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Sunday, 6 October, 2024
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निजी विश्वविद्यालय के मामले में जांच करवाएगी राजस्थान सरकार

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जयपुर, 24 मार्च (भाषा) राजस्थान सरकार ने सीकर शहर के पास एक निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक को वापस लेने के बाद इस मामले में उच्च स्तरीय जांच करवाने का फैसला किया है।

राज्य सरकार ने गुरुकुल विश्वविद्यालय, सीकर विधेयक 2022 को मंगलवार को सदन से उस समय वापस ले लिया, जब यह पता चला कि इसके बुनियादी ढांचे के संबंध में विधेयक में उल्लिखित विवरण फर्जी है और यह केवल कागज पर मौजूद है।

राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र सिंह यादव ने बृहस्पतिवार को पीटीआई-भाषा से कहा, ‘उच्च स्तरीय जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’

उल्लेखनीय है कि सीकर में निजी क्षेत्र के गुरुकुल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 24 फरवरी को गुरुकुल विश्वविद्यालय, सीकर विधेयक 2022 पेश किया गया। इसे मंगलवार को पारित किया जाना था।

विधेयक की अनुसूची-एक में बुनियादी ढांचे का विवरण दिया गया था। इसके अनुसार कुल 80. 31 एकड़ भूमि में 24811.46 वर्ग मीटर के कुल निर्मित क्षेत्र में प्रशासनिक ब्लॉक (28), अकादमिक ब्लॉक (155 इकाइयां) और आवासीय ब्लॉक का बुनियादी ढांचा है।

लेकिन विधानसभा अध्यक्ष डॉ. जोशी और उच्च शिक्षा मंत्री राजेंद्र यादव के संज्ञान में आया कि प्रस्तावित विश्वविद्यालय के बुनियादी ढांचे के संबंध में विधेयक में उल्लिखित तथ्य फर्जी हैं और विधेयक में उल्लिखित भूमि पर कोई निर्माण नहीं हुआ है तो सीकर के जिला कलेक्टर से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी गई थी। इसमें सत्यापित हुआ कि वास्तव में कोई निर्माण नहीं किया गया है। इसे मद्देनजर रखते हुए मंत्री यादव ने मंगलवार को इस विधेयक को वापस लेने का प्रस्ताव पेश किया।

उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि उन्होंने विश्वविद्यालय की जगह का दौरा किया और वहां उन्हें कोई निर्माण नहीं मिला बल्कि केवल खाली जमीन मिली।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार द्वारा नियुक्त एक समिति ने विधेयक में उल्लिखित बुनियादी ढांचे का सत्यापन किया था। अब जबकि यह स्पष्ट हो गया है कि जमीनी स्तर पर कोई बुनियादी ढांचा नहीं था। मगर समिति के एक सदस्य ने दावा किया कि उन्हें बुनियादी ढांचा दिखाया गया था और वीडियोग्राफी भी की गई थी।

राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर के एसोसिएट प्रोफेसर जयंत सिंह ने पीटीआई भाषा से कहा,’हम, हमें दिए गए पते पर पहुंच गए थे, जहां विश्वविद्यालय स्थापित करने वाले ट्रस्ट के अधिकारियों ने हमें बुनियादी ढांचा दिखाया। फोटो और वीडियो भी लिए गए जिन्हें हमने रिकॉर्ड के तौर पर जमा कर दिया है। चूंकि हमारे साथ कोई राजस्व अधिकारी नहीं था, इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि क्या यह वही जमीन थी जिसका उल्लेख विधेयक में किया गया है। इसे एक राजस्व अधिकारी बेहतर बता सकता है। हमने यात्रा के अनुसार एक रिपोर्ट दी।’

उन्होंने कहा कि इस समिति से पहले, एक अन्य समिति एलओआई द्वारा प्रमाणिकता की जांच की गई थी और उसकी रिपोर्ट के बाद, बुनियादी ढांचे के भौतिक सत्यापन के लिए इस समिति को भेजा गया था।

भाषा पृथ्वी नोमान

नोमान

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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