जयपुर, 19 जून (भाषा) अपनी महत्वाकांक्षी ‘अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना’ के लिए सामान खरीद में देरी और विवाद के बीच राजस्थान सरकार ने इस योजना का काम जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता वाली जनपद स्तरीय समितियों से करवाने का फैसला किया है। ये समितियां योजना के लिए सामान खरीदकर उन्हें खाद्यान्न पैकेट के रूप में लाभार्थियों में वितरित करेंगी।
आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। उल्लेखनीय है कि सामान खरीदने का काम पहले सहकारिता विभाग को दिया गया था, लेकिन निविदा प्रक्रिया में देरी होने के कारण अब जिला कलेक्टरों की देखरेख में यह कार्य कराने का निर्णय लिया गया है।
योजना से जुड़ा काम विवादों में घिर गया था। खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी अपने (खाद्य और नागरिक आपूर्ति) विभाग का (यह) काम सहकारिता विभाग को सौंपने पर नाराजगी जताई थी।
आधिकारिक सूत्र ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि, “सरकार ने फैसला किया है कि सामान की खरीद और किट बांटने का काम जिला कलेक्टरों की अध्यक्षता में जिला स्तरीय समितियों द्वारा किया जाएगा ताकि योजना जल्द शुरू की जा सके और लोगों को राहत मिल सके।’
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2023-24 के बजट में, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के दायरे में आने वाले लगभग एक करोड़ परिवारों के लिए “मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना” की घोषणा की थी। योजना की लागत लगभग 3000 करोड़ रुपये है।
योजना के प्रत्येक पैकेट में चना दाल, चीनी, नमक (एक-एक किलो), खाद्य तेल (एक लीटर), मिर्ची पाउडर और धनिया पाउडर (100-100 ग्राम) और हल्दी पाउडर 50 ग्राम होगा।
लाभार्थियों को लगभग 370 रुपये प्रति पैकेट (सभी व्ययों सहित) की लागत से फूड पैकेट आपूर्ति करने पर लगभग 392 करोड़ रुपये मासिक व्यय होगा। राज्य में चल रहे महंगाई राहत शिविर में इस योजना के लाभार्थियों का भी पंजीकरण किया जा रहा है।
यह योजना मुख्यमंत्री गहलोत के 19000 करोड़ रुपये के ‘महंगाई राहत पैकेज’ का एक हिस्सा है जिसकी घोषणा उन्होंने जनता को महंगाई के बोझ से राहत दिलाने के लिए की थी।
कुछ समय पहले खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री खाचरियावास ने आरोप लगाया था कि वित्त विभाग ने योजना को सहकारिता विभाग को हस्तांतरित कर दिया और कहा कि यह नियम के खिलाफ है।
भाषा पृथ्वी कुंज
संतोष
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