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Monday, 25 November, 2024
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पंजाब के युवा जॉब्स को लेकर सबसे ज्यादा असंतुष्ट, 78% को लगता है राज्य में नहीं हैं अच्छी नौकरियां

सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज-लोकनीति और जर्मन थिंकटैंक कोनराड एडेनॉयर स्टिफ्टुंग द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार, कर्नाटक के युवा अपने राज्य में नौकरी के अवसरों को लेकर सबसे अधिक संतुष्ट हैं.

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नई दिल्ली: सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस)-लोकनीति और जर्मन थिंक टैंक कोनराड एडेनॉयर स्टिफ्टंग द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पंजाब के युवाओं को अपने राज्य में उपलब्ध रोजगार के अवसरों को लेकर देश भर में सबसे ज्यादा असंतुष्ट पाया गया है.

अखिल भारतीय स्तर पर किया गया यह सर्वेक्षण 18-34 आयु वर्ग के 6,277 लोगों से प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर, इस वर्ष जुलाई और अगस्त के बीच आयोजित किया गया था. इस महीने की शुरुआत में जारी किए गए नतीजों से पता चलता हैं कि पंजाब में 78 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह महसूस किया कि राज्य में रोजगार के अवसरों की गुणवत्ता ‘खराब’ है. यह संख्या राष्ट्रीय औसत (41 प्रतिशत) से कहीं अधिक है.

लखविंदर सिंह, प्रोफेसर एमेरिटस ऑफ इकोनॉमिक्स एंड कॉमर्स, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला के अनुसार, राज्य के युवाओं में जिस तरह का असंतोष पाया गया है, वह ‘बिल्कुल भी आश्चर्यजनक नहीं है‘.

उनका आरोप है कि पंजाब में सरकारी नौकरियों के लिए शुरुआती वेतन काफी कम है.

उन्होंने आगे दावा किया, ‘राज्य सरकार द्वारा कम वेतन प्रदान किये जाने से निजी क्षेत्र, जो पंजाब में पहले से ही खराब स्थिति में है, में रोजगार चाहने वाले श्रमिकों की सौदेबाजी की क्षमता प्रभावित होती है. इसलिए, हर कोई कम वेतन का भुगतान करता है जो बिल्कुल भी प्रतिस्पर्धी नहीं है.’

इस बीच सरकार के सूत्रों का कहना है कि यह मुख्य रूप से कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था वाला राज्य है, जिसमें रोजगार सृजन की गुंजाइश काफी सीमित है.

इस सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए, राज्य सरकार के रोजगार सृजन, कौशल विकास और प्रशिक्षण विभाग के एक अधिकारी ने दावा किया कि ‘कुछ साल पहले, इस राज्य के सभी प्रमुख उद्योग हिमाचल सरकार द्वारा इनके मालिकों को पेश की गई आकर्षक योजनाओं, जैसे कि कर लाभ और सस्ती बिजली, की वजह से बद्दी (हिमाचल प्रदेश में स्थित एक नजदीकी मैदानी जिला) में स्थानांतरित हो गए थे. यह रोजगार के अवसरों की उपलब्धता के मामले में पंजाब को बहुत महंगा पड़ा.’

उन्होंने आगे कहा: ‘पंजाब एक चारो तरफ से जमीन से घिरा (लैंडलॉक्ड) राज्य है जिसमें अपना कोई बंदरगाह (पोर्ट) नहीं है, इसलिए यहां व्यापार की गतिविधियां भी सीमित हैं. हमें पाकिस्तान के साथ अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का कुछ फायदा हो सकता था, लेकिन आपसी तनाव की वजह से इसे भी जाया कर दिया गया है. इसलिए हमारे पास इस राज्य में रोजगार के अवसर पैदा करने के बहुत कम विकल्प हैं.’

हालांकि पड़ोसी राज्यों हरियाणा और यूपी में पहले से ही नोएडा और गुरुग्राम जैसे कॉर्पोरेट और व्यावसायिक गतिविधियों के केंद्र थे, पंजाब में स्थित मोहाली अभी उनकी बराबरी करने कोशिश कर रहा है और यह ‘उत्तर के आईटी शहर’ का तमगा हासिल करने के लिए लगातार प्रयासरत है.

नौकरी के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में आम जनता की संतुष्टि के मामले में खराब प्रदर्शन करने वाले अन्य राज्यों में छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश और बिहार जैसे राज्य शामिल हैं. इसकी तुलना में, कर्नाटक में केवल 6 प्रतिशत युवाओं ने महसूस किया कि उनके राज्य में मौजूद नौकरी के अवसर अच्छे नहीं हैं – यह संभवतया इसलिए है क्योंकि इस राज्य की राजधानी बेंगलुरु देश का आईटी हब माना जाता है.


