जयपुर, दो अक्टूबर (भाषा) राजस्थान के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने सीकर जिले में हाथीदेह प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) में बच्चों के लिए खांसी की प्रतिबंधित दवा लिखे जाने पर एक चिकित्सक और फार्मासिस्ट को निलंबित करने की कार्रवाई शुरू कर दी है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों के अनुसार राज्य में संचालित निशुल्क दवा योजना के तहत वितरित खांसी की दवा (सिरप) की गुणवत्ता की शिकायत के प्रकरण में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग गंभीरता के साथ कार्रवाई सुनिश्चित कर रहा है। इसके अनुसार भरतपुर एवं सीकर जिले में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार दोनों ही बच्चों को खांसी की दवा डेक्सट्रोमैटोरफन नहीं लिखी गई थी।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर ने प्रकरण सामने आने पर तत्काल संज्ञान लेते हुए मामले की जांच किए जाने के निर्देश दिए थे। इसके बाद राजस्थान मेडिकल सर्विस कॉर्पोरेशन (आरएमएससीएल) ने संबंधित दवा के वितरण एवं उपयोग पर रोक लगा दी थी और जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी कर दिया था। साथ ही, दवा का वैधानिक नमूना लेकर जांच के लिए राजकीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भी भेजा गया है।
निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. रवि प्रकाश शर्मा ने बताया कि भरतपुर एवं सीकर में दो बच्चों की मौत के प्रकरण में प्राप्त रिपोर्ट में सामने आया है कि चिकित्सक द्वारा दोनों ही बच्चों को डेक्सट्रोमैटोरफन एचबीआर सिरप नहीं लिखी गई है। प्रोटोकॉल के अनुसार बच्चों को यह दवा नहीं लिखी जाती है। सीकर के अजीतगढ़ ब्लॉक की हाथीदेह पीएचसी पर एक बच्चे को खांसी की यह दवा लिखे जाने का मामला सामने आया था, जिस पर चिकित्सक डॉ. पलक एवं फार्मासिस्ट पप्पू सोनी को निलंबित करने की कार्रवाई की जा रही है।
वहीं विभाग ने प्रकरण में आवश्यक कार्यवाही के साथ ही ‘प्रिस्क्रिप्शन’ लिखने में प्रोटोकॉल का पालन करने तथा रोगियों को ‘प्रिसक्रिप्शन’ से ही दवा उपलब्ध कराने तथा रोगियों द्वारा बिना चिकित्सकीय परामर्श के दवा नहीं लेने के संबंध में परामर्श भी जारी किया है। इसमें कहा गया है कि सभी चिकित्सक दवा लिखते समय परामर्श की पूर्णत: पालना सुनिश्चित करें। बच्चों को दवाई लिखते समय निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जाए।
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रवि कांत
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