नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे मामले में भ्रष्टाचार के आरोप को लेकर दायर की गई पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने 36 राफेल विमान की खरीद को लेकर यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और प्रशांत भूषण की याचिका को खारिज कर दिया है.
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि हमें नहीं लगता कि राफेल विमान सौदा मामले में प्राथमिकी दर्ज करने या बेवजह जांच का आदेश देने की जरूरत है.
कोर्ट के 14 दिसंबर 2018 के जजमेंट के खिलाफ ये दायर सभी याचिकाएं दायर की गई थी. राहुल गांधी द्वारा कोर्ट की अवमानना के मामले को भी अदालत ने खारिज कर दिया और राहुल गांधी को भविष्य में ध्यान रखने को कहा है.
राहुल गांधी द्वारा माफी मांग लिए जाने के बाद कोर्ट ने इस मामले को बंद कर दिया और भविष्य में गांधी को ध्यान रखने को कहा है. गांधी ने कहा था कि कोर्ट ने भी मान लिया है कि चौकीदार चोर है. इसके बाद मीनाक्षी लेखी ने उनके खिलाफ केस दायर किया था.
Supreme Court dismisses Rafale review petitions against its December 14, 2018 judgement upholding the 36 Rafale jets' deal. pic.twitter.com/DCcgp4yFiH
— ANI (@ANI) November 14, 2019
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राफेल विमान सौदा 2019 में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान एक बड़ा मुद्दा बन गया था. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दो जनहित याचिका दायर की गई थी जिसमें पूरे सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था. साथ ही विमान की कीमत, कंपनी की भूमिका और कांन्ट्रैक्ट को लेकर कई सवाल खड़े किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के फैसले में कहा था कि इस मामले में वो दखल नहीं दे सकती. जिसके बाद कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी. याचिका में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने कोर्ट को गुमराह किया है.
कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को राहत देने के बाद इस मामले में पूर्व केंद्र मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी.
इस मामले की सुनवाई तीन सदस्यीय पीठ कर रही है. जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई कर रहे हैं. जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ भी पीठ में शामिल है.
राफेल सौदे पर विपक्ष का आरोप
राफेल विमान सौदे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने मोदी सरकार पर कई आरोप लगाए थे. ये सभी आरोप विमान के खरीदने की प्रक्रिया में गलत तरीका अपनाने से जुड़ा था. लेकिन इससे इतर केंद्र सरकार के तरफ से आए अभी तक के सभी बयानों में कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरापों को गलत बताया गया है.
पिछले महीने ही केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पहले राफेल विमान के लिए फ्रांस गए थे. जहां उन्हें आधिकारिक रूप से पहला राफेल विमान सौंपा गया था.
विपक्ष इस पूरे डील को लेकर सवाल उठाता आया है. विमानों के दामों को लेकर विपक्ष ने कहा कि ये डील काफी महंगा है. वहीं एनडीए सरकार ने दावा किया था कि यह सौदा उसने यूपीए से ज्यादा बेहतर कीमत में किया था.
इस समझौते से जुड़े दस्तावेज़ को सार्वजनिक करने की भी मांग विपक्ष कर रही थी. विपक्ष का कहना था कि अगर ये डील सही तरीके से हुई है तो सरकार को दस्तावेज छुपाने क्यों पड़ रहे हैं.
कई सालों से राफेल विमान का सौदा अटका हुआ था
राफेल विमान के सौदे को लेकर कई सालों से बातचीत हो रही थी. 2011 से इसे लेकर फ्रांस की कंपनी दसाल्ट एविएशन से बात शुरु हुई. यूपीए सरकार के समय में इस पर समझौता नहीं हो पाया था. तकनीक के लेन देन को लेकर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं बन पाई थी.
इसके बाद 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद इसे लेकर बात आगे बढ़ी थी. प्रधानमंत्री मोदी ने 2015 में फ्रांस की यात्रा की थी और विमान खरीद को लेकर समझौता किया था. इस समझौते में फ्रांस से 36 विमान खरीदने की बात हुई थी.
समझौते के अनुसार फ्रांस विमानों के रखरखाव की जिम्मेदारी भी लेगा और 18 महीने के बाद विमान की आपूर्ति देने की बात कही गई थी.
एचएएल को सौदे से बाहर कर दिया गया
कांग्रेस का कहना है कि जब उसने इस डील को लेकर बात की थी तो उसमें भारतीय कंपनी एचएएल भी शामिल थी. लेकिन नए समझौते में इस कंपनी को बाहर कर दिया गया. विपक्ष का कहना था कि एक अनुभवी कंपनी को बाहर कर एक अनाड़ी निजी कंपनी को शामिल करना सरासर गलत है.
कैग की रिपोर्ट में क्या था
महालेखा नियंत्रक परीक्षक (कैग) ने राफेल सौदे की अपनी रिपोर्ट पेश की थी जिसमें, कहा गया था कि ‘126 विमानों के लिए किए गए सौदे की तुलना में भारत ने भारतीय जरूरत के अनुसार करवाए गए परिवर्तनों के साथ 36 राफेल विमानों के सौदे में 17.08 फीसदी रकम बचाई है.
रिपोर्ट में लिखा था कि यूपीए के कार्यकाल में 126 लड़ाकू विमान खरीदने पर हुई बातचीत के मुकाबले एनडीए के दौर में 36 राफेल खरीदने के भारत सरकार के कांट्रेक्ट से भारत ने 17.08 प्रतिशत की बचत की है. इन लड़ाकू विमानों में भारत की ज़रूरत के हिसाब से काफी बदलाव किए गए हैं.
141 पन्नों की इस रिपोर्ट के 126 पृष्ट के आगे सारी चर्चा भारत और फ्रांस के बीच राफेल की उड़ने लायक स्थिति में 36 लड़ाकू विमानों की खरीद पर चर्चा छापी गई है. यह विवाद जिसमें कहा जा रहा है कि यूपीए की डील से एनडीए की डील बेहतर है या नहीं पर सीएजी ने रिपोर्ट में कहा है कि एनडीए की 2015 में डील को लेकर पेश की गई कीमत 2007 की यूपीए की कीमत से 2.86 प्रतिशत कम है.
रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि विमान चलाने के लिए जो सहायता उपकरण दिए गये हैं और जो तकनीकि सहायता दी गई है – उस मापदंड पर एनडीए की डील 4.77 प्रतिशत सस्ती है. इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज एनडीए की डील में 6.54 प्रतिशत महंगा है. पर्फोमेंस बेस्ड लोजिस्टिक्स एनडीए की डील 6.54 प्रतिशत महंगा है. शस्त्र पैकेज एनडीए की डील में 1.05 प्रतिशत सस्ती है.
रंजन गोगोई सेवानिवृत्त होने वाले हैं
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. उससे पहले उनकी अध्यक्षता में कई महत्वपूर्ण मामलों पर सुनवाई होनी है. कुछ दिन पहले ही अयोध्या विवाद पर भी फैसला आया है. उनके सामने राफेल, सबरीमाला जैसे मामले हैं जिनका फैसला सुनाया जाना है.