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केवल 2% युवाओं को ही लगता है कि राज्य में ‘अच्छे’ रोजगार के अवसर उपलब्ध हैं

एक ओर जहां इस सर्वेक्षण में औसतन 15 प्रतिशत भारतीय युवाओं ने अपने-अपने राज्य में उपलब्ध नौकरी के अवसरों को ‘अच्छे’ के रूप में आंका, वही पंजाब के उत्तरदाताओं में से केवल दो प्रतिशत के बारे में ही यह आंकड़ा सच था. राज्य में अठारह प्रतिशत उत्तरदाताओं ने महसूस किया कि उनके पास ‘औसत’ नौकरी के अवसर हैं, जो राष्ट्रीय औसत (37 प्रतिशत) से बहुत कम है.

Graphic: Manisha Yadav

हालांकि मध्य प्रदेश में भी केवल दो प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ही महसूस किया कि उनके राज्य में उपलब्ध नौकरी के अवसर ‘अच्छे’ हैं, लेकिन उनमें से 23 प्रतिशत का मानना था कि ये अवसर औसत स्तर के हैं. इस प्रकार यह पंजाब की तुलना में कम असंतुष्ट राज्य है. यहां केवल 64 प्रतिशत उत्तरदाताओं (पंजाब के 78 प्रतिशत की तुलना में) ने उपलब्ध नौकरी के अवसरों का ‘खराब’ के रूप में आकलन किया.

अन्य फिसड्डी राज्यों में, जहां 50 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने उपलब्ध नौकरी के अवसरों के बारे में असंतोष व्यक्त किया, बिहार भी शामिल है – जहां 65 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने यह दावा किया कि उनके लिए उपलब्ध नौकरी के अवसर खराब हैं. पश्चिम बंगाल के 56 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके लिए खराब नौकरी के अवसर ही मौजूद हैं, और इसी तरह का हाल छत्तीसगढ़ का भी था जहां 54 प्रतिशत का कहना था कि राज्य में रोजगार के बहुत कम अवसर हैं.

इनकी तुलना में, कर्नाटक, नौकरी के लिए उपलब्ध अवसरों के संतुष्टि सूचकांक के मामले में सबसे पहले स्थान पर है. यहां 53 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि उनके राज्य में नौकरी के उपलब्ध अवसर ‘अच्छे’ हैं.

Graphic: Manisha Yadav

प्रत्येक राज्य में उन लोगों का भी कुछ प्रतिशत भी था जिन्होंने इस बारे में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.


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पंजाब के व्यापत असंतोष के स्तर को समझने का प्रयास

अस्सी के दशक की हरित क्रांति ने पंजाब में अपार समृद्धि ला दी थी. मगर यह अचानक आई समृद्धि अल्पकालिक भी थी. राज्य में 1990 के दशक के बाद से ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में गिरावट आनी शुरू हो गई थी और अगले दो दशकों में कृषि को बढ़ावा देने के लिए दी जाने वाली सब्सिडी के कारण यह राज्य कर्ज के बोझ तले दब सा गया.

वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2018-19 के बीच, राज्ये के कृषि सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि औसतन 2 प्रतिशत रही है, जो कि राष्ट्रीय औसत 3.5 प्रतिशत से काफी कम है.

दूसरी तरफ, विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य के पिछले वर्षों की समृद्धि ने राज्य के लोगों को पहले ही अच्छे जीवन की आदत लगा दी थी और इसने कई लोगों के जीवन स्तर को ऊपर उठा दिया था.

सीएसडीएस में शोध कार्यक्रम लोकनीति के सह-निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने कहा, ‘उच्च जीवन स्तर की वजह से इस राज्य में पैसे का मूल्य (वैल्यू) अपेक्षाकृत कम है. यदि आप किसी काम के लिए पंजाब में किसी को एक दिन में 1,000 रुपये देते हैं तो उसमें उस तरह की संतुष्टि का भाव नहीं होगा, जैसा कि समान गुणवत्ता वाले इसी तरह के काम के लिए किसी अन्य कम समृद्ध राज्य के कामगार, जिसके लिए इस पैसे का मतलब अधिक होगा, को देने पर मिलता है. यही कारण है कि अगर पंजाब में मिलने वाला वेतन अन्य कम समृद्ध राज्यों के वेतन के समान भी हो जाता है, तो भी युवाओं का असंतोष बढ़ने की ही संभावना है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘पंजाब का उच्च जीवन स्तर भी इसके निवासियों की अपेक्षाओं को बढ़ाता है. यहां का औसत जीवन स्तर ऊंचा है और मौजूदा नौकरियों और अपेक्षाओं के बीच की खाई चौड़ी होती जा रही है. कम वेतन युवाओं की इन आकांक्षाओं को ठेस पहुंचाता है. नतीजतन, जो लोग खर्च करने में सक्षम हैं वे जीवन की बेहतर गुणवत्ता की तलाश में बसने के लिए विदेश चले जाते हैं, जबकि जो ऐसा नहीं कर सकते खुद को फंसा हुआ सा महसूस करते हैं.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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