-बार अपनी जगह बदलता रहा और माना जाता है कि उसने कुछ दिन वृंदावन में भी बिताए थे.
गुरुग्राम के मानेसर के निवासी मोनू को मंगलवार को हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया और बाद में पड़ोसी राज्य राजस्थान की पुलिस को सौंप दिया. वो गुरुवार तक राजस्थान पुलिस की हिरासत में रहेगा.
जुनैद और नासिर दोहरे हत्याकांड में राजस्थान पुलिस द्वारा एफआईआर में नामित 21 लोगों में से एक, मोनू मानेसर के खिलाफ कई अन्य मामले दर्ज हैं. इसके अलावा, राजस्थान में पुलिस ने भरतपुर के दो लोगों की भीषण हत्या के सिलसिले में 10 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है. पिछले महीने मीडिया को संबोधित करते हुए, राजस्थान के डीजीपी उमेश मिश्रा ने कहा था कि राज्य पुलिस हत्या में मोनू की “अप्रत्यक्ष भागीदारी” की जांच कर रही है.
दिप्रिंट ने पहले रिपोर्ट की थी कि कैसे राजस्थान के भरतपुर के घाटमिका गांव के रहने वाले दो मुस्लिम व्यक्तियों पर लाठियों और डंडों से लैस गोरक्षकों के दो समूहों ने हमला किया था – मेवात के एक समूह ने कथित तौर पर उन्हें पीटा और दूसरे ने कथित तौर पर उनकी हत्या कर दी. दोनों शव भिवानी में 16 फरवरी को पाए गए थे.
दोनों व्यक्तियों का अपहरण तीन जिलों –राजस्थान के अलवर और भरतपुर और हरियाणा के फिरोजपुर झिरका – के जंक्शन से किया गया था.
राजस्थान के एक अन्य पुलिस अधिकारी ने कहा, “इस मामले में बड़े पैमाने पर लामबंदी हुई थी. स्वघोषित गौरक्षक पहले से ही इन दोनों व्यक्तियों की गतिविधियों पर नज़र रख रहे थे और एक संदेश भेजा गया था कि वे वाहन में गाय ले जा रहे थे. जब उन्हें गाय नहीं मिली, तो उन्होंने लोगों से जानकारी हासिल करने के लिए उनकी पिटाई की.”
पुलिस सूत्रों के अनुसार, हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किए गए लोगों ने हिरासत में पूछताछ के दौरान राजस्थान पुलिस को बताया कि वो जुनैद और नासिर पर हमला करने के बाद उन्हें फिरोजपुर झिरका थाने ले गए, लेकिन वहां मौजूद अधिकारियों ने अधिकार क्षेत्र की कमी और दोनों की हालत का हवाला देते हुए उन्हें ले जाने के लिए कहा. इसके बाद दोनों को हरियाणा के भिवानी ले जाया गया और आरोपियों ने कथित तौर पर जलाकर मार डाला.
उक्त पुलिस अधिकारी ने कहा, “मोनू मानेसर के अधीन एक बड़ी ताकत काम कर रही है. इन गौरक्षकों के पास हर जगह ऐसे सूत्र होते हैं जो नेताओं को जब भी किसी पर गाय की तस्करी का संदेह होता है तो इसकी सूचना दे देते हैं. यह एक बहुत बड़ा और तेज़ नेटवर्क है जो दिन-रात सक्रिय रहता है.”
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मोनू मानेसर को बेखौफ घूमने की इज़ाज़त?
हत्या और मामले में उसकी गिरफ्तारी के बीच आठ महीनों में मोनू मानेसर सोशल मीडिया पर सक्रिय था और उसने इंटरव्यू भी दिए. माना जाता है कि उसके बयानों ने जुलाई के अंतिम सप्ताह में वीएचपी की ब्रज मंडल शोभा यात्रा के दौरान हिंसा के कारण हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक माहौल को और खराब कर दिया था. हालांकि, हरियाणा पुलिस को नूंह हिंसा से दो दिन पहले पोस्ट किया गया कोई भी वीडियो उत्तेजक नहीं लगा और सांप्रदायिक झड़पों के संबंध में उसके खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, जिसमें 6 लोगों की जान चली गई.
26 अगस्त को यात्रा के दूसरे चरण से पहले दो गुटों के बीच दुश्मनी पैदा करने और धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए नूंह की साइबर अपराध पुलिस में उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी.
यह पूछे जाने पर कि राजस्थान पुलिस को जुनैद और नासिर की हत्या के सिलसिले में मोनू को गिरफ्तार करने में आठ महीने क्यों लग गए. इस तथ्य के बावजूद कि वो सोशल मीडिया पर सक्रिय था, बल के सूत्रों ने देरी के पीछे मुख्य कारण “जनता का समर्थन” और “सुरक्षा” बताया.
सूत्रों ने बताया कि हरियाणा के निवासी के रूप में उसकी स्थिति के कारण राजस्थान पुलिस द्वारा उसके खिलाफ शुरू की गई किसी भी कानूनी कार्रवाई में देरी हुई.
पुलिस के अधिकारी ने कहा, “मोनू मानेसर को जनता का जबरदस्त समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा वो दूसरे राज्य का रहने वाला है. यह समझना होगा कि उसके जैसे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करना, जिसे अपने प्रशंसकों और सहयोगियों से इतना भारी समर्थन और सुरक्षा प्राप्त है, दूसरे राज्य की पुलिस के लिए उसका पता लगाना बहुत मुश्किल हो जाता है. इन मामलों में उस राज्य की पुलिस के साथ समर्थन और समन्वय की ज़रूरत होती है जहां से आरोपी है.”
(संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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