नई दिल्ली: हरियाणा में भारी बारिश उनकी बासमती फसल की क़ीमतों के लिए ख़तरा बन सकती हैं, किसान मांग कर रहे हैं कि उन्हें अपनी अगेती फसल की उपज को, आढ़तियों या कमीशन एजेंट्स को दरकिनार करते हुए सीधे चावल मिल मालिकों को बेचने का अधिकार दिया जाए.
आढ़तियों ने नई इलेक्ट्रॉनिक ट्रांज़ेक्शन प्रक्रिया की वजह से अनिश्चितकालीन हड़ताल का आह्वान किया हुआ है. उनमें इस बात को लेकर नाराज़गी है कि इस प्रक्रिया में, उन्हें किसानों से मिलने वाला कमीशन सुनिश्चित किए बग़ैर, सीधे किसानों को भुगतान जारी कर दिए जाते हैं. इसकी वजह से स्थानीय अनाज मंडियां बंद हो गई हैं, जहां किसान आमतौर पर अपनी उपज की बिक्री और भंडारण करते हैं.
विशेषज्ञों ने दिप्रिंट को बताया कि अगर बारिशें जारी रही, तो जिस फसल के अब ढेर लग गए हैं, वो तेज़ी से ख़राब हो सकती है.
उन्होंने चेतावनी दी कि भंडारण के लिए सूखी जगह की कमी, और धान को सुखाने के विशेष उपकरण न होने की वजह से हरियाणा की क़रीब 30 प्रतिशत बासमती ख़तरे में है.
आल इंडिया राइस एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय सेतिया ने दिप्रिंट से कहा, ‘पिछले तीन दिन से हरियाणा के सभी हिस्सों में निरंतर बारिश हो रही है, जहां बासमती की अलग-अलग क़िसमें उगाई जाती हैं. धान की जिन अगेती क़िस्मों की अभी कटाई होती है, उनमें 20 से 30 प्रतिशत नमी होती है. इसलिए उन्हें लंबे समय तक स्टोर करके नहीं रखा जा सकता, 24 घंटे के लिए भी नहीं, क्योंकि फसल धीरे धीरे ख़राब होने लगती है और उसके दाम गिर जाते हैं.
उन्होंने कहा, ‘ये फसलें फिलहाल कामचलाऊ भंडार ढांचों में रखी हैं, जिन्हें किसानों ने बनाया है और जो पर्याप्त नहीं हैं’.
सेतिया ने कहा, ‘किसान अपनी काटी हुई उपज सीधे चावल मिल मालिकों को बेचना चाहते हैं, क्योंकि उनके पास ज़्यादातर फसलों को सुखाने का इनफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है, जो मंडियों के पास नहीं है’.
उन्होंने समझाया, ‘कुछ बासमती क़िस्में ऐसी होती हैं जो बाक़ी से पहले तैयार हो जाती हैं, और अगर उन्हें ठीक से न रखा जाए तो उनमें अंकुर फूटने लगते हैं. राज्य सरकार को इस बात को समझना चाहिए कि अगर नुक़सान होता है तो उसका ख़ामियाज़ा किसानों को भुगतना होगा’.
ख़रीद में देरी को लेकर किसानों ने हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी की अगुवाई में, दिल्ली-चंडीगढ़ हाईवे को ब्लॉक किया था.
20 घंटे चली नाकाबंदी आज हटा ली गई, जब सरकार ने कहा कि ख़रीद का काम 1 अक्टूबर से शुरू हो जाएगा, और वो पिछले 22 क्विंटल की बजाय प्रति एकड़ 30 क्विंटल धान की ख़रीद पर विचार करने को सहमत हो गई, जिसकी किसान मांग कर रहे थे.
भारत में बासमती चावल की 34 क़िस्में पैदा होती हैं, जिन्हें बीज एक्ट 1966 के तहत अधिसूचित किया गया है. भारत में धान की कुल खेती में केंद्र-शासित क्षेत्र जम्मू-कश्मीर, और हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल मिलाकर 400 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान उगाया जाता है.
अधिकारियों के मुताबिक़ इस साल 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हुई, और इनमें से 30 प्रतिशत फसल अगेती क़िस्मों की है, जिनमें नमी की मात्रा अधिक होती है.
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