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शनिवार, 7 जून, 2025
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राजस्थान : ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरणा लेकर किया गया गोडावण के नवजातों का नामकरण

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जैसलमेर, सात जून (भाषा) ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश भर में लोगों ने सेना के शौर्य का सम्मान करने के लिए अनोखे तरीके निकाले हैं। इसी से प्रेरणा लेते हुए सीमावर्ती जैसलमेर में विशेष संरक्षण परियोजना के तहत पैदा हुए गोडावण पक्षी के नवजातों का नाम इस ऑपरेशन से जुड़े प्रमुख अधिकारियों के नाम पर रखा गया है।

यहां गोडावण या ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (जीआईबी) चूजों का नाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ से जुड़े प्रमुख अधिकारियों और मील के पत्थरों के नाम पर रखा गया है। सुदासरी और सम के उन केंद्रों में अब ‘सिंदूर’, ‘एटम’, ‘मिश्री’, ‘व्योम’ और ‘सोफिया’ जैसे नाम सुनाई देते हैं जहां विज्ञान व रणनीति मिलकर भारत के सबसे लुप्तप्राय पक्षियों में से एक गोडावण के संरक्षण के लिए काम हो रहा है।

गोडावण प्रजनन केंद्र पर इस साल यानी 2025 में अब तक कुल 21 गोडावण चूजों का जन्म हो चुका है। एक जून को एक और गोडावण का जन्म हुआ। मई माह में कुल सात चूजों का जन्म दर्ज किया गया। ऑपरेशन सिंदूर से प्रेरित नामकरण की शुरुआत पांच मई को पैदा हुए चूजे से हुई जिसका नाम सैन्य अभियान के नाम पर ‘सिंदूर’ रखा गया।

इसी तरह नौ मई को जन्मे गोडावण का नाम ‘एटम’ रखा गया जो ऑपरेशन की सामरिक शक्ति को समर्पित है; 19 मई को जन्मे नवजात पक्षी का नाम ‘मिश्री’, साइबर-जासूसी के खिलाफ काम कर रही खुफिया टीम के उस अफसर को श्रद्धांजलि स्वरूप रखा गया जिनका कोडनेम ‘मिश्री’ था।

इसी प्रकार 23 मई को जन्मे गोडावण पक्षी का नाम ‘व्योम’ रखा गया जो भारतीय वायुसेना की विंग कमांडर व्योमिका सिंह से प्रेरित है जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की आधिकारिक मीडिया ब्रीफिंग की अगुवाई की। और 24 मई को जन्मे गोडावण का नाम ‘सोफिया’ रखा गया जो भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी से प्रेरित है जो सेना में महिला नेतृत्व की मिसाल बनीं।

राष्ट्रीय मरू उद्यान के प्रखंड वन अधिकारी (डीएफओ) बृजमोहन गुप्ता ने कहा, ‘गोडावण चूजों को देशभक्तिपूर्ण नाम देकर, हम वन्यजीव संरक्षण की कहानी को राष्ट्रीय शौर्य की गाथा से जोड़ रहे हैं।’

उल्लेखनीय है कि 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सशस्त्र बलों ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नौ आतंकी ढांचों को नष्ट करने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। इसके बाद भारत ने अपने सैन्य और नागरिक क्षेत्रों को निशाना बनाने के पाकिस्तान के कुत्सित प्रयासों का कड़ा जवाब दिया।

गुप्ता ने कहा, ‘यह अभियान केवल एक पक्षी के संरक्षण का नहीं है, यह उन मूल्यों को संरक्षित करने का है जो हमें एक राष्ट्र के रूप में परिभाषित करते हैं।’

कभी देश के कई राज्यों में विचरण करने वाला गोडावण यानी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड आज सिर्फ राजस्थान के कुछ सीमित इलाकों में दिखाई देता है। एक समय इसकी संख्या हजारों में थी, लेकिन शिकार, आवासीय इलाके घटने और मानवीय हस्तक्षेप के चलते यह लगभग विलुप्त हो गया था। बाद में भारत सरकार ने इसे ‘क्रिटिकली एंडेंजर्ड’ घोषित किया और राजस्थान सरकार ने गोडावण संरक्षण को प्राथमिकता दी।

इसी के तहत जैसलमेर के सुदासरी और सम प्रजनन केंद्र में इस प्रजाति के संरक्षण का विशेष अभियान शुरू किया गया जिसके परिणाम अब सामने आ रहे हैं।

साल 2018 में केंद्र सरकार भारतीय वन्य जीव संस्थान (देहरादून) और राज्य सरकार ने मिलकर ‘प्रोजेक्ट जीआईबी’ के तहत काम शुरू किया था। उन्होंने बताया कि गोडावणों के इन नवजातों को प्राकृतिक वातावरण ही पाला जा रहा है और प्रशिक्षण दिया जा रहा है ताकि आने वाले समय में उन्हें खुले रेगिस्तान में छोड़ा जा सके।

भाषा

पृथ्वी, रवि कांत

रवि कांत

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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