नयी दिल्ली, 29 मई (भाषा) दिल्ली की एक अदालत ने रेलवे में कथित तौर पर जमीन के बदले नौकरी घोटाले में ‘अंतिम आरोप-पत्र’ दाखिल करने में देरी को लेकर बुधवार को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की खिंचाई की।
कथित घोटाला राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़ा है।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए ‘हर तारीख पर’ सीबीआई द्वारा अतिरिक्त वक्त मांगे जाने पर नाखुशी जताई।
न्यायाधीश ने केंद्रीय जांच एजेंसी को सात जून तक अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
सीबीआई ने मार्च में तीन आरोपियों- अशोक कुमार, बबीता और भोला यादव के खिलाफ पूरक आरोप-पत्र दाखिल किया था। अशोक कुमार एवं बबीता प्रत्याशी हैं, जबकि भोला यादव उस वक्त लालू प्रसाद के निजी सचिव थे जब राजद सुप्रीमो रेल मंत्री थे।
अदालत ने इस मामले में 28 फरवरी को प्रसाद की पत्नी एवं बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, उनकी बेटियों– मीसा भारती एवं हेमा यादव को जमानत दी थी।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि 2004 और 2009 के बीच कई लोगों को भूखंडों के एवज में भारतीय रेलवे के विभिन्न संभागों में ‘डी’ समूह में नौकरियां दी गयी थीं। नौकरी की खातिर इन लोगों ने प्रसाद के परिवार के सदस्यों को बहुत कम दर पर ये भूखंड बेचे थे। तब प्रसाद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की पहली सरकार में रेल मंत्री थे।
प्रवर्तन निदेशालय भी कथित धनशोधन को लेकर इस मामले की जांच कर रहा है।
भाषा राजकुमार सुरेश
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