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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशपूरन पोली से अचार तक- दापोली में कोंकणी थाली में होम-शेफ वाला तड़का लगा रही हैं महिलाएं

पूरन पोली से अचार तक- दापोली में कोंकणी थाली में होम-शेफ वाला तड़का लगा रही हैं महिलाएं

पिछले 10 सालों के दौरान महाराष्ट्र का दापोली एक प्रमुख पर्यटन स्थल बनकर उभरा है. और यहां पर्यटकों की पहली पसंद पारंपरिक कोंकणी थाली ही होती हैं.

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महाराष्ट्र के उत्तरी रत्नागिरी जिले में बड़ी संख्या में आम, नारियल और बरगद के पेड़ों के बीच बसे छोटे-से तटीय शहर दापोली की भूल-भुलैया जैसी गलियों में हर 300 से 500 मीटर की दूरी पर बोर्ड लगे दिख जाएंगे, जिन पर लिखा होता है- आपको यहां घर का बना खाना मिलेगा.

बोर्ड आगंतुकों को सड़क किनारे स्थित छोटे रेस्तरां या होमस्टे की ओर ले जाते हैं, जहां पहले अपनी पाक कला का इस्तेमाल केवल परिवार के लिए करने वाली कोंकणी महिलाएं अब बड़ी संख्या में पर्यटकों को पारंपरिक कोंकणी थाली का स्वाद चखा रही हैं, जिसमें ताजा पोमफ्रेट या सुरमाई और कोकम वाली सोल कढ़ी शामिल है.

पिछले दस सालों में अरब सागर के आकर्षक नजारों से परिपूर्ण दापोली एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में उभरा है. ये महाराष्ट्र में समुद्र किनारे छुट्टी बिताने के इच्छुक उन पर्यटकों को काफी लुभा रहा है जो भीड़-भाड़ भरे अलीबाग से इतर किसी जगह की तलाश में रहते हैं. शहर के चारों ओर होमस्टे और छोटे-छोटे रिसॉर्ट बन गए हैं, जिनमें कोंकणी व्यंजन प्रमुख आकर्षण हैं. और इसने दापोली महिलाओं की व्यस्तता भी काफी बढ़ा दी है.

दापोली टाउन सेंटर में नीलपरी फूड एंड स्नैक्स कॉर्नर चलाने वाली 61 वर्षीय नीलिमा सावंत बताती हैं, ‘मैं सिर्फ खाना ही नहीं बनाती, बल्कि थोड़ा-बहुत सूखा नाश्ता भी बनाती हूं जैसे मसाला, आटा, चटनी और विभिन्न तरह की मिठाइयां जैसे मोदक और श्रीखंड आदि. बहुत सारे लोग हैं जो इन दिनों घर का बना खाना पसंद करते हैं. इसलिए, मैंने एक महीने पहले इसकी शुरुआत की है.’

किचन में नीलिमा सावंत | फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

होम शेफ और उनकी पूरन पोली

नीलपरी फूड्स में केवल दो टेबल और एक बिलिंग काउंटर है जहां कोंकणी स्नैक्स, तमाम प्रकार के पापड़, बिस्कुट और चॉकलेट मिलते हैं.

परिसर के एकमात्र कमरे को किचन में बदल दिया गया है जो काफी रोशनीदार है और वेंटिलेशन की भी अच्छी व्यवस्था है. यहां स्टील के बर्तन इस्तेमाल किए जाते हैं, पानी के बर्तन, एक्वागार्ड और एक कोने में रखे रेफ्रिजरेटर के साथ यह एकदम घर जैसा एहसास कराता है. सावंत चपाती के लिए आटा गूंथने में व्यस्त हैं, वहीं एक अन्य महिला बर्तनों आदि का इंतजाम कर रही है.

61 वर्षीय सावंत ने शादी के कुछ साल बाद ही अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी थी. लेकिन 2016 में उनकी जिंदगी में एक नया मोड़ आया और वह नजदीक ही कोकमवाड़ी में होमस्टे चलाने लगीं. मालिक एक बूढ़ा आदमी था इसलिए सावंत ने होमस्टे चलाने की जिम्मेदारी खुद संभाल ली. वह यहां आने वाले सभी मेहमानों के लिए खुद खाना बनाती थीं— जिसके फुल होने पर करीब 12 लोग रह रहे होते थे.

