जयपुर, दो जुलाई (भाषा) राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने राज्य के गांवों को गरीबी मुक्त बनाने के उद्देश्य से बुधवार को महत्वाकांक्षी “पंडित दीनदयाल उपाध्याय गरीबी मुक्त गांव योजना” शुरू करने की घोषणा की।
आधिकारिक बयान के अनुसार योजना के तहत पहले चरण में पांच हजार गांवों का चयन किया गया है। बयान के अनुसार इन गांवों के चयनित ‘बीपीएल’ परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इसके अनुसार मुख्यमंत्री शर्मा ने राज्य के गांवों को गरीबी मुक्त बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया है। बयान के अनुसार राज्य के बीपीएल ग्रामीण परिवारों के आर्थिक सशक्तिकरण और उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर लाने के लिए शुरू की गई इस योजना के तहत पहले चरण में 5 हजार गांवों का चयन किया गया है। बयान के अनुसार इन गांवों के चयनित बीपीएल परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
इसके अनुसार यह योजना राजस्थान के ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य को नया आयाम देने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। बयान के अनुसार योजना के तहत ऐसे परिवार जो अपने प्रयासों से गरीबी रेखा से ऊपर आ चुके हैं, उन्हें सम्मान स्वरूप 21 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
बयान के अनुसार पंडित दीनदयाल उपाध्याय अन्त्योदय संबल पखवाड़े में ऐसे परिवारों के बैंक खातों का सत्यापन किया जा रहा है और ऐसे 22400 परिवारों के खातों में डीबीटी के माध्यम से प्रोत्साहन राशि हस्तांतरित की जाएगी।
बयान के अनुसार अब तक 17 हजार 891 परिवारों के बैंक खातों का सत्यापन किया जा चुका है और राज्य सरकार द्वारा इन परिवारों को प्रोत्साहन स्वरूप ‘आत्मनिर्भर परिवार कार्ड’ भी प्रदान किया जाएगा।
बयान के अनुसार योजना के तहत चयनित गांवों में आत्मनिर्भर परिवारों के अतिरिक्त जिन परिवारों को गरीबी से उबरने में सहायता की आवश्यकता है, उन्हें आय सृजन, कौशल विकास, वित्तीय समावेशन के लिए राज्य सरकार की विभिन्न लाभकारी योजनाओं से जोड़ने के लिए आवेदन प्राप्त किये जा रहे हैं।
बयान के अनुसार अब तक 61 हजार 442 परिवारों के आवेदन प्राप्त किये जा चुके हैं और योजना के पहले चरण में राज्य के 5002 गांवों में कुल 30,631 बीपीएल परिवारों को चिन्हित किया गया है। बयान के अनुसार चिन्हित समस्त परिवारों का भौतिक सर्वे पूर्ण कर लिया गया है तथा इनका बीपीएल जनगणना 2002 के आंकड़ों का मिलान करके वेब पोर्टल पर सर्वे दर्ज कर दिया गया है।
बयान के अनुसार सर्वे के आधार पर प्रत्येक गांव के लिए ‘गरीबी मुक्त गांव कार्य-योजना’ बनाई जा रही है। इसके अनुसार इस योजना में सरकार की अन्य योजनाओं का भी समन्वय किया जा रहा है ताकि गांवों का समग्र विकास हो सके। बयान के अनुसार इस योजना का मूल उद्देश्य बीपीएल जनगणना 2002 के अनुसार चिन्हित परिवारों के जीवन स्तर में सुधार लाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। बयान के अनुसार यह योजना राज्य के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में लागू की जाएगी।
बयान के अनुसार योजना के तहत बीपीएल परिवारों को स्वरोजगार और आजीविका से जुड़ी गतिविधियों के लिए अधिकतम एक लाख रुपये तक की सहायता दी जाएगी। बयान के अनुसार इसी तरह स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं को प्रति परिवार 15 हजार रुपये तक की कार्यशील पूंजी दी जाएगी।
बयान के अनुसार योजना के दूसरे चरण में भी 5002 गांवों को चयनित किया गया है, जहां बीपीएल परिवारों का सर्वेक्षण जारी है। बयान के अनुसार इन गांवों में भी योजना के तहत योग्य परिवारों को चिह्नित करके उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ने की प्रक्रिया जारी है। बयान के अनुसार अब तक 22 हजार 872 परिवारों का सर्वे किया जा चुका है।
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