नई दिल्ली: ट्रेनों को चलाने में रुचि रखने वाले प्राइवेट प्लेयर्स को महीने भर पहले ये बताने के बाद कि टैरिफ और किराए को रेगुलेट करने के लिए कोई बॉडी नहीं होगी, भारतीय रेलवे ने लोकसभा में कहा कि वो अब टैरिफ रेगुलेशन के लिए नए तरीके का अध्ययन कर रहा है ताकि प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर्स की आवश्यकता पूरी हो सके.
भाजपा सांसद नलीन कुमार कटील के सवाल का जवाब देते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को कहा, ‘निजी यात्री ट्रेन ऑपरेटरों और अन्य सार्वजनिक प्राइवेट पार्टनरशिप जैसे बदलते परिदृश्य की आवश्यकता को पूरा करने के लिए सांविधिक समर्थन के साथ एक रेगुलेटरी तंत्र पर विचार किया जा रहा है.’
उन्होंने कहा, ‘किसी भी मौजूदा रेगुलेटर के प्राधिकरण सहित सांविधिक समर्थन के साथ रेल नियामक तंत्र को सक्षम बनाने के लिए एक अध्ययन किया जा रहा है.’
पिछले महीने रेलवे ने फर्म्स को कहा था कि प्राइवेट ट्रेनों के किराए का रेगुलेशन कोई ऑथिरिटी नहीं करेगी और प्राइवेट प्लेयर्स को किराया निर्धारित करने की छूट होगी.
अगस्त में जारी किए गए कोरिजेंडम में, जब रेलवे ने प्राइवेट प्लेयर्स से मुलाकात की थी, उसने रुचि रखने वाले प्लेयर्स को कहा था, ‘किराए को लेकर कोई रेगुलेशन नहीं होगा और प्राइवेट ट्रेन ऑपरेटर्स (पीटीओ) को किराया/टैरिफ तय करने का अधिकार होगा.’
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विरोधाभासी स्थिति
प्राइवेट ट्रेनों के किराए का रेगुलेशन कंपनियों के लिए शुरू से ही एक मुद्दा रहा है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक अगस्त में हुई प्री-बिड मीटिंग में, एक फर्म ने कहा था, ‘जैसा कि क्लॉज (कोरिजेंडम में) में कहा गया है, यह स्पष्ट है कि किराया प्राइवेट प्लेयर्स द्वारा तय किया जाएगा लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि क्या इस तरह का किराया किसी भी रेगुलेटरी बॉडी द्वारा अप्रूवल से गुजरेगा.’
मंत्रालय को बताया गया था कि ‘किराया बाजार संचालित होगा और किसी भी तरह के अप्रूवल की जरूरत नहीं होगी.’
हालांकि, कोरिजेंडम में भविष्य में मूल्य निर्धारण में एक नियामक की भागीदारी को खारिज नहीं किया था.
कोरिजेंडम के अनुसार, ‘अपने उद्देश्यों के आधार पर, एमओआर (रेल मंत्रालय) यह स्पष्ट करने पर विचार कर सकता है कि परियोजना प्रस्तावित नियामक की निगरानी में नहीं होगी. इससे इच्छुक बिडर्स को स्पष्टता मिलेगी. हालांकि, अगर रेल मंत्रालय भविष्य में इस परियोजना को रेगुलेटर की निगरानी में रखना चाहेगा तो इससे जुड़े प्रावधानों को शामिल किया जाना चाहिए.’
दिप्रिंट ने मंत्रालय के प्रवक्ता से फोन कॉल्स और टेक्स्ट मैसेज के जरिए इस विरोधाभासी स्थिति पर टिप्पणी के लिए संपर्क किया लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है. अगर जवाब आता है तो इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
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‘रेगुलेटरी मैकेनिज़्म पर विचार किया जा रहा है’
मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि निजी प्लेयर्स के लिए नए सेक्टर के तौर पर इसे खोले जाने के कारण ही भ्रम की स्थिति बनी हुई है. अगर रेगुलेशन ज्यादा हुआ तो प्राइवेट प्लेयर्स आगे नहीं आएंगे.
फिर भी उन्होंने कहा, ‘इस सेक्टर में भारतीय रेलवे का एकाधिकार रहा है, ऐसे में वो इसे पूरी तरह से बिना रेगुलेशन के नहीं रखना चाहेगा.’
लोकसभा में दिए जवाब में गोयल ने कहा कि नए मैकेनिज्म का अध्ययन किया जा रहा है. इससे पहले रेल डेवलपमेंट ऑथिरिटी किराए से जुड़े विषयों को देख रही थी.
गोयल ने कहा, ‘रेल विकास प्राधिकरण (आरडीए) की स्थापना के प्रस्ताव को अधिसूचित किया गया है. आरडीए को सलाहकार निकाय के तौर पर रखा गया है. इसका संचालन होना अभी बाकी है. हालांकि, इसकी सीमा के संदर्भ में, ये सलाहकार के तौर पर होगा. साथ ही सांविधिकता के साथ एक रेगुलेटरी तंत्र को प्राइवेट पैसेंजर ट्रेन ऑपरेटरों और अन्य सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) उपक्रमों जैसे बदलते परिदृश्य की आवश्यकता को पूरा करने पर विचार किया जा रहा है.’
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2017 में सेवाओं के मूल्य निर्धारण को रेगुलेट करने के लिए 50 करोड़ रुपये के कोष के साथ आरडीए को अधिसूचित किया था, जो गैर-किराया राजस्व बढ़ाने, उपभोक्ता हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, सेवा की गुणवत्ता, प्रतिस्पर्धा, दक्षता और इकोनॉमी बढ़ाने के उपायों की सिफारिश करता था.
आरडीए के होने के बाद भी नए मैकेनिज्म के अध्ययन पर रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि ऑथिरिटी के बढ़ने से कोई परेशानी नहीं है. ये प्राइवेट सेक्टर की निवेश प्रक्रिया को स्ट्रीमलाइन करने में मदद कर सकता है.
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