कोंकण थाली | फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

सावंत ने बताया, ‘यह एक 3 बीएचके वाला घर था और मैं खुद सभी मेहमानों के लिए खाना बनाती थी. मेरे पकाए व्यंजन लोगों को काफी पसंद आते थे और वे घर के बने स्थानीय व्यंजन ही चाहते थे. लेकिन कोविड के कहर के बाद मालिक ने अपना रिसॉर्ट बेच दिया.’

लेकिन नीलिमा सावंत ने हार नहीं मानी. वह जानती थीं कि उन्हें आगे बढ़ते रहना होगा और 15 अगस्त 2022 उनके लिए एक नया स्वतंत्रता दिवस साबित हुआ. उन्होंने करीब एक लाख रुपये के निवेश के साथ अपना छोटा-सा फूड कॉर्नर खोला, इस भरोसे के साथ कि वह एक साल में इसकी भरपाई कर लेंगी.

नीलिमा सावंत ऐसी अकेली शख्स नहीं हैं. दापोली में काफी लोग इस कारोबार में संभावनाएं तलाश रहे हैं.

दापोली के हरनाई स्थित एक छोटे से रिसॉर्ट होटल आमंत्रण के मालिक विक्रांत मायेकर कहते हैं, ‘यहां कई पर्यटक पुणे-मुंबई से आते हैं. इसलिए, स्थानीय लोग अपने खुद के छोटे रिसॉर्ट या होमस्टे खोल रहे हैं.’

ओंकार हॉलिडे नामक पर्यटन व्यवसाय चलाने वाले और एक बैंक कर्मचारी ओंकार डाबके बताते हैं कि दापोली में 160 से अधिक रिसॉर्ट हैं और कई होमस्टे भी हैं.

डाबके बताते हैं, ‘यहां स्टीम्ड मोदक, पूरन पोली, संजने जैसे विशिष्ट महाराष्ट्रियन व्यंजनों की काफी मांग है, जो आपको आमतौर पर बड़े होटलों में नहीं मिलते हैं. यहां पर ‘बचत समूह’ भी बने हुए हैं. इनसे हर एक में 10-12 महिलाएं होती हैं और ये भाकरी, चपाती, पापड़ आदि के लिए बड़े रिसॉर्ट्स के साथ जुड़ती हैं. इन समूहों को बैंकों से कम ब्याज पर ऋण मिलता है. इससे महिलाओं के लिए रोजगार के विकल्प खुल रहे हैं.’


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‘इसका स्वाद एकदम घर जैसा है’

सुनीता जाधव नीलपरी स्नैक्स कॉर्नर पर महाराष्ट्रियन व्यंजनों से भरी अपनी थाली का आनंद ले रही थीं. उन्होंने एक नॉन-वेज थाली ऑर्डर की थी. एक प्लेट में नींबू और सलाद के साथ एक तला हुआ पोमफ्रेट था और दूसरी में झींगा, दो चपाती, दाल, चावल और आम का अचार था. बाद में सुनीता ने एक स्टीम्ड मोदक का ऑर्डर दिया, जो मिठाई के तौर पर नीलपरी का एक खास व्यंजन है. वह एक कामकाजी महिला हैं और पुणे की रहने वाली है. वह दापोली में अकेले ही रहती हैं.

वह कहती हैं, ‘मैं हमेशा घर के बने खाने के लिए यहां आती हूं. वे अच्छा महाराष्ट्रियन नाश्ता और दोपहर और रात के खाने में शानदार स्थानीय कोंकणी व्यंजन परोसते हैं. भोजन तैलीय या मसालेदार नहीं होते है और इनका स्वाद एकदम घर जैसा होता है.’

सुदीक्षा बोवने आंटा गूंथती हुई | फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

हरनाई समुद्र तट क्षेत्र में सचिन बोवने और उनका परिवार एक होमस्टे चलाते हैं जहां सुदीक्षा बोवने और स्वानंदी बोवने खाना बना रही हैं. वे सिस्टर-इन लॉ हैं. गुलमोहर नामक यह होमस्टे परिवार ने पांच साल पहले शुरू किया था, जब उन्होंने यहां आने वाले लोगों को भोजन उपलब्ध कराने के बारे में सोचा क्योंकि पर्यटन काफी बढ़ रहा था.

