जयपुर: राजस्थान विधानसभा ने विवादास्पद नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शनिवार को संकल्प प्रस्ताव पारित किया.
इस संकल्प में सीएए को संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन बताते हुए कहा गया है कि इससे देश का पंथनिरपेक्ष ताना-बाना जोखिम में पड़ जाएगा. इसमें केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि इस कानून को निरस्त किया जाए.
राज्य के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने इससे पहले यह संकल्प प्रस्ताव सदन में रखा था. उन्होंने कहा कि संविधान की एक आधारभूत विशेषता है जिसे परिवर्तित नहीं किया जा सकता.
संकल्प प्रस्ताव में कहा गया कि संसद द्वारा हाल ही में पारित नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 (सीएए) का लक्ष्य धर्म के आधार पर अवैध प्रवासियों में विभेद करना है. इसके अनुसार धर्म के आधार पर लोगों में ऐसा विभेद संविधान में वर्णित पंथनिरपेक्ष आदर्शों के अनुरूप नहीं है और यह स्पष्ट रूप से अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है.
संकल्प पत्र में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि सीएए को निरस्त किया जाए. इसके साथ ही राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर), 2020 के अद्यतन के लिए मांगी जाने वाली नयी सूचनाओं को भी वापस लेना चाहिए.
जब संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल इस आशय का संकल्प पेश करने उठे तो नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया.
उन्होंने कहा कि संसद के दोनों सदनों से पारित होने के बाद सीएए पहले ही कानून बन चुका है, ऐसे में इस तरह संकल्प पत्र पेश करने का औचित्य नहीं है.
हालांकि विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने उनकी आपत्ति को खारिज करते हुए इसे जन अभिव्यक्ति का हिस्सा बताया. इसके बाद भाजपा के विधायक ‘सीएए लागू करो’ के नारे लगाते हुए आसन के सामने आ गए. धारीवाल ने शोरशराबे के बीच संकल्प पत्र पढ़ा.