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Tuesday, 23 April, 2024
होमदेशराहुल गांधी, IT मंत्री वैष्णव, प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के भतीजे- पेगासस 'हैकिंग' सूची के ताजा नाम

राहुल गांधी, IT मंत्री वैष्णव, प्रशांत किशोर, ममता बनर्जी के भतीजे- पेगासस ‘हैकिंग’ सूची के ताजा नाम

आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव का नाम संसद में सरकार का जोरदार बचाव करने के बाद सामने आया. इससे पहले अपनी सरकार का बचाव करते हुए उन्होंने कहा था कि पेगासस रिपोर्ट का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और यह 'भारतीय लोकतंत्र को बदनाम करने' का एक प्रयास प्रतीत होता है.

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नई दिल्ली: एक वैश्विक मीडिया कंसोर्टियम (संघ) के द्वारा सोमवार को दी गई जानकारी के अनुसार कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे कम-से कम-दो मोबाइल फोन नंबर उन 300 सत्यापित भारतीय नंबरों में शामिल हैं, जिन्हें इजरायली सर्वेलन्स टेक्नॉलजी (निगरानी प्रौद्योगिकी) प्रदाता एनएसओ ग्रुप द्वारा संभावित रूप से हैकिंग के लिए चुने गए लक्ष्यों में शामिल किया गया था.

राहुल गांधी के अलावा, नवनियुक्त केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव, राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी के फोन नंबर भी इस सूची में शामिल थे.

कंसोर्टियम ने यह भी कहा कि किशोर के एक अन्य करीबी सहयोगी के फोन सहित सूची में शामिल लोगों- जिन्हें कथित तौर पर निशाना बनाया गया था- के फोन फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए उपलब्ध नहीं थे, जिस कारण हैकिंग की पूरी तरह से पुष्टि नहीं की जा सकती है.

राहुल गांधी के इन दो नंबरों को अब सेवा से हटा दिया गया है क्योंकि उन्हें कथित तौर पर निशाना बनाया गया था. इस सूची में कथित तौर पर राहुल गांधी के पांच दोस्तों और परिचितों के फोन नंबर भी शामिल हैं.

जिन अन्य लोगों के नाम इस संदिग्ध जासूसी हमले में सामने आए हैं, उनमें पूर्व चुनाव आयुक्त अशोक लवासा भी शामिल हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान कथित तौर पर चुनाव आचार संहिता उल्लंघन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को बेदाग बरी कर दिए जाने के चुनाव आयोग के फैसले में एकमात्र असंतुष्ट टिपण्णी करने वाले शख्श थे. उनके आलावा वैज्ञानिक गगनदीप कांग, जो केंद्रीय विज्ञान मंत्रालय के तहत कार्यरत एक स्वायत्त संस्थान, ट्रांसलेशनल हेल्थ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट के पूर्व कार्यकारी निदेशक हैं, का भी नाम इस सूची में है.

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रविवार को, मीडिया संगठनों के एक वैश्विक संघ द्वारा किये एक खुलासे से पता चला है कि इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल भारत में कथित तौर पर 300 मोबाइल फोन नंबरों की गुपचुप निगरानी करने के लिए किया गया था. इनमें दो वर्तमान केंद्रीय मंत्री, तीन विपक्षी नेता, एक संवैधानिक प्राधिकारी (अथॉरिटी), सुरक्षा से जुड़े संगठनों के पूर्व एवं वर्तमान प्रमुख, कई प्रशासक और 40 से भी अधिक वरिष्ठ पत्रकार और कार्यकर्ताओं के नंबर भी शामिल थे.

इससे पहले सोमवार को, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सरकार का बचाव करते हुए कहा था कि इस रिपोर्ट का कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है और यह ‘भारतीय लोकतंत्र और इसके सुस्थापित संस्थानों का नाम खराब करने’ का एक प्रयास प्रतीत होता है.’

लोकसभा को संबोधित करते हुए, आईटी मंत्री ने कहा, ‘कल रात एक वेब पोर्टल द्वारा एक बेहद सनसनीखेज खबर प्रकाशित की गई थी जहां कई सारे बेतुके (ओवर द टॉप) आरोप लगाए गए थे.’

वैष्णव ने सदन के पटल पर बोलते हुए कहा, ‘यह महज संयोग नहीं हो सकता कि संसद के मानसून सत्र से ठीक एक दिन पहले यह प्रेस रिपोर्ट सामने आई है.’

आईटी मंत्री ने कहा कि इस रिपोर्ट का आधार यह है कि एक ऐसा मीडिया कंसोर्टियम है जिसके पास 50,000 फोन नंबरों के लीक हुए डेटाबेस तक पहुंच है.

उन्होंने कहा, ‘आरोप यह लगाया जा रहा है कि इन फोन नंबरों से जुड़े लोगों की जासूसी की गई थी. हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस डेटा में किसी फोन नंबर की मौजूदगी से यह पक्का पता नहीं चलता है कि क्या कोई उपकरण (डिवाइस) पेगासस द्वारा संक्रमित हुआ था या उसे हैक करने की कोशिश की गई थी.’

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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