स्वानंदी कहती हैं, ‘यह आपके परिवार के लिए खाना बनाने और बड़े पैमाने पर खाना बनाने से अलग है. लेकिन घर के बने खाने की अच्छी मांग है. यहां आने वाले कई पर्यटक भले ही बड़े रिसॉर्ट्स में ठहरे हों लेकिन घर की बनी फिश फ्राई या करी के लिए हमारे यहां आते हैं.’

सुदीक्षा की शादी पिछले साल ही हुई है और उसने बोवने फैमिली के बिजनेस को संभाल लिया है. वह कहती हैं, ‘मेरी सास बहुत अच्छी कुक हैं और उन्होंने हमें खाना बनाना सिखाया है. मैं अभी सीख ही रही हूं.’

हालांकि, दोनों महिलाएं इस बात से सहमत हैं कि बढ़ते पर्यटकों के साथ उनकी खाना पकाने की प्रतिभा नए आयाम हासिल कर रही है. स्वानंदी ने कहा, ‘इस होमस्टे के साथ कई और लोग भी आते हैं और हमारे भोजन का आनंद लेते हैं. वे हमारी सराहना करते हैं और यह अच्छा लगता है कि हमारी प्रतिभा को पहचान मिल रही है.’

गुलमोहर से उसी सड़क के नीचे मंडनगांव की रहने वाली वैशाली इरुंडकर ने पिछले साल अपना रेस्टोरेंट शुरू किया था. वह पिछले 20 सालों से रेस्टोरेंट बिजनेस में हैं. दापोली में पर्यटकों की बढ़ती संख्या ही इरुंडाकर को इस क्षेत्र में लाई.

उन्होंने कहा, ‘पीक सीजन के दौरान कोई भी आसानी से रोजाना 15,000 से 20,000 रुपये कमा सकता है. घर में खाना बनाकर महिलाएं अच्छा बिजनेस कर सकती हैं.’

दापोली में कई ऐसी ग्रामीण महिलाएं भी हैं जिनके पास कोई रेस्तरां या होमस्टे नहीं है. ऐसे में उन्हें कुक या किचन स्टाफ के तौर पर नौकरी मिल जाती है.

घरेलू सहायिका रही जान्हवी भोगड को अब होटल आमंत्रण में खाना बनाने का काम मिल गया है. वह चपाती और भाकरी बनाती हैं जिसके लिए उसे हर महीने 6,000 रुपये मिलते हैं. वह कहती हैं, ‘यह अच्छा काम है और मुझे मन लगाकर यह करना पसंद है. मैं खाना पकाने से ज्यादा पैसा कमाती हूं.’

फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

दापोली का रास्ता

हालांकि, दापोली का बुनियादी ढांचा अभी तक अपने इन होम शेफ के अनुरूप नहीं बन पाया है.

होटल आमंत्रण के मालिक मायेकर का कहना है कि चूंकि यह क्षेत्र समुद्र के किनारे बसा एक छोटा-सा शहर है, इसलिए यहां अभी तक पूरी तरह विकास नहीं हो पाया है.

वह कहते हैं कि अगर मुंबई या पुणे से किसी को वीकेंड पर छुट्टी मनाने जाना है, तो वे अलीबाग को ही पसंद करते हैं क्योंकि दापोली की यात्रा में करीब पांच घंटे का समय लगता है. वे आगे कहते हैं, ‘यहां सड़कों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हैं. पर्यटन के लिहाज से इसे विकसित करने के लिए बहुत कुछ करने की जरूरत है.’

वैशाली ने कहा, ‘अगर सड़कों की स्थिति में सुधार हो जाए तो बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आने में रुचि दिखा सकते हैं. इससे रोजगार के मौके भी उत्पन्न हो सकते हैं.’

वैशाली इरुंडकर | फोटो: पूर्वा चिटणीस/दिप्रिंट

फिलहाल, पर्यटन के बलबूते ही दापोली में तमाम लोगों की दाल-रोटी चल रही है. महिलाएं यहां होम-शेफ क्रांति की अगुआई कर रही हैं और यही तमाम लोगों को यहां आने के लिए प्रेरित भी कर रहा है.

डाबके कहते हैं, ‘इस कारोबार से उन्हें जो पैसा मिलता है, वह खेती से होने वाली कमाई से ज्यादा है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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