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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश‘500 में गैस सिलेंडर, फ्री बिजली’, चुनावी विज्ञापनों में दोगुनी गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाएं

‘500 में गैस सिलेंडर, फ्री बिजली’, चुनावी विज्ञापनों में दोगुनी गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाएं

पूरा राजस्थान इस महीने पेश किए गए बजट में घोषित कांग्रेस सरकार की नई कल्याणकारी योजनाओं वाले पोस्टर और होर्डिंग्स से भरा हुआ है.

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जयपुर: चुनावी राज्य राजस्थान में इस महीने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा पेश किए गए बजट में कई तरह की कल्याणकारी योजनाएं का वादा कांग्रेस के लिए इससे बेहतर को कोई और चुनावी विज्ञापन नहीं हो सकता था.

शहरों से लेकर छोटे कस्बों और गांवों तक, बजट से संबंधित टैगलाइन के साथ मुख्यमंत्री गहलोत के होर्डिंग, बैनर, या पोस्टर का सामना किए बिना आप नहीं चल सकते हैं. इस होर्डिंग पर बजट की टैगलाइन- ‘बचत, राहत, बढ़त’ मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है, जैसा कि राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं में लिखा होता है.

कुछ होर्डिंग पर ‘500 रुपए में सिलेंडर’ तो कुछ में ‘100 यूनिट मुफ्त बिजली’ का विज्ञापन छपा है तो कुछ में ‘चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना अब 25 लाख रुपये है प्रति घर’ का विज्ञापन छपा है.

एक चुनावी साल में अपनी कल्याणकारी योजनाओं को दिखाने के लिए कांग्रेस सरकार के इस आक्रामक तेवर को भाजपा ने ‘लोकलुभावन योजनाओं’ और ‘चुनावी रेवड़ी’ कहकर उसकी आलोचना की है.

लेकिन 2018 में सत्ता में आने के बाद से ही गहलोत सरकार ने कल्याणकारी योजनाओं पर जोर दिया है और उनका जमकर प्रचार किया है. पिछले साल दिसंबर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया था कि राज्य की योजनाओं को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की जरूरत है.

विशेष रूप से, पिछले साल के बजट में भी चुनावी वर्ष नहीं होने के बावजूद कई कल्याणकारी योजनाओं को शामिल किया गया था, लेकिन कार्यान्वयन हमेशा सुसंगत नहीं रहा है. बीजेपी नेताओं द्वारा बार-बार दोहराई जाने वाली चिंताएं भी लंबे समय से चल रही हैं कि सोप्स की घोषणा करना आर्थिक रूप से विवेकपूर्ण नहीं है.

जन्म से लेकर मृत्यु तक, कुछ न कुछ दे रही गहलोत सरकार

2018 में सत्ता में आने के बाद से ही राजस्थान की गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने भोजन, सामाजिक सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और पेंशन जैसी योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है.

परंपरा को ध्यान में रखते हुए, 2023-24 का बजट भी गरीबों के हित में है, लेकिन फ्री में मिलने वाली चीजें और सब्सिडी के साथ.

इसका एक उदाहरण गरीबी रेखा से नीचे के लोगों के लिए एलपीजी सिलेंडर पर 700 रुपये की सब्सिडी है, जिससे सिलेंडर की कुल लागत 500 रुपये हो जाती है. यह केंद्र सरकार के 1,200 रुपये की तुलना में काफी कम और किफायती है.

सभी के लिए सरकार ने प्रति माह 100 यूनिट मुफ्त बिजली का वादा किया है, जो पहले से 50 यूनिट अधिक है. हर महीने 2,000 यूनिट से कम का उपयोग करने वाले 11 लाख से अधिक किसानों को भी मुफ्त बिजली मिलने जा रही है.

टोंक सरकारी अस्पताल में दवाखाना मुफ्त दवा के लिए मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना को बढ़ावा देने के लिए साइनेज के साथ | साभार : ज्योति यादव | दिप्रिंट

सब्सिडी वाले भोजन के लिए एक और बहुचर्चित योजना इंदिरा रसोई योजना है, जिसे अब ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तारित किया जाएगा. प्रमुख चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा का प्रति परिवार चिकित्सा कवर को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये करना एक बड़ा कदम है.

राज्य सरकार ने पुरानी पेंशन योजना का विस्तार करने का भी वादा किया है, जिसकी घोषणा उसने पिछले बजट में बोर्डों, निगमों, अकादमियों और विश्वविद्यालयों के सदस्यों के लिए की गई थी, हालांकि फंड जारी करने को लेकर केंद्र की ओर से कुछ आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी चला है.

ओपीएस, जिसे 2003 में बंद कर दिया गया था, सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के बाद मासिक पेंशन का हकदार बनाता था. इसमें उन्हें उनके अंतिम वेतन का आधा वेतन प्रतिमाह दिया जाएगा. नई पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत, कर्मचारी पेंशन फंड में योगदान करते हैं और सेवानिवृत्ति के बाद एकमुश्त राशि प्राप्त करते हैं.

जयपुर में चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए एक होर्डिंग | साभार : ज्योति यादव | दिप्रिंट

गहलोत सरकार ने बजट में महिलाओं पर भी विशेष ध्यान दिया है. जिसमें 200 करोड़ रुपये के बजट वाली मुफ्त सैनिटरी नैपकिन योजना से लेकर महिलाओं को वापस कार्यबल में लाने के लिए जागृति नामक कार्यक्रम, तीन साल तक मुफ्त में मोबाइल फोन वितरित करने की योजना और 1.35 करोड़ महिलाओं को मुफ्त इंटरनेट डेटा शामिल हैं. ये तमाम योजनाओं के साथ सरकार ने महिलाओं का ध्यान खींचा है.

मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने कहा, ‘मुख्यमंत्री डिजिटल सेवा योजना के तहत ग्रामीण महिलाओं को उद्यमियों बनाने का उद्देश्य है.’

शिक्षा के मोर्चे पर, सरकार वंचित बच्चों के लिए 1,000 और महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों को खोलने की योजना बना रही है. मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में राजस्थान में कुल 1,700 महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल है, जहां तीन लाख छात्र नामांकित हैं. पिछले बजट में इनमें से 2,000 स्कूलों की घोषणा की गई थी.

इसके अलावा, अब 30,000 मेधावी छात्र अनुप्रति योजना के तहत मुफ्त कोचिंग प्राप्त कर सकते हैं, जो पहले 15,000 थी. आवासीय सुविधाओं के वाउचर के लिए छात्रों की कुछ श्रेणियों के लिए मुफ्त स्कूटी से लेकर कार्यों में कई अन्य पहल भी हैं.


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मिश्रित प्रतिक्रियाएं

तमाम रियायतों के बावजूद, जनता पूरी तरह से सरकार के वादे से प्रभावित नहीं है, चाहे वह इस बजट के वादे हों या पहले बजट में घोषित की गई योजनाएं हों.

टोंक जिले की सोहेला पंचायत के पूर्व ग्राम प्रधान और भाजपा कार्यकर्ता नंद लाल ने कहा, ‘यह चुनावी बजट है.’

उन्होंने कहा, ‘पेंशन अच्छी है लेकिन सभी को नहीं मिलती है. चिरंजीवी योजना भी अच्छी है, लेकिन यह पहले [पूर्व भाजपा मुख्यमंत्री] वसुंधरा राजे सरकार के तहत भामाशाह योजना थी.’

सोहेला गांव में नंद लाल | साभार : ज्योति यादव | दिप्रिंट

लाल के अनुसार, मुख्य रूप से गुर्जर आबादी वाले 2,800 लोगों के इस गांव, सोहेला ने पिछले चुनावों में बड़े पैमाने पर कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया था.

हालांकि, कुछ निवासी सरकार से काफी हद तक खुश हैं, जैसे 65 वर्षीय विधवा कपूरी देवी. उनका परिवार स्वास्थ्य सेवा, सामाजिक सुरक्षा और शिक्षा के लिए कई सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होता है.

जबकि देवी की विधवा पेंशन परिवार के पर्याप्त नहीं है, उन्हें उम्मीद है कि राज्य सरकार रोजगार के अधिक अवसर पैदा करेगी.

इस बीच, विपक्षी भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार के ‘लोकलुभावन’ और ‘राजनीतिक रूप से प्रेरित’ उपाय केवल राज्य को कर्ज के बोझ में डालने का काम करेंगे.

राज्य भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने दिप्रिंट को बताया, ‘ये लोकलुभावन योजनाएं हैं. राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा कानून और व्यवस्था है और उन्होंने इसके लिए बजट का केवल 3 प्रतिशत ही स्वीकृत किया है.’

उन्होंने कहा, ‘राज्य सरकार पर 5.5 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है. वे इन योजनाओं को कैसे लागू करने जा रहे हैं? घोषणाओं और क्रियान्वयन के बीच बहुत बड़ा अंतर है.’

इसी तरह से, भाजपा के राज्य महासचिव भजन लाल शर्मा ने इसे ‘चुनावी रेवड़ी’ बताया.

शर्मा ने दिप्रिंट से कहा, ‘जमीनी स्तर पर लोग कांग्रेस से बहुत चिढ़े हुए हैं. इन योजनाओं को लागू करने के लिए पैसा कहां है?’

इस सवाल पर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह दोस्तारा ने भरोसा दिलाया.

उन्होंने कहा, ‘हम 1 अप्रैल से नया बजट लागू करने जा रहे हैं, और हमने कांग्रेस सरकार द्वारा किए गए सभी वादों के लिए पहले ही धन स्वीकृत कर दिया है.’

जबकि गहलोत ने पहले बजट को चुनावों के लिए तैयार किए जाने के आरोपों से इनकार किया था, लेकिन दोस्तरा ने सरकारी योजनाओं के माध्यम से लोगों का दिल जीतने की इच्छा को स्वीकार किया.

दोस्तारा ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम इन योजनाओं, सुशासन और समाधानों के माध्यम से समाज के हर वर्ग तक पहुंच रहे हैं. हमें उम्मीद है कि लोग हमें अपना प्यार देंगे.’

इस बीच, विशेषज्ञ सावधानी के साथ आशावादी हैं कि यदि इसे ठीक से क्रियान्वित किया जाता है, तो घोषणा की गई कल्याणकारी योजनाओं में से कुछ के दूरगामी लाभ हो सकते हैं.

राजस्थान विश्वविद्यालय में सामाजिक विज्ञान विभाग के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर राजीव गुप्ता ने कहा, ‘छात्रों के लिए स्कूटी, छात्रवृत्ति, मुफ्त स्वास्थ्य और दवा, और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि 500 रुपये के गैस सिलेंडर की कीमत निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों के बीच एक बड़ा अंतर लाएगी.’

साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के कार्यक्रमों को मजबूती के साथ लागू करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘वर्तमान में, ऐसा लगता है कि लाखों लाभार्थियों को मतदाताओं में बदला जा सकता है.’

(संपादनः ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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